Vishnu Prasad 'panchotiya' 102 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Vishnu Prasad 'panchotiya' 22 Oct 2022 · 1 min read माँ धनलक्ष्मी धनलक्ष्मी की हो कृपा, भरे देश भंडार रहे सदा ही संपदा, बरसे कुबेर धार । बरसे कुबेर धार, राष्ट्र बने धनवान रहे सदा ही आगे हिंदराष्ट्र हमेशा विष्णु सिरमौर रहे... Hindi 4 1 260 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 22 Oct 2022 · 1 min read नीति दोहे समय कभी ना तोलिए, समय बड़ा बलवान राजा होय रंक कभी, रंक बने धनवान। आज समय कुछ और है, काल रहेगा और विष्णू साधो बन गया, कल तक था जो... Hindi 2 155 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 14 Oct 2022 · 1 min read तन्मय तन्मय अगर हो जाओ तुम फिर क्या नहीं कर सकते हो। और कुछ नहीं करना तुम्हें बस लक्ष्य निर्धारित करो। हो अथाह दृढ़ निश्चय मन और अथाह साहस भरा। देखलो... Hindi 2 321 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 20 Sep 2022 · 1 min read लोकतंत्र में तानाशाही पहले लोकतंत्र की आवाज कुचलती तानाशाही अब लोकतंत्र में तानाशाही घुस गई है। पहले पद में रहती थी जो तानाशाही अब तानाशाही पद धारक में घुस गई है। पहले स्वतंत्रता... Hindi · तेवरी 2 1 251 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Jul 2022 · 1 min read फिर झूम के आया सावन आनन्द विभोर छाया सावन जीवन सुख बरसाया सावन खुशियों बहार लाया सावन सब के मन भाया सावन फिर झूम के आया सावन। दादुर मोर पपीहा नाचे घुमड़ - घुमड़ कर... Hindi 5 324 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 13 Jul 2022 · 1 min read गुरु महिमा जिसने जीवन सफल बनाया गुरु ही वह वरदान है। जिसने मुझे इंसान बनाया गुरु ही वह भगवान है। गुरु की महिमा गुरु की कृपा से में धन्योधान हुआ। गुरु की... Hindi 3 285 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 13 Jul 2022 · 1 min read पथ जीवन पथ जीवन और क्या है ? कभी धूप है कभी छाँव है। रुकना नहीं तुझे चलना है। बस चलता जा आगे बढ़ता जा कभी छाँव का सुख लेता चल कभी... Hindi 7 2 289 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 26 Jun 2022 · 1 min read अपने पथ आगे बढ़े नया उजाला लिए हुए हर दिन सवेरा होता है। एक नई आशा लिए सूरज रोज निकलता है। इन आशाओं को बटोर हम भी नया विश्वास भरे एक नया उत्साह लिए... Hindi 5 2 320 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 26 Jun 2022 · 1 min read विचारों की आंधी विचारों की आँधी ऐसी आई कि हृदय रूपी सागर में शब्दों की पतवार डगमगा गई । जीव्हा के चापू अधरों की चट्टानों से टकराने लगे। अंतः तूफान के बवंडर में... Hindi 3 2 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 2 Jun 2022 · 1 min read पर्व ऐसे मनाइए पर्व ऐसे मनाइए, मीटे कटुता द्वेष। प्रेम रंग से भर जाय , व्यक्ति कुटुंब देश। हिंदू भारतवर्ष के, रहे सदा ही एक जाति वर्ग में ना बटे,ऊँच-नीच का भेद। -विष्णु... Hindi · दोहा 2 225 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 26 May 2022 · 1 min read यह कौन सा विधान है सुन रही वसुंधरा सुन रहा है गगन सुमधुर गीत आज गुनगुना रही पवन। प्रभात सूर्य तेज लिए पूर्व मुस्कुरा रहा लाल ताम्र रंग की रश्मियाँ लुटा रहा। कली-कली खिल उठी... Hindi · गीत 2 2 709 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 May 2022 · 1 min read अधजल गगरी छलकत जाए अहंकार में आप समाए। दीवा ज्ञान बहुत इतरावे। दो के मध्य में तीसरा आवे। फटे में अपनी टांग अड़ावे। बिन मांगे ही राय सुझावे। ना मानो तो मुँह फुलावे। औरों... Hindi · कविता 3 2 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 May 2022 · 3 min read आज का विकास या भविष्य की चिंता वर्तमान में विकास बहुत तेज गति से हो रहा है ।हिंदुस्तान विकसित देशों की तरफ बढ़ रहा है। विकसित देश और विकसित होने का प्रयास कर रहे हैं किंतु इस... Hindi · लेख 4 288 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 28 Apr 2022 · 1 min read खड़ा बाँस का झुरमुट एक मेरे घर आंगन के पीछे खड़ा बाँस का झुरमुट एक। जिस पर गौरैया ने अपने आशियाने बनाने अनेक। सुबह शाम वह कृंदन करती चहक चहक कर खुशी मनाती कभी बांस... Hindi · कविता 6 2 344 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 21 Apr 2022 · 1 min read मेरे पिता है प्यारे पिता अच्छे भोले न्यारे पिता। पिता ने मुझको जन्म देकर धरती पर अवतरित किया। अपना कठोर परिश्रम करके मेरा पालन पोषण किया। मुझ पर अपना प्यार लुटाते ऐसे प्यारे-प्यारे पिता। मेरे... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 13 15 499 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 19 Apr 2022 · 1 min read दोहा शब्द ना ऐसे बोलिए, करें हृदय पर घात। साधु वचन जल रूप है, बनती बिगड़ी बात। -विष्णु प्रसाद 'पाँचोटिया' ््््््््््््््््््््््््््््््््््््् Hindi · दोहा 3 238 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 19 Apr 2022 · 1 min read मारुति वंदन मारुति वंदन असुर निकंदन कृपा करो हनुमान दुष्ट राक्षस पापियों का करते तुम संहार। राम के प्रिय तुम राम दुलारे राम के भक्तों के रखवारे विश्व भर में करे सदा... Hindi · मुक्तक 4 691 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग ५ गर्म वायु लू के झोंके दिक् अग्नि लपट से चलने लगे हैं। मिटन मिटाये जल तृष्णा सब पुनः पुनः जल ग्रहण करने लगे हैं। तीनपहर बीते सब प्राणी अपने आवास... Hindi · कविता 2 568 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग ४ दोपहरी आते ही धरा कण अग्निकुंड रूप धरने लगे है। देहाती जन के दिन अब तो आम्र की छांव में कटने लगे हैं। वन प्राणी सब किरिन्दरा व बरगद जल... Hindi · कविता 1 605 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग ३ निर्झर से जल हुआ विलुप्त है तटनी प्रवाह भी मन्द पड़ा है। वन प्राणी झुंड तृष्णा मिटाने नए जलस्रोत की खोज में चला है। पुष्प रसपान वाला मधु झुंड भी... Hindi · कविता 2 882 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग २ हरे भरे आम की बगिया में केरी के गुच्छे लगने लगे हैं। पलाश हुआ है बेरंग पर नीम के रंग अब जमने लगे हैं। पतझड़ जंगल बिन पत्ते वृक्ष त्यागी... Hindi · कविता 1 828 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 14 Apr 2022 · 1 min read ग्रीष्म ऋतु भाग 1 भोर काल में देश धरा पर कोयल की कुहू हो रही है। मधुर सप्त स्वर रागिनी सबको प्रभात काले जगा रही है। बसंत अपनी छटा समेटे अपने घर को जा... Hindi · कविता 1 719 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 Apr 2022 · 1 min read श्री राम ने जब जब धरा पर पाप किया पापियों ने, उन्हें जड़ मूल से मिटाया श्री राम ने। साधुओ पर अत्याचार किया जब दानवों ने, तब उनके प्राण बचाया श्री राम ने।... Hindi · मुक्तक 2 703 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 18 Mar 2022 · 1 min read होली आई होली आई होली आई रंग बिरंगी खुशियाँ लाई । नई-नई तरंगे लाई नई नई उमंगे लाई। बसंत की भी रौनक आई प्रकृति रंग बिरंगी छाई। रंग-बिरंगे पुष्प खिलाई। नए साल... Hindi · कविता 2 227 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 6 Mar 2022 · 1 min read ऋतुराज का हुआ शुभारंभ चली बहारे सर-सरासर शीतल-शीतल मध्यम- मध्यम तन अंतर छू जाती अन्दर मंगल बेला छाई उपवन ऋतुराज का हुआ शुभारंभ। वन पलास केसरिया छाया बोर आम्र ने मन बहलाया प्रकृति नूतन... Hindi · कविता 5 3 495 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 30 Dec 2021 · 1 min read विचार कोई किसी को कुछ नहीं बनाता, जो बनता है व्यक्ति स्वयं अपनी क्षमता और योग्यता पर बनता है । मात-पिता और अन्य सहयोगी मात्र परिस्थिति निर्माण में सहयोग करते हैं... Hindi · लेख 3 3 498 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 25 Dec 2021 · 1 min read 'तुझे अकेले चलते जाना' (छायावाद) तू अकेला चल बटोही तुझे अकेले चलते जाना। बस केवल इतना समझ ले कहाँ पर है तेरा ठिकाना। रास्ता यह बड़ा कठिन है चलने के दिन लेकिन कम है दूर... Hindi · कविता 5 7 484 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 11 Dec 2021 · 1 min read अन्तर्बल है हृदय में व्याप्त सबके एक बल जो अन्तर्बल। हर हताशा दूर करता हर निराशा दूर करता अथाह दुःख मझधार में हौसला न कम करता हे मनुष्य तुझे उसी पर... Hindi · कविता 4 4 285 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 Dec 2021 · 1 min read व्यंग गजल कुछ नेता आज के बातें बड़ी बेबाक करते हैं ये मुद्दे छोड़कर बाकी सारी बकवास करते हैं। कि कहते हैं गरीबी देश की सारी मिटा देंगे। पर वादे भूल जाते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 6 3 489 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 6 Dec 2021 · 1 min read शिशिर ऋतु-३ भास्कर का तेज भी हुआ जैसे मध्यम-मध्यम दिनेश का दिन पहले ढलने लगा है। निशा उम्र हुई लम्बी बेंत-बेंत ठण्डी-ठण्डी देहाती अलाव तेज जलने लगा है। नीले-नीले नभ ऊपर धवल... Hindi · गीतिका 3 1 557 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 6 Dec 2021 · 1 min read शिशिर ऋतु -२ हरी-हरी हरियाली खेतों में खलीयानो में वसुधा पर हरि-हरि चुनर लहराती है। भोर काल प्रातः काल हरी हरी पत्तियों पर उषा रानी श्वेत-श्वेत मोती जड़ाती है। टप- टप गिरती हुई... Hindi · घनाक्षरी 3 1 339 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 5 Dec 2021 · 1 min read शिशिर ऋतु-१ सिहर-सिहर उठे- उठे तन मन मोरा शिशिर की रौनक बढ़ने लगी है। हाथ पैर तीड़े- तीड़े मानो सब पीड़े -पीड़े चमचम रुखी काया होने लगी है। नीर- नीर ठण्डा- ठण्डा... Hindi · घनाक्षरी 3 2 605 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 27 Nov 2021 · 1 min read व्यंग बेटा बेटा ना रहा, बड़ा हुआ ना बाप दो धारा में बट गया, अहं अहं में आप। भौतिकता की चाह में, रिश्तो को नहीं तोल धन अर्जन के वासते, काहे... Hindi · दोहा 4 4 373 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 24 Nov 2021 · 3 min read क्योंकि मैं किसान हूँ। धरती की संतान हूँ देश का अभिमान हूँ भारत की मैं शान हूँ क्योंकि मैं किसान हूँ दिन हो या रात हो या दोपहर की ताप हो। ग्रीष्म या बरसात... Hindi · कविता 4 4 617 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 16 Nov 2021 · 1 min read मुक्तक हमने शब्दों को फेंका था तो कपास के रेशों में लपेटकर पर पता नहीं वह मार्ग में कब पाषाण बन गए और लक्ष्य तो साधा मात्र तुम्हारे कर्णो पर। किन्तु... Hindi · मुक्तक 8 4 438 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Nov 2021 · 2 min read 'कर्म कर' (छायावाद) संसार में जिससे नाम हो जीवन में ऐसा काम कर। सुकर्म से जीवन लकीर को खींचता तू आगे बढ़। अपने ठोस इरादों के शस्त्रों से समस्याओं को चीरता चल। जीवन... Hindi · कविता 4 5 482 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 Nov 2021 · 8 min read गुरुजी! क्यों रे फलाने के छोरे! जरा इधर तो आ! पिताजी के नाम को संबोधित करते हुए गुरुजी ने आवाज लगाई। मैं कुछ डरा हुआ- सा तथा कुछ सहमा हुआ-सा हृदय... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 20 23 2k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 1 Nov 2021 · 1 min read कुण्डलिया खान पान की होड़ में, मनुष्य पेटू होय। स्वाद भये खाता जाय,सेहत न देखि कोय। सेहत न देखि कोय,लगे बिमारी सतावै। लोकरंग ना भाय, चैन कहीं नहीं पावै। कहीं विष्णु... Hindi · कुण्डलिया 6 6 263 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 31 Oct 2021 · 1 min read 'सरदार' पटेल किया भारत अखंड जिसने करके रियासतों का मेल रहे विश्वास पर जो दृढ़ कहलाए वह 'सरदार' पटेल। दी जिसने कर्म की शिक्षा देश के नौजवानों को। जा कर बारडोली में... Hindi · कविता 5 4 402 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 26 Oct 2021 · 2 min read 'दुनिया की आदिशक्ति हूँ' (वीर - रस) स्त्री हूँ पर निशक्त नहीं हूँ दुनिया की आदिशक्ति हूँ। ना मुझको अबला समझना ना समझना तुम नादान। जीवन जीना मुझे भी आता वीरांगनाओं के समान। बहुत पीड़ा सहन... Hindi · कविता 8 5 365 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 24 Oct 2021 · 1 min read हेमन्त ऋतु भाग-2 (प्रकृति चित्रण) (१) स्वच्छ अम्बर कैनवास पर, खग वृंद हर्ष विचरने लगे हैं। हरित तृण की नोक ऊपर, ओस कण मोती धरने लगे। अरण्य प्रदेश के प्राणी अब, सर्द रहित घर ढूंढने... Hindi · घनाक्षरी 5 2 397 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 24 Oct 2021 · 1 min read 'हेमन्त ऋतु' भाग-1 (प्रकृति चित्रण) (१) शनै-शनै रवि क्यों अपना, रंग और रूप बदलने लगा है। श्वेत रजत रंग त्याग कर, ताम्र रूप क्यों धरने लगा है। नभ स्वच्छ नीलिमा छाई, दिवस भी पहले ढलने... Hindi · घनाक्षरी 4 3 372 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 20 Oct 2021 · 1 min read व्यंग लपट ( कुण्डलिया छन्द) विष्णू इस संसार में, नहीं किसी का होइ। अपने लालच के भये, मदद करे ना कोइ। मदद करे ना कोइ, काम किसी के न आवै। पड़ि स्वयं पर कष्ट, तभी... Hindi · कुण्डलिया 7 3 387 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 19 Oct 2021 · 1 min read शरद ऋतु ( प्रकृति चित्रण) आज शरद निशा की चांदनी की छटा निराली है। धरती की सुंदरता हृदय को भाने वाली है। स्वच्छ - निर्मल नभ मंडल में, तारे उज्जवल चमक रहे हैं झिलमिल करते... Hindi · कविता 8 5 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Oct 2021 · 1 min read 'दुष्टों का नाश करें' (ओज - रस) हे प्रभु राम! कृपालु शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम हरे! एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें। सत्ता लोलुप धन के लोभी अत्याचार व अधर्म करें धर्म के... Hindi · घनाक्षरी 7 3 910 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 14 Oct 2021 · 1 min read व्यंग राजनीति में आधा से ज्यादा नेता आदमखोर चारा खा कर बन गया देखो अपना नेता ढोर। पीछे लात मार कर आगे गले लगाए अपने देश का नेता ऐसे देश चलाए।... Hindi · तेवरी 9 9 429 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 12 Oct 2021 · 1 min read 'व्यंग्य बाण' (विष्णु बोल रहा है) दुनिया की रित मेरी, समझ ना आए आज अपनी-अपनी ढपली ,अपने-अपने राग। ये विष्णु बोल रहा है कि ये क्या हो रहा है? लड़की तोड़े मर्यादा, चले लड़का बिगड़ी बाट... Hindi · मुक्तक 9 6 313 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 12 Oct 2021 · 1 min read 'शब्द बाण' मोटी चमड़ि चौड़ि खाल, आदमि गोल मटोल। पुछो इससे दुनिया में , कितना इसका मोल। औरों के हक छीन कर, करता है मनमानि रिश्वत खाता देश में, फैलाता बेमानि। राम... Hindi · दोहा 9 3 486 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 Oct 2021 · 1 min read दिल चाहता है कभी जिस मोड़ पर हम छोड़ आए थे यह जीवन आज फिर उसी मोड़ से जीने को दिल चाहता है। जहाँ बिखरे पड़े हैं अपनी यादों के कुछ लम्हें आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 7 5 267 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 Oct 2021 · 1 min read 'फूल और व्यक्ति' फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए। व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए। फूल के कई हे रंग व्यक्ति के कई हे ढंग रंगों को लीजिए न कि ढंगो को... Hindi · कविता 8 6 931 Share Previous Page 2 Next