Vishnu Prasad 'panchotiya' 117 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Nov 2021 · 2 min read 'कर्म कर' (छायावाद) संसार में जिससे नाम हो जीवन में ऐसा काम कर। सुकर्म से जीवन लकीर को खींचता तू आगे बढ़। अपने ठोस इरादों के शस्त्रों से समस्याओं को चीरता चल। जीवन... Hindi · कविता 4 5 518 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 Nov 2021 · 8 min read गुरुजी! क्यों रे फलाने के छोरे! जरा इधर तो आ! पिताजी के नाम को संबोधित करते हुए गुरुजी ने आवाज लगाई। मैं कुछ डरा हुआ- सा तथा कुछ सहमा हुआ-सा हृदय... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 20 23 2k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 1 Nov 2021 · 1 min read कुण्डलिया खान पान की होड़ में, मनुष्य पेटू होय। स्वाद भये खाता जाय,सेहत न देखि कोय। सेहत न देखि कोय,लगे बिमारी सतावै। लोकरंग ना भाय, चैन कहीं नहीं पावै। कहीं विष्णु... Hindi · कुण्डलिया 6 6 291 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 31 Oct 2021 · 1 min read 'सरदार' पटेल किया भारत अखंड जिसने करके रियासतों का मेल रहे विश्वास पर जो दृढ़ कहलाए वह 'सरदार' पटेल। दी जिसने कर्म की शिक्षा देश के नौजवानों को। जा कर बारडोली में... Hindi · कविता 5 4 445 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 26 Oct 2021 · 2 min read 'दुनिया की आदिशक्ति हूँ' (वीर - रस) स्त्री हूँ पर निशक्त नहीं हूँ दुनिया की आदिशक्ति हूँ। ना मुझको अबला समझना ना समझना तुम नादान। जीवन जीना मुझे भी आता वीरांगनाओं के समान। बहुत पीड़ा सहन... Hindi · कविता 8 5 423 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 24 Oct 2021 · 1 min read हेमन्त ऋतु भाग-2 (प्रकृति चित्रण) (१) स्वच्छ अम्बर कैनवास पर, खग वृंद हर्ष विचरने लगे हैं। हरित तृण की नोक ऊपर, ओस कण मोती धरने लगे। अरण्य प्रदेश के प्राणी अब, सर्द रहित घर ढूंढने... Hindi · घनाक्षरी 5 2 427 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 24 Oct 2021 · 1 min read 'हेमन्त ऋतु' भाग-1 (प्रकृति चित्रण) (१) शनै-शनै रवि क्यों अपना, रंग और रूप बदलने लगा है। श्वेत रजत रंग त्याग कर, ताम्र रूप क्यों धरने लगा है। नभ स्वच्छ नीलिमा छाई, दिवस भी पहले ढलने... Hindi · घनाक्षरी 4 3 416 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 20 Oct 2021 · 1 min read व्यंग लपट ( कुण्डलिया छन्द) विष्णू इस संसार में, नहीं किसी का होइ। अपने लालच के भये, मदद करे ना कोइ। मदद करे ना कोइ, काम किसी के न आवै। पड़ि स्वयं पर कष्ट, तभी... Hindi · कुण्डलिया 7 3 419 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 19 Oct 2021 · 1 min read शरद ऋतु ( प्रकृति चित्रण) आज शरद निशा की चांदनी की छटा निराली है। धरती की सुंदरता हृदय को भाने वाली है। स्वच्छ - निर्मल नभ मंडल में, तारे उज्जवल चमक रहे हैं झिलमिल करते... Hindi · कविता 8 5 1k Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 15 Oct 2021 · 1 min read 'दुष्टों का नाश करें' (ओज - रस) हे प्रभु राम! कृपालु शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम हरे! एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें। सत्ता लोलुप धन के लोभी अत्याचार व अधर्म करें धर्म के... Hindi · घनाक्षरी 7 3 970 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 14 Oct 2021 · 1 min read व्यंग राजनीति में आधा से ज्यादा नेता आदमखोर चारा खा कर बन गया देखो अपना नेता ढोर। पीछे लात मार कर आगे गले लगाए अपने देश का नेता ऐसे देश चलाए।... Hindi · तेवरी 9 9 476 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 12 Oct 2021 · 1 min read 'व्यंग्य बाण' (विष्णु बोल रहा है) दुनिया की रित मेरी, समझ ना आए आज अपनी-अपनी ढपली ,अपने-अपने राग। ये विष्णु बोल रहा है कि ये क्या हो रहा है? लड़की तोड़े मर्यादा, चले लड़का बिगड़ी बाट... Hindi · मुक्तक 9 6 348 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 12 Oct 2021 · 1 min read 'शब्द बाण' मोटी चमड़ि चौड़ि खाल, आदमि गोल मटोल। पुछो इससे दुनिया में , कितना इसका मोल। औरों के हक छीन कर, करता है मनमानि रिश्वत खाता देश में, फैलाता बेमानि। राम... Hindi · दोहा 9 3 514 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 10 Oct 2021 · 1 min read दिल चाहता है कभी जिस मोड़ पर हम छोड़ आए थे यह जीवन आज फिर उसी मोड़ से जीने को दिल चाहता है। जहाँ बिखरे पड़े हैं अपनी यादों के कुछ लम्हें आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 7 5 300 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 8 Oct 2021 · 1 min read 'फूल और व्यक्ति' फूल को देखिए, खुशबू को लीजिए। व्यक्ति को न देखिए, गुणों को लीजिए। फूल के कई हे रंग व्यक्ति के कई हे ढंग रंगों को लीजिए न कि ढंगो को... Hindi · कविता 8 6 971 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 3 Oct 2021 · 2 min read 'एक कहानी हिंदुस्तान की कहता हूँ' एक कहानी मैं अपने हिन्दुस्तान की कहता हूँ। भारतवर्ष का हूँ निवासी भारत वर्ष सजाता हूँ। पुण्य भूमि यह भारत भूमि देवभूमि कहलाती है। विश्व की यह महाशक्ति विश्व को... Hindi · कविता 10 5 432 Share Vishnu Prasad 'panchotiya' 2 Oct 2021 · 1 min read बढ़े चलो (वीर रस) हिमाद्री विंध्य श्रृंग से, सागर हिन्द तरंग से, रेगिस्तान की रेत से, वनाच्छादित प्रदेश से, मांँ भारती पुकारती, भारत शीश हिमेश से। प्रचंड अग्नि भर हृदय, तुम दुश्मनों पर टूट... Hindi · कविता 7 3 602 Share Previous Page 3