Durgesh Bhatt 18 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Durgesh Bhatt 14 Jul 2025 · 1 min read छिपा सत्य जरूरी नहीं कि हम किसी बात को जैसे हमेशा देखते जैसे सोचते हैं वह वैसे ही हो क्योंकि जंगल में फैली आग देखकर हम कभी भी सही से नहीं बता... 2 112 Share Durgesh Bhatt 21 May 2025 · 1 min read जग से सीख जब - जब सीधा चलता है तू , जग तुझको कहता है सीधा । रे नर सीधा पेड़ है कटता, ये जग हे नर तुझसे कहता।। फिर सुनता नर जग... 1 116 Share Durgesh Bhatt 24 Feb 2025 · 1 min read दीपक का संघर्ष और प्रेरणा तेल बाती का मेरा प्रिय साथ है, संघर्ष करना मुझको तो दिन - रात है। खुद में जलकर जग को रोशन कर रहा हूं, धीर धरकर मन्द गति से चल... 1 159 Share Durgesh Bhatt 23 Feb 2025 · 1 min read वीर सिपाही जिनके कारण दिन - रात सभी, निश्चिन्त भाव से रहते हैं। जो रहते घर से दूर दराजें, कष्ट से जीवन जीते हैं। मातृभूमि के शान की खातिर, अपनी जान जो... 150 Share Durgesh Bhatt 22 Feb 2025 · 1 min read बसन्त ऋतु शिशिर ऋतु की कड़कड़ाती ठंड अब जा रही है, नव कलियों की लहराती झाल कुछ बात बता रही है । पहाड़ियों में खिल रही फ्योंली कुछ जता रही है ,... 1 111 Share Durgesh Bhatt 8 Feb 2025 · 2 min read मां आपका हर दुख जो अपना कर देना चाहती है, आपको हर इक कोने से जो सुख देना चाहती है। आपके रोने पर जिसका हृदय टूट जाता है, आपके मुस्कुराने से... 1 154 Share Durgesh Bhatt 8 Feb 2025 · 1 min read भाग्य यदि मार्ग पूर्ण कांटों से भरा हो , पग पग जीवन हार गया हो। मित्र बन्धु सब छल कर जाये , फिर चंचल मन दौड़ लगाये। कहां को जाऊं किससे... 1 143 Share Durgesh Bhatt 28 Dec 2024 · 1 min read वसुंधरा का क्रन्दन तन से मन से और वतन से आज है दहाड़ती। वसुंधरा - वसुंधरा - वसुंधरा पुकारती।। हिम से बना शीश मेरा आज है पिघल रहा, डाल वृक्ष पुष्प तन भी... 2 206 Share Durgesh Bhatt 24 Dec 2024 · 1 min read आग यदि चूल्हे में जलती है तो खाना बनाती है और चूल्हे से उतर आग यदि चूल्हे में जलती है तो खाना बनाती है और चूल्हे से उतर जाये तो घर को जलाती है वैसे ही शांत व्यक्ति का स्वभाव होता है शांत रहे... Quote Writer 2 201 Share Durgesh Bhatt 21 Dec 2024 · 1 min read गंगा की पुकार मां गंगा की इस विपदा को, अन्तरमन की उस पीड़ा को। क्यों कोई जन न देख सका, क्यों कोई तन न भेद सका।। मां गंगा अपने बच्चों से, बस प्रश्न... 2 202 Share Durgesh Bhatt 20 Dec 2024 · 2 min read मित्रता मित्रता वास्तव में इस शब्द ने अपने में एक विशाल भाव को ग्रहण कर रखा है और इसको निभाने वाले भी बड़े ही गहरे भाव के होते हैं। ईश्वर ने... 2 215 Share Durgesh Bhatt 17 Dec 2024 · 2 min read पहाड़ों मा पलायन अपणी चौक डिंड्याली छोड़ी नौखम्बा तिवारी छोड़ी, सभी लोगोंन एक ही साथ मां अपणूं गों गुठ्यार छोड़ी। उभी बखत थौ सभी लोग जब, डोखरी पोक्ण्यों ज्यादा थैई। रोपणी, मण्डवार्ती गोंडण... 1 215 Share Durgesh Bhatt 13 Dec 2024 · 1 min read बसन्त ऋतु भूम्याल की पूजा करीक ज्विंकी शुरवात होंदी, मौरु द्वारु मा जौ पयांन ज्वा ऋतु न्यूतेंदी। मिठु भात पकौड़ी पकैक ज्वा ऋतु पूजेंदी, सबसी स्वाणी सबसी प्यारी वा बसन्त ऋतु होंदी।।... 2 2 214 Share Durgesh Bhatt 9 Dec 2024 · 1 min read बेरोजगार युवा मन मसोसकर चित्त को मारे चिन्ता में है डुबे सारे। पढ़ - लिखकर भी क्या ही हुआ, यह सोचता बेरोजगार युवा।। बचपन में बचपन खोया क्यों, सब खेल-कूद को रोका... 1 142 Share Durgesh Bhatt 8 Dec 2024 · 1 min read क्रोध मन में बसी सद्भावना को , प्रेम भक्ति चेतना को। नष्ट करता क्षण में जो है, कुछ अन्य नहीं वह क्रोध है।। चन्द्र जैसे प्यारे तन को, धैर्य शाली शान्त... 1 309 Share Durgesh Bhatt 1 Dec 2024 · 1 min read दीपक मिटाके तम को प्रकाश करके, रोशन सबको करता हूं। यद्यपि स्वयं तो जलता रहता, पर तम को सबके हरता हूं।। अनल को शीश में धारण करके, पर उपकार मैं करता... 1 218 Share Durgesh Bhatt 30 Nov 2024 · 1 min read मानव मन चंचल बनकर उछल-उछलकर दूर - दूर तक जाता है। मानव मन तू अस्थिर होकर डुलता- फिरता रहता है।। पलभर के सुख के क्षण से तू खुब प्रफुल्लित होता है, दुख... 1 211 Share Durgesh Bhatt 29 Nov 2024 · 1 min read लालसा जन्म हुआ जब तेरा मानव लालसा तू न जानता था। रो - रोकर तू एक ही स्वर में, मां से दूध मांगता था।। फिर धीरे - धीरे आगे बढ़कर, गिरता... 2 182 Share