Dr.Rajeshwar Singh 16 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr.Rajeshwar Singh 17 Apr 2017 · 1 min read सफ़र.... लहरों की चदर को औढ़ कर चलो हाथों से रौशनी को पकड़ते हैं काग़ज़ की नईआ में बैठ कर समंदर के सफ़र पे निकलते हैं पानी के बुलबुलों के बीच... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 581 Share Dr.Rajeshwar Singh 8 Mar 2017 · 1 min read वक़्त... वक़्त कर देता है अकसर मजबूर तोहमत ना यूँ लगाया कर आँखें नम हो जाती हैं अकसर अश्क़ों को यूँ ना बहाया कर शब्दों को सजा के शब्द लड़ी में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 571 Share Dr.Rajeshwar Singh 6 Feb 2017 · 1 min read सवाल...जवाब... ज़िंदगी तो है इक सवाल जिस का कोई जवाब नहीं मौत तो है वोह जवाब जिस पर कोई सवाल नहीं जी ले-ज़ख़्मों को सी ले-दिन दो चार मिलता जब तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 515 Share Dr.Rajeshwar Singh 12 Feb 2017 · 1 min read वोह समय कहाँ से लायूं मैं.... कैसे भुलायूं,कैसे बुलायूं वोह समय कहाँ से लायूं मैं वोह दादी की कहानी इक राजा इक रानी वोह नानी की ज़ुबानी मछली जल की थी रानी वोह बच्चों की टोली... Hindi · कविता 481 Share Dr.Rajeshwar Singh 14 Mar 2017 · 1 min read चाँदनी रातें ..... लहरें चाँदनी में नहा कर हैं कुछ तो कहती समुद्र की सत्ह के ऊपर कितना मुस्कुराती नदिया कल-कल करती कुछ तो कहती चाँद की चाँदनी है कितना ख़िल-ख़िलाती चाँदनी रातें... Hindi · कविता 479 Share Dr.Rajeshwar Singh 15 Feb 2017 · 1 min read आइना है जीवन.... आइना है जीवन दिखलाती ज़िंदगी तब्बसुम सजाओ मुस्कराती ज़िंदगी गुनगुना के देखो गाती है ज़िंदगी मुस्करा के तो देखो हँसाती ज़िंदगी दर्पण है जीवन सिखलाती ज़िंदगी आइना है जीवन दिखलाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 447 Share Dr.Rajeshwar Singh 1 Mar 2017 · 1 min read मद्धम-मद्धम...... हलचल सी हुई कुच्छ मद्धम-२ आहट सी हुई कुच्छ मद्धम-२ झरोखों से ज़रा झाँक के देखूँ दस्तक सी हुई कुच्छ मद्धम-२ शायद कहीं से चाँद है निकला रौशनी सी हुई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 499 Share Dr.Rajeshwar Singh 4 Nov 2018 · 1 min read माँ माँ तू है ईश्वर का स्वरूप तेरा देना कैसे दे सकता हूँ मैं माँ को जो एक ही दिन देते हैं स्वार्थी लोग कह सकता हूँ मैं एक ही दिन... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 28 465 Share Dr.Rajeshwar Singh 10 Mar 2017 · 1 min read सरकते पल.....खिसकते पल..... सरकते पल,खिसकते पल समेट लूँ यादें,गुज़रते पल सिमटी सी घड़ियाँ .... कुछ उखड़ी सीं घड़ियाँ ... कुछ सुलगते पल.... खिसकते पल मुस्कुराती ज़िंदगी के कुछ हसीन से पल समेट लूँ... Hindi · कविता 309 Share Dr.Rajeshwar Singh 7 Feb 2017 · 1 min read ए चन्द्रमा.... ए चन्द्रमा तू रात को आता है सुबह कहीं छुप जाता है समय की चाल के साथ तू भी चलता ही जाता है ए चन्द्रमा रुक जा कहीं ए समय... Hindi · कविता 292 Share Dr.Rajeshwar Singh 12 Feb 2017 · 1 min read फ़ुरसत मिले.... फ़ुरसत मिले कोई नज़्म ही कह दूँ फ़ुरसत मिले इक ग़ज़ल ही लिख दूँ कितना हूँ अब व्यस्त ... स्मार्ट फ़ोन में मस्त ... अा गया स्मार्ट टी.वी... हूई व्यस्त... Hindi · कविता 268 Share Dr.Rajeshwar Singh 31 Jan 2017 · 1 min read सपने और हक़ीक़त .... हक़ीक़त सपनों से ही होती है हक़ीक़त सपनों के बिना हक़ीक़त में वोह बात नहीं होती हम तो दिन में भी सँजोए हैं आँखो में सपने सपनों के बिना रात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share Dr.Rajeshwar Singh 7 Feb 2017 · 1 min read गुज़रता रहा लम्हा-लम्हा.... गुज़रता रहा लम्हा-लम्हा ढलता रहा लम्हा-लम्हा ज़िंदगी चाहे थम सी गई थी चलता रहा लम्हा-लम्हा समय के साथ चलता रहा पहर-पहर,लम्हा-लम्हा शब हुई दीपक जले दिल जला लम्हा-लम्हा लबों पे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share Dr.Rajeshwar Singh 7 Feb 2017 · 1 min read समय की सीमा से भी आगे.... समय की सीमा से भी आगे चाँद-सितारों से भी आगे जहाँ और भी होते हैं क्या ... सपनों के जहाँ से भी आगे चक्षु भी कहीं सोते हैं क्या सौंदर्य... Hindi · कविता 246 Share Dr.Rajeshwar Singh 4 Feb 2017 · 1 min read हसीं लबों पे हँसी सजाते हैं..... चलो खुल के मुस्कुराते हैं हसीं लबों पे हँसी सजाते हैं अरमान हों दिल में तो क्या तरन्नुम चलो होटों को थोड़ा हिलाते हैं सुर ताल में गाना चाहे नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 245 Share Dr.Rajeshwar Singh 1 Feb 2017 · 1 min read हर लम्हा ज़िंदगी .... लम्हा-२ ज़िंदगी चाहे गुज़रती जाती है हर लम्हा ज़िंदगी रोज़ नया सबक़ सिख़ाती है किताबों में जो सबक़ कभी पड़ा नहीं ठोकरें वही सबक़ पड़ाती हैं जीने का नाम ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 217 Share