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7 Feb 2017 · 1 min read

गुज़रता रहा लम्हा-लम्हा….

गुज़रता रहा लम्हा-लम्हा
ढलता रहा लम्हा-लम्हा
ज़िंदगी चाहे थम सी गई थी
चलता रहा लम्हा-लम्हा
समय के साथ चलता रहा
पहर-पहर,लम्हा-लम्हा
शब हुई दीपक जले
दिल जला लम्हा-लम्हा
लबों पे तब्बसुम सजाते रहे
सुलगता रहा लम्हा-लम्हा
मोमबत्ती जैसे जलता रहा
पिघलता रहा लम्हा-लम्हा
सहर की मुझे थी उम्मीद
बढ़ता रहा लम्हा-लम्हा
चलता रहा लम्हा-लम्हा
-राजेश्वर

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