Dinesh Yadav (दिनेश यादव) Tag: कविता 48 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 20 Mar 2024 · 1 min read सत्य क्या है ? जीवन सत्य है, विवेक का यह प्रकाश भी है, इससे विमुख होना, असत्य की मार्ग है । ज्ञान सत्य है, जीवन रुपान्तरण का यह साधन भी हैं, इसके विपक्ष मे... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 2 94 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 1 May 2024 · 1 min read सत्य की खोज एक राही, भटकते रहा, सत्य की खोज में, रोशनी तले अंधेरा, राही को समझ नहीं आया । सत्य की खोज में, तीर्थयात्रा जारी रही, माता–पिता की सेवा सें परे, अपने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 22 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 1 May 2024 · 1 min read सत्य क्या है ? जीवन सत्य है, विवेक का यह प्रकाश भी है, इससे विमुख होना, असत्य की मार्ग है । ज्ञान सत्य है, जीवन रुपान्तरण का यह साधन भी हैं, इसके विपक्ष मे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 3 23 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 5 Jan 2023 · 1 min read एक पत्रकार ( #हिन्दी_कविता) एक बैलुन उड्ना जिसका #चरित्र भर दो-उसमे मनचाहे #हवा और उडा दो अब, झोकें जिधर वह भी उधर वह कोई नही एक #पत्रकार है । एक लाउडस्पिकर बजना जिसका चरित्र... Hindi · कविता 3 1 276 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 22 Dec 2022 · 1 min read पंचैती गावों मे चारों ओर अपराधों के जाल बिछा है, सामन्तीयों ने वहाँ कमजोरों को सदैव घेरते आया है, कभी बेटियाँ की ईज्जत पर धावा बोला हैं, कभी लोगों का धन... Hindi · कविता 3 1 190 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 20 Feb 2024 · 1 min read फूल हरित पत्तों की पर्दों में है, तने के अंत में जीवित है, शोभा पेड़ की बढ़ाती है, एक सुंदर फूल जो है, पर, नज़र जब लोगों की पडती है, तोड़... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 47 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 10 Feb 2024 · 1 min read गुलाम शिक्षित किशोर , तुम मूर्ख क्यों बन रहे हो ? ठेकेदारों की बोली के माध्यम, तुम क्यों बन रहे हो ? अपनी बुद्धि के मुन्ना खोलो, तुम किसी और का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 54 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 10 Feb 2024 · 1 min read वह कौन सा नगर है ? व्यक्तिगत मामलों में जागना, जनसमस्याओं में सोये रहना, बदमाशी में आगे रहना, बलपूर्वक कार्य में एकत्रित होना, वह कौन सा नगर है जरा बताना ? कदम कदम पर धर्म की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 2 58 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 29 Dec 2022 · 1 min read मानकके छडी (लोकमैथिली कविता) आन्हर भँ जे काज करैय, एक भगहा बैन फतवा जारी करैय, जनसरोकार सबालमे मृत्तप्राय: बनल रहैय ओहेसभ ऐतह अभियन्ता कहबैय । जन-जनके फोडबाक जे काज करैय, मौसमी उलेमा जारी करैय... Maithili · कविता 2 278 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 19 Dec 2022 · 1 min read मैं अवला नही (#हिन्दी_कविता) संतान ने मुझे त्यागा, प्रभू ने मेरी सुहाग छिना, बेरंग सा जीवन बना, लोग मुझे अभागी कहता, पर मै जीद्दि ठहरा, आत्मनिर्भरता का मार्ग चुना, श्वेत वस्त्र मे हूँ सज्जा,... Hindi · कविता 2 261 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Dec 2022 · 1 min read मृत्यु भोज (#मैथिली_कविता) शोकाकूल समुच्चा परिवार छै, गामक लोक भोज जगल कहैत छै, मैञ्जन भरि खपकटी आ सभा पर जोड दै छै , मुदा शोकाकूलजन भोजक पक्षमे नय छै, तईयो ग्रामिण ठोंठ मोकैत... Maithili · कविता 2 351 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 7 Oct 2022 · 1 min read अनेकतामा एकता मानिसको सोच अनेक, चिन्ता र प्रतिक्रिया अनेक, यी सबैका कारण अनेक, कारणहरूको प्रकार अनेक, प्रकारहरूको स्वरूप अनेक, स्वरूपहरूको परिभाषा अनेक, परिभाषाहरूको शब्दजाल अनेक, शब्दजालहरूको रिंगाउने अर्थ अनेक, प्रत्येक दिन अर्थहरूको... Nepali · कविता 2 360 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 29 Dec 2022 · 1 min read पात्र (लोकमैथिली कविता) पात्र- पुराने छै प्रवृति ओहे परिस्थिति फरक लोकसभ ओहे पात्र- दास छै मानसिकता ओहे समय बदलल सोच ओहे पात्र- समूहमे छै लठैती ओहे नाम परिवर्तन काम ओहे पात्र- मुठीभर छै... Maithili · कविता 2 413 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 6 Oct 2022 · 1 min read गरीबक जिनगी (मैथिली कविता) #दिनेश यादव कहियो नूनतेल, कहियो लत्ताकपडा, दबाईकें जोगाड त लगेबाक अइछे, पवनिकें तयारी त चलिते रहैक छैक, बेटीक बिदागरी सेहो आबि जाइत छैक, सनेसबारीमें चंगेरा भरबाक छइहें, एक खड साडी,... Maithili · कविता 2 169 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 23 Mar 2024 · 1 min read सत्य की खोज एक राही, भटकते रहा, सत्य की खोज में, रोशनी तले अंधेरा, राही को समझ नहीं आया । सत्य की खोज में, तीर्थयात्रा जारी रही, माता–पिता की सेवा सें परे, अपने... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 70 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Feb 2024 · 1 min read पिता और पुत्र कंधे पर, अपने पिता के , बेटा चढा है , मेला दिखाने , नङ्गे पाव, ठेलम-ठेल मे वह दौडा है । कभी जलेबी, खिलौने भी, जब उसने चाहा है, रेजकी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 99 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 10 Feb 2024 · 1 min read मजदूर संख्या मे हम भारी हैं, समूहों में भी हम कम नहीं , हमारे ही शक्तिबल से अन्न उपजे, हमारे संकट में कोई हमें न पूछे, एक कहावत है, टूटा हुआ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 51 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read मेरा दिन भी आएगा ! गाँव का एक भतीजा, अठारह वर्ष का वह, कह रहा था- अंकल, मेरा दिन भी आएगा । जब पहुँचा वह, तीस, तब भी कह रहा था– अंकल, मेरा दिन भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 88 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read गरीबों की जिंदगी कभी नमक, कभी कपड़े, दवा भी लेनी है, त्योहार की तैयारी चल रही होती है, बेटी की विदाई भी आ जाती है, उन्हें उपहार मे साड़ी, धोती और कुर्ता देने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 75 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read स्वयंभू वह कहते हैं– मैं प्रचारक, बुद्धिमानी किसी से कम नहीं हूं, दूसरों की बात क्यों मानूं, स्वयंभू किसी की बात कभी मानी है < उसके, ढोल की लय, ताल भी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 50 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read बचपन वो भी था एक जमाना, खुशियों का न कोई ठिगाना, हंसी मजाक खुब करना , चंदामामा का चाहना, तितली पकडने का बहाना, अहा, बचपन बहुत सुहाना । बांस के छड़ी... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 48 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 17 Feb 2024 · 1 min read तोता और इंसान इंसान को देखते ही, पंडित जी का तोता अनाहक बोला– हे मूर्ख ! यह सुनते ही मनुष्य आबाक है, उसके प्रतिक्रिया की स्थिति गौण है, परन्तु मन में वाणी की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 66 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 18 Feb 2024 · 1 min read भाषा मूल मातृभाषी लोग, अपनो ही से लुट गए, उनकी अपनी ही भाषा दूसरों के बन गए, उनकी बोली वीरान नहीं, पर वह वहिष्कृत हो गए, अविश्वासी भी बन गए, माँ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 80 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 20 Feb 2024 · 1 min read दो सहोदर दो सहोदर, साथ–साथ पला, बढा, पवरिश और छत्तरी, मार्ग, लक्ष्य भी एक, माता–पिता का, समान स्नेह भी मिला । पर, शादी होते ही, सबकुछ बदला, अब, दो सहोदर, अलग–अलग, ध्रुब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 67 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 20 Feb 2024 · 1 min read पिता का पेंसन इलाज और दवा, सेवा में भी हिसाब, वर्षो. से परंपरा बना, एक–एक हिसाब पर सभी चौकन्ना, पिता का पेंसन, बंदरबांट करते संतान । कपडे–लत्ते पुराना, नूतन नसीब कहा, अब, बेटे... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 65 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 20 Feb 2024 · 1 min read बेटी एक बेटी जो, आधुनिकता पर बेकाबू हैं, फैशन के दिनचर्या पर उतारु हैं, मनमर्जी परिवार पर हावी हैं, शादी भी खूद की पंसद करी हैं, पढाई में तेज होने के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 47 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Feb 2024 · 1 min read गुमशुदा लोग वह लोग, जो बार–बार विलिन होता हैं, दुसरे के छाया मे, जब वह खडा होता हैं, खुद गुमशुदा बन जाता हैं । वह लोग, जो खुद छाया नही बन पाता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 69 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 21 Feb 2024 · 1 min read सांस माक्स लगाकर, किसान चाचा, खेत की ओर कूंच करते, रास्ते में, मंगरू भैया, माक्स में ही मिलते ओ शौच से आते । आमने–सामने होते , मंगरू भैया, बोले झिझकते –... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 48 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 27 Jan 2024 · 1 min read कठपुतली ( #नेपाली_कविता) न कुनै प्रगतिवादी चरित्र , न त्यस अनुरुपको कुनै सोच, विचार र सिद्धान्त, मात्र हल्लाबोलमा रमाउँछ, टाई-सुटमा एउटा कठपुतली, समय–समयमा नाटक मञ्चन गर्छ । न कुनै योगदान, न त्यस अनुरुपको... Nepali · कविता 1 121 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Oct 2022 · 1 min read एउटा मधेशी ठिटो #दिनेश_यादव पढ्छ #गणित पढाउँछ #तथ्यांक #गुलामी, र #विवाद गर्छ #नेपालीमा कहिलेकाही झार्छ अनि भाँज्छ #हिन्दी लेख्छ, भडास् निकाल्छ #फेसबुकमा जब कसैको आमनेसामने हुन्छ #गलत कुरामा बिना सित्तै तन्किन्छ अनि अडिन्छ... Nepali · कविता 1 269 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 5 Oct 2022 · 1 min read खुशी (#Happy) खुसी खोज्न सहर जान्छु, खुसी हुन गाउँ फर्कन्छु, आउजाउमा सधैं व्यस्त रहन्छु, व्यस्तताले सहरमा उकुसमुकुस हुन्छु, अविकसित गाउँमा भने निराश बन्छु ।१। खुसी साट्न आफन्तजन खोज्छु, खुसीकै रहरमा घर-घर पनि... Nepali · कविता 1 550 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 6 Oct 2022 · 1 min read पिता कॉध पर, अपने पिता के , बेटा चढा है , मेला दिखाने , नङ्गे पाव, ठेलम-ठेल मे वह दौडा है ।1। कभी जलेबी, खिलौने भी, जब उसने चाहा है, रेजकी... Hindi · कविता 1 364 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 14 Jan 2023 · 1 min read नेता (Leader) भाषण ठोक्छ, आश्वासन बाँड्छ, झुठो #सपना पनि देखाउँछ, #जनअपेक्षा चाहीं निल्छ, कहिले #अभिनेता झै बन्छ, #यौनकर्मी झै #धर्मनिरपेक्ष पनि बन्छ, धेरैको साथ पनि हुन्छ, तर, #सहोदर कसैको कहॉ हुन्छ, ओजपूर्ण... Nepali · कविता 1 338 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 6 Feb 2023 · 1 min read धूर अहा बरद छी (मैथिली व्यङ्ग्य कविता) दोसरेके लेल बहब, खुट्टामे बानहल रहब, कुट्टीसानी लेल टुकुर–टुकुर ताकब, मलिकवाक दाना लेल कच्छर कातब, डिरिएबाक आदत बनाएब, तिरपित ओहीमे रहब, झुठ नई छै शनिश्चराक कहब– धूर अहा बरद छी... Maithili · कविता 1 459 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 7 Feb 2023 · 1 min read बाल्यकाल (मैथिली भाषा) छलैह एकटा जमाना, खुशीक नहि कुनू ठिगाना, चन्दामामा तर जेबाक चाहना, मुदा टाँट पर बैसल टिकुलीक दिवाना, आहा, बाल्यकाल बहुत सुहाना ।१। कर्चीक छडि बनाना, मास्टरजीक टेस्ट अपने पर करबाना,... Maithili · कविता 1 258 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 9 Apr 2023 · 1 min read नरभक्षी_गिद्ध एउटा नरभक्षी गिद्ध आफ्नैको सिकार गर्न उडाइयो । गन्तव्यविहिन त्यो आफ्नैलाई चिथोर्न थाल्यो । मानसिक रोगी बन्यो त्यो आफ्नैलाई बुटी-बुटी पार्न थाल्यो । चुच्चोमा आफ्नैको चोक्टा च्याँपी त्यो आकाशमा उडेको... Nepali · कविता 1 421 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 11 Apr 2023 · 1 min read धुवाँ (SMOKE) एउटा गन्तव्यविहिन मान्छे स्वतन्त्र देश बनाउन हिड्यो पटक–पटक राज्य विप्लव मुद्दा झेल्यो निच र कुकृत्यको अंधतामा आफ्नै आमालाई वेश्या पनि भन्यो सजायको भागिदारी बन्नुपर्नेमा आफ्नै सहोदरलाई विदेशी भन्दै रमायो आफैले... Nepali · कविता 1 255 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 21 Jan 2024 · 1 min read भूख भूखे हैं कुछ लोग देश, समाज के पहिचान, स्वाभिमान बचाने के जुनून मे परन्तु भावनाओं के गहरे दहलीज पर दिगभ्रमित करनेवाला भीड गला उसके रेटती है । भूखे है कुछ... Hindi · कविता 1 989 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Feb 2024 · 1 min read शहर में नकाबधारी इस जगत में, चारो तरफ झुठ ही झुठ है, सत्य को, पहचाने कैसे हम ? नकाबधारीयों की दबदबा है सहर में किस–किस को ऐना देखाएँ हम ? हर जगह मौसम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 69 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 3 Feb 2024 · 1 min read जीवन जीवन दो दिनों का मेला है, फिर लोग क्यों अपनों से करता झमेला हैं ।१। दुःख तो सभी को मिला है, फिर सुख में किस बात की रेला है ।२।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 82 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 3 Feb 2024 · 1 min read आखिर कब तक आखिर कब तक तुम अपने कातिल मुस्कान से मुझे तड़पाते रहोगे कम से कम एक बार तुम अपने सप्तरंगी ख्वाबो में मुझे बसा के तो देखो । आखिर कब तक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 81 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 3 Feb 2024 · 1 min read हम और तुम आँखो में बसा कर तुम्हे, जीवन नैया पार करने की तमन्ना है मेरी, दिल के धड़कन में बाँध कर, साथ-साथ जीने की आरजू हैं मेरी, इसिलिए आओ प्रिये ! वर्तमान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 102 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 3 Feb 2024 · 1 min read पागल बना दिया मैं कवि न था कभी लेकिन तुमने कवि बना दिया एक नेक दिल इंसान को पागल बना दिया । मैं शायर न था कभी लेकिन तुम्हारे प्यार ने शायर बना... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 2 91 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 3 Feb 2024 · 1 min read #पंचैती गावों मे चारों ओर अपराधों के जाल बिछा है, सामन्तीयों ने वहाँ कमजोरों को सदैव घेरते आया है, कभी बेटियाँ की ईज्जत पर धावा बोला हैं, कभी लोगों का धन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 83 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Oct 2022 · 1 min read खोपक पेरवा (लोकमैथिली_कविता) ●दिनेश यादव~ अंगनामे निमक गाछ पर भोरेभोर चिडै-चुनमुनी चुनचुन करैत छल कहियो अइ डाइर त कहियो ओइ डाइर फूद्फुद् सेहो करैत छल । डेढियासँ सटल काठक खोपमे बन्द फाटक छल... Maithili · कविता 1 196 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Feb 2024 · 1 min read हंसें और हंसाएँ किस से कौन क्या लेता हैं, किस को कौन क्या देता हैं, इसिलिए थोडा ही सही हंसें, इसिलिए थोडा ही सही दूसरों को हंसाएँ, सम्बन्ध एही तो हैं, खुद हंसें... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 65 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Feb 2024 · 1 min read भूखे हैं कुछ लोग ! भूखे हैं कुछ लोग देश, समाज के पहिचान, स्वाभिमान बचाने के जुनून मे परन्तु भावनाओं के गहरे दहलीज पर दिगभ्रमित करनेवाला भीड गला उसके रेटती है । भूखे है कुछ... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 76 Share Dinesh Yadav (दिनेश यादव) 4 Feb 2024 · 1 min read गरीब–किसान कभी बाढ ने लुटा, कभी सुखे ने, कभी कोरोना बीमारी से लुट गया, लुटाना जिसके नियत है, वह कोई नहीं गरीब–किसान हैं । फसल मे नुकसान, राहत के इरादे, दर–दर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 82 Share