दीपक झा रुद्रा Language: Hindi 160 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next दीपक झा रुद्रा 6 Mar 2022 · 1 min read मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा। *एक गीत पढ़िए शायद पसंद आ जाए* मेरा तन है संतापित है शापित शापित मन तेरा। प्रेम करेंगे हम लेकिन सह पाए न चितवन तेरा। मेरा तन है संतापित....... तुमको... Hindi · गीत 519 Share दीपक झा रुद्रा 6 Mar 2022 · 1 min read एक कवि मन कई वेदना,, एक कवि मन ,कई वेदना,, किस किस को हम ताल करेंगे? कब रक्तों को लाल करें हम? कब मेंहदी को लाल करेंगे? एक कवि मन ,कई वेदना........... कभी धूप से... Hindi · गीत 1 268 Share दीपक झा रुद्रा 6 Mar 2022 · 2 min read युद्धक भाषाओं से ऊपर की है परिभाषाएं! उन पंथों पर कभी नहीं टिकती बाधाएं! जिन पंथों पर चलकर कोई राम हुए। उन्हीं पंथ पर स्वर्णिम पानी घाम हुए। आज स्वेद की... Hindi · कविता 511 Share दीपक झा रुद्रा 2 Mar 2022 · 3 min read गुरु महिमा *गुरु महिमा* निर्भीकता से सम्मान हमेशा बचती है। पुलकित हर्षित भाव कथानक रचती है। मृदुलवाण होकर जो कर्तव्य निभाए। उनके वाणी में सदैव अमरत्व समाए। जिनके पग तल मैंने स्वर्ग... Hindi · कविता 451 Share दीपक झा रुद्रा 19 Jan 2022 · 1 min read बीत रही है शरद की अवधि,आएगी नव वर्ष पुन:। बीत रही है शरद की अवधि,आएगी नव वर्ष पुन:। पल्लवित होंगे फिर पुण्य वृक्ष, हर्षाएगी नव वर्ष पुन:। पुण्य ज्योति अब ऊर्ध्वाधर हो धवल सूर्य तक जाएगी। दिव्य प्रशस्ति धवल... Hindi · कविता 236 Share दीपक झा रुद्रा 15 Jan 2022 · 3 min read कवित्त की अनुभूति अनुभूति– 01 कुछ लोग साहित्यिक चर्चा इत्यादि में हिस्सा लेने के लिए शुक्ल लेते हैं। उनका मानना है कि वो श्रेष्ठ साहित्यकार हैं, और साहित्यिक ज्ञान देने के लिए ,शुल्क... Hindi · लेख 313 Share दीपक झा रुद्रा 9 Jan 2022 · 1 min read तो गैर पर तुम जवानी लिख दो!! एक ग़ज़ल के आबरू ओ अदब़ पर एक गुस्ताख़ी मुलाहिज़ा करें। 12–122–12–122//12–122–12–122 कोई तो तुहमत के पहलुओं पर हमारी ग़म की कहानी लिख दो। जो आंँख में हो लहू नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 270 Share दीपक झा रुद्रा 5 Jan 2022 · 1 min read भ्रूण वियोग आज कलुषित राग मन में है उमस बन। और कुछ ना शेष है अब साधना को। प्रेम का पहला ही अक्षर खो गया। है नहीं हिम्मत स्वयं से सामना को।... Hindi · गीत 2 2 374 Share दीपक झा रुद्रा 4 Jan 2022 · 1 min read विशिष्ट अनुप्रास तरुण तन तन्मय धनुष धर, धाग दिखत तीरता। धवल धावक धीर धारो, दीप तन्मय धीरता। तम ताम्य धरती धान्य धन ,धवल धीरज धारती। तरुण तन तारक तनत थन, तरल धेनु... Hindi · कविता 1 318 Share दीपक झा रुद्रा 2 Jan 2022 · 1 min read तुमको मुझसा दिवाना मिला ,प्यार कर लो बहाना मिला। तुमको मुझसा दिवाना मिला प्यार कर लो बहाना मिला। जबसे लब पर तेरा नाम है तबसे मुझको तराना मिला। लोग रखते नज़र हैं हमीं पर,देखने क्या छपा है जबीं पर... Hindi · गीत 1 360 Share दीपक झा रुद्रा 1 Jan 2022 · 1 min read प्रश्न क्या है एक कवि के आत्मा का हम बताएं? तथ्य पीड़ित कर रहा नव वर्ष कैसे हम मनाएं! प्रश्न क्या है एक कवि के आत्मा का हम बताएं? तथ्य पीड़ित कर रहा नव वर्ष कैसे हम मनाएं! तन ठिठुरता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 260 Share दीपक झा रुद्रा 30 Dec 2021 · 3 min read ज्ञान क्या है? दस पुस्तकें पढ़कर खुद को विद्वान मानने वाला नया विचार मुख्य धारा से जुड़े लोगों का होने लगा है। और दुष्प्रभाव यह है कि विद्वान प्रताड़ित किए जाने लगे हैं।... Hindi · लेख 390 Share दीपक झा रुद्रा 27 Dec 2021 · 4 min read कवित्त और राष्ट्रवाद कवित्त व राष्ट्रवाद शायरी और कविता करते करते ,,अचानक से महसूस होने लगता है। कुछ तो है..... जिसे मैं भूल रहा हूं,,कुछ हकीकत तो है जिसे लिखना चाहता था मैं,,और... Hindi · लेख 542 Share दीपक झा रुद्रा 4 Dec 2021 · 1 min read स्वर्णिम पानी *स्वर्णिम जल* जिन्हें चमकना है जल जल कर उनका है सम्मान कहो। है दिनकर का अंत रंग ये जलने का अरमान कहो। जलने वाले सदा दिखे हैं भगवा भगवा सेनानी।... Hindi · कविता 395 Share दीपक झा रुद्रा 3 Dec 2021 · 1 min read उजड़ रहे घरों को फिर बसाइए ज़मीन पर। 1212 1212 1212 1212 फ़लक फ़लक भटक लिए तो आइए ज़मीन पर। उजड़ रहे घरों को फिर बसाइए ज़मीन पर। ख़ुदा बनें यूं चाहतों में दफ्न आदमी न हो। सो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 226 Share दीपक झा रुद्रा 3 Dec 2021 · 1 min read वो चुलबुली हसीन है पगली की तरह है। चंद पंक्तियां देखिए 2212 1212 2212 12 मेरे रगों में दौड़ती बिजली की तरह है। वो चुलबुली हसीन है पगली की तरह है। मुझको मिली वो दूसरी उल्फत नसीब से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 299 Share दीपक झा रुद्रा 2 Dec 2021 · 1 min read कहीं दे रहा धुआंँ खिलौना। *ग़ज़ल खिलौना* जहांँ देखिए वहांँ खिलौना। मेरी आंँख में जहांँ खिलौना। कहीं रोशनी दिया है उसने। कहीं दे रहा धुआंँ खिलौना। बहुत खेल ली दिल से तुमने। बताओ रखा कहांँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 230 Share दीपक झा रुद्रा 30 Nov 2021 · 1 min read जब भी मिलना प्यार से मिलना मुझे। कुछ भी हो तो भूल मत जाना मुझे। जब भी मिलना प्यार से मिलना मुझे। एक तुम तक मुख़्तसर है ज़िंदगी। एक तेरे साथ है चलना मुझे। संग दिल है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 285 Share दीपक झा रुद्रा 29 Nov 2021 · 1 min read भूल जाओगे नशा फिर मयक़शी से। 2122 2122 2122 छोड़कर करना गिला शिकवा किसी से। जो मिला स्वीकार कर उसको खुशी से। मांग मत मुझसे ख़ुदा का अब पता जब। आदमी मिलता नहीं है आदमी से।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 360 Share दीपक झा रुद्रा 22 Nov 2021 · 1 min read मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी। जाओगी तुम भी मुझे,छोड़कर इक दिन प्रिय। मैं भी रोऊंगा सिसककर तुम भी रोओगी। अश्रुओं का मोल तब कुछ रह न पाएगा। अश्क मन चितवन नयन से जब गिराएगा। स्नान... Hindi · गीत 1 428 Share दीपक झा रुद्रा 21 Nov 2021 · 1 min read ऐसे छू छू जैसे बाला रूप में छुछुंदरी। *एक घनाक्षरी* *हास्य रस* सलीका नहीं पता तुम्हें बोलने का बोलती हो। ऐसे छू छू जैसे बाला रूप में छुछुंदरी। मुंह लटकाई ऐसे लगती हो जैसे कोई। बिल्ली बनना चाह... Hindi · घनाक्षरी 2 243 Share दीपक झा रुद्रा 20 Nov 2021 · 1 min read आज के कवि:दो टूक *आज के कवि:दो टूक* आज के ज्यादातर कवियों में मानसिक संकीर्णता है,,इनकी वास्तविक कवित्त चेतना जागृत ही नहीं हो पा रही है क्योंकि इनके विचारों में उदारक तत्वों की कमी... Hindi · लेख 4 2 265 Share दीपक झा रुद्रा 18 Nov 2021 · 1 min read पटकथा लिखने पधारो फिर से भूमि हे हरी। एक गीत समर्पित ❤️ पटकथा लिखने पधारो फिर से भूमि हे हरी। काल की काली घनेरी रो रही तुमको पुकारी। और रण चंडी भी जागी बोलती केशव मुरारी। पटकथा लिखने... Hindi · गीत 2 368 Share दीपक झा रुद्रा 17 Nov 2021 · 4 min read भारतीय शिक्षा नीति और संबंधित इतिहास #भारतीय_शिक्षा_नीति_व_संबंधित_इतिहास शिक्षा ,समाजिक चेतना,विकास, राष्ट्रवाद,मानविक आवश्यकताओं और सामाजिक समस्याओं को जानने समझने के लिए आवश्यक है। मानव सभ्यता के विकास में शिक्षा का अहम योगदान रहा है और शिक्षित व्यक्ति... Hindi · लेख 2 631 Share दीपक झा रुद्रा 15 Nov 2021 · 1 min read और तुम कहते हो मधुरिम गान गाओ!! सत्य की राहों पे गिरती बिजलियों को देखकर आती नई मधुमास गाओ! मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे। और तुम कहते हो मधुरिम गान गाओ! पुण्य कर्मों का ये... Hindi · गीत 1 226 Share दीपक झा रुद्रा 14 Nov 2021 · 1 min read क्यों न बाल दिवस हो उनके निशान पर। आओ आओ मैं सुनाऊं पुण्य इतिहास में हैं। खालसा के पंथ पंथ पंथ कुरबान पर। बीच दरबार में जो चुनवा दिए गए थे। साहिब के चार शहजादे बलिदान पर। अजीत... Hindi · घनाक्षरी 2 2 513 Share दीपक झा रुद्रा 13 Nov 2021 · 1 min read डूबकर हम तो बस डूब जाते रहे। जान अपनी जो तुमको बनाते रहे। तेरे राहों में दिल को बिछाते रहे। रात है चांदनी की मुकम्मल मुझे आंख में चांद फिर तो बसाते रहे। एक तू है हमारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 195 Share दीपक झा रुद्रा 7 Nov 2021 · 1 min read तू तो आ पूरी जिंदगी लेकर।। दिल के दुनियां में रोशनी लेकर। गम के महफ़िल में हर खुशी लेकर। मेरे उल्फत का हिफाज़त करने आइए शौक़–ए–शायरी लेकर। गुफ्तगू करनी है लंबी सी मुझे तू तो आ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 384 Share दीपक झा रुद्रा 18 Oct 2021 · 1 min read मेरी जांँ अब तो ज़मीं पर भी उतर कर देखो। आंँख के रस्ते कभी दिल से गुज़र कर देखो। मेरे आंँखों में है जमता सा समंदर देखो । पाक हो जाओगे जैसे कि पानी गंगा का हांँ मगर तुम मेरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 221 Share दीपक झा रुद्रा 17 Oct 2021 · 1 min read तमाम उम्र तितलियों से ज़ख्म खाया है । एक शायरी देखिए वो तो पत्थर पे भी उन्वान ए शजर कर देगा सुना है इश्क़ से उसने ये हुनर पाया है।। अपने दामन में गुलाबों को जगह दूं कैसे।... Hindi · शेर 256 Share दीपक झा रुद्रा 12 Oct 2021 · 1 min read आई हैं शेरा वाली मां नतमस्तक होकर ध्यान करें। जिनके तेजों के सम्मुख ,सूरज भी शीश झुकाता है। जिनके सांसों से यह वायु भी जन्म सदा से पाता है। हां उस मां के शुभ कृत्यों का आओ आओ बाखान... Hindi · गीत 1 264 Share दीपक झा रुद्रा 3 Oct 2021 · 1 min read वो जलजला बुलाएगा तो मशवरा दिया करूं!! एक ग़ज़ल बहुत दिनों बाद आपको निवेदित करता हूं। 1212 1212 1212 1212 नया है दर्द इश्क़ में नहीं तो क्या कहा करूं? जो दर्द आप दीजिए खुदा करे हँसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 246 Share दीपक झा रुद्रा 24 Sep 2021 · 1 min read दिल जो दिल से कभी लगाओ तो। दिल की चाहत जरा बताओ तो । पास अपने मुझे बुलाओ तो। भूल जाना कि क्या है ये दुनियां दिल जो दिल से कभी लगाओ तो। ना दिखेगा अंधेरा शहरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 792 Share दीपक झा रुद्रा 18 Sep 2021 · 1 min read दृश्य अंधे ने देखा है क्या पूछिए! एक मतला और चंद शे'र आप बेघर से घर का पता पूछिए। कैसे क्या क्या घटा हादसा पूछिए? कितने सिद्दत से चाहा है मैंने तुम्हें अपने दिल से मेरा क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 267 Share दीपक झा रुद्रा 11 Sep 2021 · 1 min read आप खुशबू बने फैलने आइए। आइए आइए अब चले आइए मेरे दिल में सनम बिन कहे आइए। आपको जो लिखूं गीत हो आरती आप गीतों की गुंजन बने आइए। मेरे ख्वाबों ख्यालों में आप हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share दीपक झा रुद्रा 10 Sep 2021 · 1 min read अगर प्रेम को पाना है तो , सत्य पथों पर आना होगा। अगर प्रेम को पाना है तो , सत्य पथों पर आना होगा। और हृदय में निष्छलता को, पुण्य मान अपनाना होगा। तुम सोचो क्या दृश्य प्रेम को यहां कलंकित करता... Hindi · गीत 1 274 Share दीपक झा रुद्रा 8 Sep 2021 · 1 min read एक तेरे दर से ही बस आस लगा बैठा हूं। एक ग़ज़ल देखिए। मैं हरेक दर्द अपने दिल में छुपा बैठा हूं। तेरे तस्वीर को सीने से लगा बैठा हूं। अब तो आ जाओ मोरनी दिल के उपवन में। अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 529 Share दीपक झा रुद्रा 8 Sep 2021 · 1 min read एक तेरे दर से ही बस आस लगा बैठा हूं। मैं हरेक दर्द अपने दिल में छुपा बैठा हूं । तेरे तस्वीर को सीने से लगा बैठा हूं। अब तो आ जाओ मोरनी बन के उपवन में अब तो आंखों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 237 Share दीपक झा रुद्रा 3 Sep 2021 · 1 min read स्वाभिमानी भरत पुत्र दो घनाक्षरी उस स्वाभिमानी भरत पुत्र के लिए,जिसने फुटबाल खिलाड़ी बनने का सपना इसीलिए छोड़ दिया कि उसे तुलसी माला को गले से निकालने के लिए कहा गया। खेल भाव... Hindi · घनाक्षरी 1 277 Share दीपक झा रुद्रा 31 Jul 2021 · 1 min read मलाल 221 1221 1221 212 हम उनसे वफ़ा ऐसे निभाते चले गए। सच होके भी सर अपना झुकाते चले गए। महफ़िल में कई प्रश्न थे मेरे वजूद पर। तो खुद को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 284 Share दीपक झा रुद्रा 28 Jul 2021 · 1 min read जवान लीजिए एक कवित्त घनाक्षरी आपको निवेदित❤️ युद्ध मध्य जो निचोड़े शत्रुओं को निंबुओ सा प्रतिनिधि वीरता के आन कहे जाते हैं। मात भारती के प्रति होकर आसक्त पुत बलिदान दें... Hindi · घनाक्षरी 1 356 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jul 2021 · 2 min read विरह वेदना मैं गलत हर वक्त हूं विध्वंस में और वास में। मैं सही न हो सका इस काल के अट्टहास में। जाइए अब आप तो मुझको अकेला छोड़कर। माफ करिएगा कि... Hindi · कविता 1 466 Share दीपक झा रुद्रा 5 Jul 2021 · 1 min read आहें जीवन का गीत रहा है। किसे बताऊं हाल है दिल का दिल पर क्या क्या बीत रहा है। भटका भटका फिरता हूं कि आहें जीवन का गीत रहा है। बचपन में पचपन के जैसे चिंता... Hindi · गीत 1 1 257 Share दीपक झा रुद्रा 10 Jun 2021 · 1 min read पहुंँचता हूंँ वहां पर भी जहांँ लश्कर नहीं आते। एक ग़ज़ल बहुत दिनों के बाद। मेरी वो जान ओ हमदम दिली दर पर नहीं आते। जो आते हैं तो गुस्से में कभी हँसकर नहीं आते। कि जिनके इश्क़ में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 262 Share दीपक झा रुद्रा 8 Jun 2021 · 2 min read मैं हूं मोहब्बत के साजिशों से तुड़वाया मैं गया हूं। अपनो के अक्लियत से झुकवाया मैं गया हूं। मेरा खुमार है ये इल्म– ए–सुखन न कहना। मेरा है हिमाकत ये इसको कलम... Hindi · कव्वाली 4 6 400 Share दीपक झा रुद्रा 8 Jun 2021 · 1 min read उन्हीं के याद में मरकर भी जिंदा रह रहा हूं मैं। एक ग़ज़ल की कोशिश 1222 1222 1222 1222 बहर–मुफाईलुन क़ाफिया – अह रदीफ-रहा हूं मैं किसी के याद में रहकर, ग़ज़ल इक कह रहा हूं मैं। उन्हीं के याद में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 247 Share दीपक झा रुद्रा 8 Jun 2021 · 1 min read बारिश 1222 1222 मुझे अक्सर रुलाती है तुम्हें अक्सर हंसाती है कहीं बह जाए ना फसलें ये चिंता भी सताती है । पला है द्वंद मन में यह अगर बारिश ना... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 1 323 Share दीपक झा रुद्रा 28 May 2021 · 1 min read बरसात मनहरण घनाक्षरी नीर के जो बूंद संग गिर रहे प्रेम रंग, फूल फुलवारी को झुमाया बरसात है। बंजर धरा भी होती हरियाली दिख रही, पोखरों में कमल खिलाया बरसात है।... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · घनाक्षरी 3 4 288 Share दीपक झा रुद्रा 27 May 2021 · 2 min read बेबसी बेबसी के आग में जलता हुआ यूं छोड़कर। वो चल दिए हैं बेखबर, बेवजह मुंह मोड़कर। छोड़िए क्या आप भी, कहते हो कुछ कुछ सोचकर सच कहूं तो टीस पहुंची... Hindi · कविता 2 500 Share दीपक झा रुद्रा 22 May 2021 · 1 min read दिवस बरसात की आई , चलो झूमें चलो घूमें दिवस बरसात की आई , चलो घूमें चलो घूमें। गिरी जो इश्क़ की बूंदे लगी छूने चलो घूमें। कि बादल को मुहब्बत से भरी दामन कहूं पहले हरेक कतरा को... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 269 Share Previous Page 2 Next