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3 Dec 2021 · 1 min read

वो चुलबुली हसीन है पगली की तरह है।

चंद पंक्तियां देखिए

2212 1212 2212 12
मेरे रगों में दौड़ती बिजली की तरह है।
वो चुलबुली हसीन है पगली की तरह है।

मुझको मिली वो दूसरी उल्फत नसीब से ।
लेकिन वो प्यार देती तो पहली की तरह है।

है तल्ख़ वो मिजाज़ से मीठी जुबान से।
नखरिली सी अदाओं से इमली की तरह है।

नाजुक गुलाब जैसी है बागों में खिल रही।
रंगों से मेरी जान तो तितली की तरह है।

©®दीपक झा रुद्रा

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