दीपक झा रुद्रा Tag: कविता 77 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक झा रुद्रा 2 Apr 2024 · 1 min read तुम कहो या न कहो तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंगा। इंद्रधनुषी रंग के, तुम तो हो अवयव कदाचित.... व्योम के मस्तक की... Hindi · कविता · गीत 105 Share दीपक झा रुद्रा 21 Feb 2024 · 1 min read तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा। तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा। सिर्फ़ तेरे वास्ते तैयार अपना दिल रखा। एक कवि वैराग्य को ऐसे दिखाया है यहांँ। इश्क़ की बुनियाद पर आपको मंज़िल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 73 Share दीपक झा रुद्रा 6 Feb 2024 · 1 min read हमनवा हमनवा 212 212 212 212 इक तुम्हीं थे मेरे हमनवा हमनवा... बाकी जीवन में क्या ही बचा हमनवा। आंँख भर देखता मैं तुम्हें ही तो था.... तुमने सोचा नहीं मेरे उल्फत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 83 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read अंतर्मन में खामोशी है एक गीत आपके हवाले!! अंतर्मन में ख़ामोशी है ऊपर ऊपर क्या बोलूंँ? तेरा सच है ज्ञात सभी को तुझको पत्थर क्या बोलूंँ? उमस भरा मन के आंँगन में, तुलसी तुम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 107 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे.... सत्य की राहों पे गिरती बिजलियोंँ को देखकर आती नई मधुमास गाओ। मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे। और तुम कहते हो मधुरिम गान गाओ। पुण्य कर्मों का ये... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 116 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read जो कहना है,मुंह पर कह लो मैं क्या हूं? अंबर की चाहत! फिर तू क्या है ? मेरी चाहत दुनियांँ का सच? शैतानी है! तेरा क्या है?मैं हूंँ केवल बाक़ी दुनियां?इक धोखा है! जो है दिल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 108 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read गीत पिरोते जाते हैं प्यारी आंखों के सपने जब टूटे हों तब मासूम से दिल भी रोते जाते हैं आंँखों से जो गिरी अश्क की कुछ बूंदें हम शायर हैं गीत पिरोते जाते हैं।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 87 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 4 min read विरह योग चांँद अपना जिसने छोड़ा इस गगन में। प्रश्न है उस प्रेमी के मन के अंँगन में। प्रेम अनैतिक हुआ अवधारणा क्यूंँ? प्रेम से उच्छल हृदय में साधना क्यूंँ? प्रश्न है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 110 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है। हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है। और सुखों की, आस लिए जुगनू केवल पछताता है। जब दीप बुझे दोषारोपित होने लगती है मंद पवन। किंतु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 41 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं? धस रही धरा तल से प्रतिपल,फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं? अंतश है धुंध से आच्छादित,कैसे अब दीप जलाऊंँ मैं! नव कुंज सा खिलता प्रश्न दिखा, उत्तर क्यों है कोलाहल में?... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 62 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read सच दुनियांँ को बोल नहीं निश्छल मन का है मोल नहीं,लेकिन वो मन बेमोल नहीं। कुदरत को प्यारा निश्छल मन,मानुष का सच तो बोल नहीं। ये कनक सोहती है उसको,जो पड़े गरलता के पीछे। उनका... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read अभिशाप मैं गलत हर वक्त हूंँ विध्वंस में और वास में। मैं सही न हो सका इस काल के अट्टहास में। जाइए अब आप तो मुझको अकेला छोड़कर। माफ करिएगा कि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 43 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read उर से तुमको दूंँ निर्वासन। अक्सर आंँसू ने धोखा से छोड़ा नयन का व्योम अकिंचन। घटना है, प्रयास अथक है, मन से तुमको दूंँ निर्वासन। फूल सरीखा दिल है मेरा तुम कहते हो पत्थर होने।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 55 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read छलावा बन गई दुल्हन की किसी की मुहब्बत का जनाजा उठ रहा है... छलावा बन गई दुल्हन की किसी की। यहांँ पर रूह ही बिखरा पड़ा है तुम्हें परवाह है बस ज़िंदगी की। शहर में आज ठंडक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 76 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read अभिषापित प्रेम मैं अभिषापित प्रेम के भाषा का गायक मैं संयोजित व्यथा पंथ का इक नायक मैं गाऊंगा करुण रूदन क्रंदन भंजन अपमानित गुंजन दर्पण का अपवर्तन रम्य विलासित यौवन तुम्हें बधाई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 48 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read उम्र भर इस प्रेम में मैं बस तुम्हारा स्वप्न पाऊंँ इस हृदय का भाव गर,तुझको नहीं स्वीकार प्रियतम... तो भला मैं स्वयं से कैसे कहो नज़रें मिलाऊँ। ज्ञात है गंतव्य पर हो चुका अधिकार किसका, हूं प्रतीक्षारत तुम्हारा,उम्रभर ठहरा रहूंँगा।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 111 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read चलिए देखेंगे सपने समय देखकर दिन की आशा तुम्हीं, तुम्हीं ही उल्फत ए शब जुगनुएंँ जी रहे हैं तुम्हें देखकर। किसके सूरत में बसता है ये चांँद और अपनी किरदार बोलो जरा सोचकर। बन के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · कविता/गीतिका 105 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read क्योंँ छोड़कर गए हो! 2212 122 ,2212 122 तुमसे गिला नही है, मुंँह मोड़कर गए हो। खुद से ही पूछता हूंँ, क्योंँ छोड़कर गए हो। बिखरे हुए थे कब के, मलबा है दिल में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 34 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read तुम दरिया हो पार लगाओ जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ... दिल के बचैनी मौसम में , फूलों की बौछार लगाओ। जीवन की जर्जर कश्ती है..... बहुत अचंभित मैं होता हूंँ,सुन अश्रव्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रेम गीत 113 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read एक तुम ही थे हमारे एक तुम ही थे हमारे किस सपन की बात करता। नेत्र के अंँधेर नगरी में मैं कैसे रश्मि भरता। बाक़ी कुछ मैं क्या बताऊंँ रोऊंँ या चिखूंँ चिल्लाऊंँ मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत · नई वाली हिंदी · प्रेम गीत 86 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read द्वंद मन मृदुल भाव का घोतक था,जिसको दुनियां ने छला बहुत। माना दीपक बुझ गया किंतु,संघर्ष पंथ पर जला बहुत। जीवन ने अवसर दिया नहीं,किस्मत से अक्सर हारा मैं। मेहनत में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 77 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read पीड़ाओं के संदर्भ पीड़ाओं के संदर्भों में, रिश्तों का खेल अनोखा है। है व्यथित हृदय,क्या मौन रहूंँ?या कह दूंँ सब कुछ धोखा है। धोखा है दिनकर का दिन भी,धोखा है चांँदनी रातें भी।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 75 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read विरह पीड़ा है विरह की पीर करुणा स्याही बनकर गीत लिख दो जिसमें मेरी हार हो उसमें उनकी जीत लिख दो भावनाएंँ अब विखंडित हो रही मेरे हृदय में जिसमें स्नेहिल चिर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 54 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की? शीर्षक आज मेरी कविताएं मुझसे पूछ रही. आज मेरी कविताएं मुझसे पूछ रही... कहां गए वो भाव अमर उद्घोषों की। जहां व्यथाएं स्वर्णिम अक्षर होती थी... जहां चेतना व्योमी उर्ध्वर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 69 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read स्वीकार्य व्योम में दिखता विकृति नेत्र से गिरता लहू है चांँद की मोहक छवि से तुम भले बादल हुए हो। उत्सवों की रश्मियों से है प्रकाशित यह नगर, पर मेरे मन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 50 Share दीपक झा रुद्रा 5 Apr 2023 · 1 min read करुणा, स्याही बनकर गीत लिख दो.... है विरह की पीर करुणा स्याही बनकर गीत लिख दो जिसमें मेरी हार हो उसमें उनकी जीत लिख दो भावनाएं अब विखंडित हो रही मेरे हृदय में जिसमें स्नेहिल चिर... Hindi · कविता · गीत · विरह गीत 2 2 218 Share दीपक झा रुद्रा 1 Apr 2023 · 2 min read पीड़ाओं के संदर्भ पीड़ाओं के संदर्भों में, रिश्तों का खेल अनोखा है। है व्यथित हृदय,क्या मौन रहूं?या कह दूं सब कुछ धोखा है। धोखा है दिनकर का दिन भी,धोखा है चांदनी रातें भी।... Hindi · कविता · पीडा · संदर्भ 277 Share दीपक झा रुद्रा 31 Mar 2023 · 1 min read स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में....... स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में....... स्वागत है कोंपल क्रीड़ा में, मन के उपवन को महकाओ। जीवन है इक बाग सरीखा रंग रंग के वृक्ष लगाओ। एक वृक्ष हो पीपल जैसा... Hindi · Hindi · कविता · कोंपल · क्रीड़ा · हिंदी 209 Share दीपक झा रुद्रा 30 Jan 2023 · 1 min read एक तुम ही थे हमारे किस सपन की बात करता। एक तुम ही थे हमारे किस सपन की बात करता। नेत्र के अंधेर नगरी में मैं कैसे रश्मि भरता। बाक़ी कुछ मैं क्या बताऊं रोऊं या चिखूं चिल्लाऊं मन में... Hindi · कविता · प्रेम गीत · वियोग श्रृंगार · विरह गीत 252 Share दीपक झा रुद्रा 27 Jan 2023 · 1 min read उर से तुमको दूंँ निर्वासन! अक्सर आंँसू ने धोखा से छोड़ा नयन का व्योम अकिंचन। घटना है, प्रयास अथक है, मन से तुमको दूंँ निर्वासन! फूल सरीखा दिल है मेरा तुम कहते हो पत्थर होने।... Hindi · कविता · गीत · प्रेम · विरह गीत 149 Share दीपक झा रुद्रा 18 Jan 2023 · 2 min read पश्चाताप की अग्नि बन रहे थे तुम उपासक किसलिए.. सह रहे थे कल्प त्रासक किसलिए... जब वफ़ा की कद्र मैं न कर सका आंँख में पानी तलक न भर सका। मैं तुम्हें वीरांगना... Hindi · कविता · पश्चाताप 1 273 Share दीपक झा रुद्रा 25 Dec 2022 · 1 min read जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ... जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ... दिल के बचैनी मौसम में , फूलों की बौछार लगाओ। जीवन की जर्जर कश्ती है..... बहुत अचंभित मैं होता हूं,सुन अश्रव्य... Hindi · कविता · गीत · जर्जर कश्ती 4 3 326 Share दीपक झा रुद्रा 25 Aug 2022 · 1 min read मैथिली कविता दुख दिवस दीन संकट देखूँ। हँ अछि अनहार विकट देखूँ। मन द्वंद सँ लड़ि रहल ऐसगर सभ आंँखिक में आयि प्रकट देखूँ। निश्छल मन प्रेम उपासक बनि.. पथ पर पसरल... Maithili · कविता · मैथिली 2 454 Share दीपक झा रुद्रा 2 Jul 2022 · 1 min read एक हो भाई एक हो चारा भाई चारा भाई चारा... एक हो भाई एक हो चारा भाई चारा... भाई चारा... गौ माता के हत्यारों से... अस्मत के दुत्कारों से... कन्हैया के चितकारों से कमलेश के रक्तिम... Hindi · कविता · खोखली हिंदूवाद · हिंदी कविता · हिंदूवाद 2 152 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2022 · 4 min read दुर्गावती:अमर्त्य विरांगना दुर्गावती:अमर्त्य विरांगना! आज एक बलिदानी गाथा तुम्हें सुनाने आया हूंँ। इस भारत की नींव कहां है तुम्हें दिखाने आया हूंँ! भूल गए बलिदानी पूर्वज की अमर्त्य सी गाथाएंँ। वही गुमा... Hindi · कविता · कालिंजर की राजकुमारी दुर्गावती · गोंडवाना का इतिहास · दुर्गावती पर कविता · दुर्गावती रानी 2 795 Share दीपक झा रुद्रा 16 Apr 2022 · 4 min read प्रेम अध्याय (भाग १) चांद अपना जिसने छोड़ा इस गगन में। प्रश्न है उस प्रेमी के मन के अंगन में। प्रेम अनैतिक हुआ अवधारणा क्यूं? प्रेम से उच्छल हृदय में साधना क्यूं? प्रश्न है... Hindi · कविता 179 Share दीपक झा रुद्रा 15 Mar 2022 · 1 min read कश्मीर फाइल्स से बाहर। एक कहानी जो कैद है कश्मीर की सीमाओं तक। जग जाहिर होगी निर्लज सियासी मतलब और चंद उन्मादियों की बर्बरता!! वही कहानी जिसे जानकर भी बोलना अभिशाप है निरक्त देहों... Hindi · कविता 230 Share दीपक झा रुद्रा 7 Mar 2022 · 1 min read सम्यक स्वर क्रांति ज्वाल हो तन मालिन जब फूलों की, दोषी भौंरा हो जाता है। और सुखों की, आस लिए जुगनू केवल पछताता है। जब दीप बुझे दोषारोपित होने लगती है मंद पवन। किंतु... Hindi · कविता 309 Share दीपक झा रुद्रा 6 Mar 2022 · 2 min read युद्धक भाषाओं से ऊपर की है परिभाषाएं! उन पंथों पर कभी नहीं टिकती बाधाएं! जिन पंथों पर चलकर कोई राम हुए। उन्हीं पंथ पर स्वर्णिम पानी घाम हुए। आज स्वेद की... Hindi · कविता 511 Share दीपक झा रुद्रा 2 Mar 2022 · 3 min read गुरु महिमा *गुरु महिमा* निर्भीकता से सम्मान हमेशा बचती है। पुलकित हर्षित भाव कथानक रचती है। मृदुलवाण होकर जो कर्तव्य निभाए। उनके वाणी में सदैव अमरत्व समाए। जिनके पग तल मैंने स्वर्ग... Hindi · कविता 451 Share दीपक झा रुद्रा 19 Jan 2022 · 1 min read बीत रही है शरद की अवधि,आएगी नव वर्ष पुन:। बीत रही है शरद की अवधि,आएगी नव वर्ष पुन:। पल्लवित होंगे फिर पुण्य वृक्ष, हर्षाएगी नव वर्ष पुन:। पुण्य ज्योति अब ऊर्ध्वाधर हो धवल सूर्य तक जाएगी। दिव्य प्रशस्ति धवल... Hindi · कविता 236 Share दीपक झा रुद्रा 4 Jan 2022 · 1 min read विशिष्ट अनुप्रास तरुण तन तन्मय धनुष धर, धाग दिखत तीरता। धवल धावक धीर धारो, दीप तन्मय धीरता। तम ताम्य धरती धान्य धन ,धवल धीरज धारती। तरुण तन तारक तनत थन, तरल धेनु... Hindi · कविता 1 318 Share दीपक झा रुद्रा 4 Jan 2022 · 1 min read द्वीटा मुक्तक देखू द्वीटा मुक्तक देखू बहि रहल आँखि सँ देखू झरना। हाल कहू नै कोना छी सजना? शीत पसरल य रौदि रुसल य! हम निपै छी नोर सँ अंगना। हाल बुझै छी... Maithili · कविता 1 231 Share दीपक झा रुद्रा 4 Dec 2021 · 1 min read स्वर्णिम पानी *स्वर्णिम जल* जिन्हें चमकना है जल जल कर उनका है सम्मान कहो। है दिनकर का अंत रंग ये जलने का अरमान कहो। जलने वाले सदा दिखे हैं भगवा भगवा सेनानी।... Hindi · कविता 395 Share दीपक झा रुद्रा 8 Nov 2021 · 1 min read आब भोग प्रितक तों दण्ड। किये अभगला प्रीत केले तों आब भोग प्रितक तों दण्ड बड़े निक छलहू तोहर प्रेयसी बड़े रहौ ने प्रेम क घमंड !! ई प्रेम ककर भेेले अहि जग में जे... Maithili · कविता 7 2 345 Share दीपक झा रुद्रा 8 Nov 2021 · 1 min read हम दिल के दीपक मिझा रहल छी *एक टा मुक्तक या मैथिली गज़ल के एक मतला एक शे'र* हम दिल के दीपक मिझा रहल छी अहां के चिट्ठी जरा रहल छी। अहां के आदत लगल जे हमरा... Maithili · कविता 2 1 250 Share दीपक झा रुद्रा 8 Nov 2021 · 1 min read खुन सँ खत़ लिखल अछि पठाबि कोना? नोर सँ गीत लिखल यऽ गाबि कोना? राति आजुक कठिन अछि बिताबि कोना? भेल देखल नै हुनका सँ आँखिक नोर। खुन सँ खत़ लिखल अछि पठाबि कोना? दीपक झा "रुद्रा" Maithili · कविता 2 1 490 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jul 2021 · 2 min read विरह वेदना मैं गलत हर वक्त हूं विध्वंस में और वास में। मैं सही न हो सका इस काल के अट्टहास में। जाइए अब आप तो मुझको अकेला छोड़कर। माफ करिएगा कि... Hindi · कविता 1 466 Share दीपक झा रुद्रा 27 May 2021 · 2 min read बेबसी बेबसी के आग में जलता हुआ यूं छोड़कर। वो चल दिए हैं बेखबर, बेवजह मुंह मोड़कर। छोड़िए क्या आप भी, कहते हो कुछ कुछ सोचकर सच कहूं तो टीस पहुंची... Hindi · कविता 2 500 Share दीपक झा रुद्रा 25 Apr 2021 · 1 min read असहाय *असहाय* अपने पत्नी को खोकर बन गया दरिद्रता का निवाला इलाज़ जरूरी था तो बेच दी सारी दौलत बेटी के कहने पर। जो थी जीने की वजह लेकिन वो भी... Hindi · कविता 1 500 Share Page 1 Next