दीपक झा रुद्रा 187 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक झा रुद्रा 15 Apr 2025 · 1 min read या तो स्वयं के हाथ से श्मशान कर दो। मेरे उर में त्रासदी की इक लड़ी है... मेरे आंसू वेदनाओं की कड़ी है मेरी धड़कन बन गई घावों की आहट तुम अगर चाहो तो सब आसान कर दो। अभिशप्त... Hindi 36 Share दीपक झा रुद्रा 10 Apr 2025 · 1 min read अम्बर जब जब रोया होगा,रातें तब चिल्लाई होंगी... अम्बर जब जब रोया होगा,रातें तब चिल्लाई होंगी... आशाएं भंगूर हो हो कर,गीत त्रासदी गाई होंगी। अंधेरों के सभागार में, सिर्फ़ अकेले हम जलते हैं। अग्नि शैल पर पग धर... Quote Writer 40 Share दीपक झा रुद्रा 10 Apr 2025 · 1 min read मन की विचलन मन ही जाने, और भला किसको कहता हूं। मन की विचलन मन ही जाने, और भला किसको कहता हूं। व्याकुलता के जद में आकर भी मैं केवल खुश रहता हूं। कितना जटिल है भौतिकता में स्वर्ण सफलता को... Hindi · कविता 38 Share दीपक झा रुद्रा 10 Apr 2025 · 1 min read _तुमसे एक समन्वय खातिर, मेरी ग़ज़ल अधूरी होगी।_ *नव गीत* साख शजर से जब बिछड़े तो,काव्य कोष कमजोरी होगी। तुमसे एक समन्वय खातिर, मेरी ग़ज़ल अधूरी होगी। कितने तो अंबर के तारे टूटे होंगे मुझे देखकर... कितने तो... Hindi · Hindi_poetry_हिंदी_कविता · कविता 39 Share दीपक झा रुद्रा 7 Apr 2025 · 1 min read जब मुहब्बत ही कर लिया तो सोचना क्या है? जब मुहब्बत ही कर लिया तो सोचना क्या है? चलो चलें, कि ये जोखिम भी उठाया जाए। चांँद रुसवा हो तो, रातों पे यूंँ इल्ज़ाम न दो। चाहे जिस तौर... Quote Writer 36 Share दीपक झा रुद्रा 14 Mar 2025 · 1 min read इस दिल में जो बसी थी वो भोली चली गई है। इस दिल में जो बसी थी वो भोली चली गई है। प्रेमी के चाहतों से रंगोली चली गई है। किस वास्ते मैं खेलूं रंगों का पर्व पावन उससे बिछड़ के... Quote Writer 38 Share दीपक झा रुद्रा 13 Mar 2025 · 1 min read यह हार,जीत का गहना है। जब मेहनत फीकी पड़ जाए या स्वप्न भाग्य से लड़ जाए। क्या किंचित तुम्हें निराशा है क्या विलचित तेरी आशा है। माना कि मैं हूं राम नहीं। सह सकता वन... Hindi 45 Share दीपक झा रुद्रा 3 Mar 2025 · 1 min read डायरी के पहले पेज पर बना डायरी के पहले पेज पर बना एक स्कैच! क्या है, किसका है ? मत पूछो। बस ख़ामोश रहो और अपने चेहरे को देखो तो सोचो मेरे दिल का आकार ठीक... Quote Writer 1 37 Share दीपक झा रुद्रा 14 Nov 2024 · 1 min read हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना। हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना। और मुझको पुण्य पावन प्रीत का पर्याय करना। मैं किसी महाग्रंथ का हूं पात्र ,घायल जुगनुओं से। तुम नवी संशोधनों... Quote Writer 128 Share दीपक झा रुद्रा 6 Nov 2024 · 1 min read जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है। जीव के मौलिकता से परे हो,व्योम धरा जल त्रास बना है। जीवन के अपयश को नकारा,है फिर जीवन खास बना है प्रेम के पग पग पंकज के रस से ही... Quote Writer 139 Share दीपक झा रुद्रा 20 Oct 2024 · 1 min read ग़ज़ल होती है। अश्क आंखों में जो आए तो, ग़ज़ल होती है.... मेरी सांसों में तू छाए तो, ग़ज़ल होती है। लफ़्ज़ पर दस्तरस कइयों को है मगर जानाँ। आह,मिसरे में सजाए, तो... Hindi · ग़ज़ल · दीपक झा रुद्रा · हिंदी ग़ज़ल 1 1 221 Share दीपक झा रुद्रा 20 Oct 2024 · 1 min read कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी। कुर्बतों में रफ़ाकत थी, बहुत तन्हाइयां थी। बातें थी मगर बातों में भी रुसवाईयां थी। गले लगता रहा हूं आपसे मैं यकबयक लेकिन अंधेरा आंख में था बाहों में परछाइयां... Quote Writer 108 Share दीपक झा रुद्रा 20 Oct 2024 · 1 min read आने को तो आ जाएंगे बेदिल वफ़ा के साथ.... आने को तो आ जाएंगे बेदिल वफ़ा के साथ.... लेकिन मुझे जचा नहीं रहना दिया के साथ। शब ए ग़मो की मौज से बाहर न कीजिए... मिन्नत है छूट जाए... Quote Writer 234 Share दीपक झा रुद्रा 13 Oct 2024 · 1 min read धर्म के परदे के पीछे, छुप रहे हैं राजदाँ। धर्म के परदे के पीछे, छुप रहे हैं राजदाँ। भोज्य बिन व्याकुल हृदय का पूछता ही कौन है। कलम घिसने की कला को भूलकर इतरा रही... क्रंदनो के कड़वापन से... Quote Writer 143 Share दीपक झा रुद्रा 3 Oct 2024 · 1 min read मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे... मेरे स्वर जब तेरे कर्ण तक आए होंगे... तुमने भी अभ्युदय गीत गाए होंगे। इसी आस में हमने उस पर गीत लिखे सुनकर वो दो बोल तो दुहराए होंगे। अनुभूतियों... Quote Writer 431 Share दीपक झा रुद्रा 8 Sep 2024 · 1 min read उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा... उसकी आवाज़ हरेक वक्त सुनाई देगा... मेरे आंखों सिर्फ़ वो ही दिखाई देगा। इसी यकीन से मैं उम्रभर बीमार रहूं कभी तो वो मुझे आकार के दवाई देगा। दीपक झा... Quote Writer 148 Share दीपक झा रुद्रा 17 Aug 2024 · 1 min read उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं। उम्रभर रोशनी दिया लेकिन,आज दीपक धुआं धुआं हूं मैं। वास्ता इश्क़ है या पागलपन ,देख तो लो कहां कहां हूं मैं। दिलकशी, ऊन्स, चाहत,अकीदत,इबादत भी मुकाम ही हैं इश्क़ का... Quote Writer 241 Share दीपक झा रुद्रा 15 Aug 2024 · 2 min read झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ?? झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ पूछो झंडा कहां लगाऊं, बोलो साहब कहां लगाऊं!! तेरी इसकी उसकी सबकी यादें सभी अधूरी है सपने सच होने बाकी हैं रावी... Hindi · झंडा · तिरंगा · पंद्रह अगस्त · स्वतंत्रता और सीमाएँ · स्वतंत्रता दिवस 3 154 Share दीपक झा रुद्रा 20 Jul 2024 · 1 min read चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों का गगन था..... चाहतों की सेज न थी, किंतु ख्वाबों का गगन था..... मेरे तो हर गीतिका में आफताबों का गगन था। दीपक Quote Writer 159 Share दीपक झा रुद्रा 1 Jun 2024 · 1 min read हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का हैं जो कुछ स्मृतियां वो आपके दिल संग का मुझको पागल ही किए जाएंगे मद उस रंग का। शायरी के आशिक़ी में मयकशी तक आ गया.... कौन गाएगा ग़ज़ल अब... Quote Writer 335 Share दीपक झा रुद्रा 1 Jun 2024 · 1 min read आप देखो जो मुझे सीने लगाओ तभी आप देखो जो मुझे सीने लगाओ तभी हाथ से हाथ मिलाते हैं सियासत वाले। दीपक झा रुद्रा Quote Writer 191 Share दीपक झा रुद्रा 2 Apr 2024 · 1 min read छंद *घनाक्षरी* प्रास प्रोत का प्रयास प्रवर प्रकाश पुंज प्रेषण प्राचीर पुरूषार्थ प्रतवाण है। प्राण की प्रदिप्तता की प्रथा से परे पुरुष प्रेम पंथ के पुनीत हित परिहाण है। प्रचंडता के... Hindi · अनुप्रास · अलंकार · घनाक्षरी · छंद · दीपक झा रुद्रा 1 1 220 Share दीपक झा रुद्रा 2 Apr 2024 · 1 min read तुम कहो या न कहो तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंगा। इंद्रधनुषी रंग के, तुम तो हो अवयव कदाचित.... व्योम के मस्तक की... Hindi · कविता · गीत 174 Share दीपक झा रुद्रा 27 Mar 2024 · 1 min read मैं मुहब्बत के काबिल नहीं हूं। मैं हूं पतझड़ से गिरता महज पर्ण सा,तेरे ख्वाबों का साहिल नहीं हूं । मेरी मंज़िल है आगों से लिपटी हुई मैं मुहब्बत के काबिल नहीं हूं। मिन्नते आरजू छोड़... Hindi · उर्दू हिंदी ग़ज़ल 167 Share दीपक झा रुद्रा 21 Feb 2024 · 1 min read तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा। तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा। सिर्फ़ तेरे वास्ते तैयार अपना दिल रखा। एक कवि वैराग्य को ऐसे दिखाया है यहांँ। इश्क़ की बुनियाद पर आपको मंज़िल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 149 Share दीपक झा रुद्रा 20 Feb 2024 · 1 min read तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा तुम कहो या न कहो,है उम्रभर की यह प्रतीक्षा और तुमसे जो मिली है ,वो व्यथा सहता रहूंँगा। इंद्रधनुषी रंग के, तुम तो हो अवयव कदाचित.... व्योम के मस्तक की... Poetry Writing Challenge-2 · गीत · प्रेम 1 184 Share दीपक झा रुद्रा 6 Feb 2024 · 1 min read हमनवा हमनवा 212 212 212 212 इक तुम्हीं थे मेरे हमनवा हमनवा... बाकी जीवन में क्या ही बचा हमनवा। आंँख भर देखता मैं तुम्हें ही तो था.... तुमने सोचा नहीं मेरे उल्फत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल 274 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read अंतर्मन में खामोशी है एक गीत आपके हवाले!! अंतर्मन में ख़ामोशी है ऊपर ऊपर क्या बोलूंँ? तेरा सच है ज्ञात सभी को तुझको पत्थर क्या बोलूंँ? उमस भरा मन के आंँगन में, तुलसी तुम... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 207 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे.... सत्य की राहों पे गिरती बिजलियोंँ को देखकर आती नई मधुमास गाओ। मौत नर्तन कर रही सर पर मेरे। और तुम कहते हो मधुरिम गान गाओ। पुण्य कर्मों का ये... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 188 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read जो कहना है,मुंह पर कह लो मैं क्या हूं? अंबर की चाहत! फिर तू क्या है ? मेरी चाहत दुनियांँ का सच? शैतानी है! तेरा क्या है?मैं हूंँ केवल बाक़ी दुनियां?इक धोखा है! जो है दिल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 218 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read गीत पिरोते जाते हैं प्यारी आंखों के सपने जब टूटे हों तब मासूम से दिल भी रोते जाते हैं आंँखों से जो गिरी अश्क की कुछ बूंदें हम शायर हैं गीत पिरोते जाते हैं।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 149 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 4 min read विरह योग चांँद अपना जिसने छोड़ा इस गगन में। प्रश्न है उस प्रेमी के मन के अंँगन में। प्रेम अनैतिक हुआ अवधारणा क्यूंँ? प्रेम से उच्छल हृदय में साधना क्यूंँ? प्रश्न है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 247 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है। हो तन मालिन जब फूलों का, दोषी भौंरा हो जाता है। और सुखों की, आस लिए जुगनू केवल पछताता है। जब दीप बुझे दोषारोपित होने लगती है मंद पवन। किंतु... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 104 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं? धस रही धरा तल से प्रतिपल,फिर कैसे गीत सुनाऊंँ मैं? अंतश है धुंध से आच्छादित,कैसे अब दीप जलाऊंँ मैं! नव कुंज सा खिलता प्रश्न दिखा, उत्तर क्यों है कोलाहल में?... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 143 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read सच दुनियांँ को बोल नहीं निश्छल मन का है मोल नहीं,लेकिन वो मन बेमोल नहीं। कुदरत को प्यारा निश्छल मन,मानुष का सच तो बोल नहीं। ये कनक सोहती है उसको,जो पड़े गरलता के पीछे। उनका... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 213 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read अभिशाप मैं गलत हर वक्त हूंँ विध्वंस में और वास में। मैं सही न हो सका इस काल के अट्टहास में। जाइए अब आप तो मुझको अकेला छोड़कर। माफ करिएगा कि... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 126 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read उर से तुमको दूंँ निर्वासन। अक्सर आंँसू ने धोखा से छोड़ा नयन का व्योम अकिंचन। घटना है, प्रयास अथक है, मन से तुमको दूंँ निर्वासन। फूल सरीखा दिल है मेरा तुम कहते हो पत्थर होने।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 121 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read छलावा बन गई दुल्हन की किसी की मुहब्बत का जनाजा उठ रहा है... छलावा बन गई दुल्हन की किसी की। यहांँ पर रूह ही बिखरा पड़ा है तुम्हें परवाह है बस ज़िंदगी की। शहर में आज ठंडक... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 209 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read अभिषापित प्रेम मैं अभिषापित प्रेम के भाषा का गायक मैं संयोजित व्यथा पंथ का इक नायक मैं गाऊंगा करुण रूदन क्रंदन भंजन अपमानित गुंजन दर्पण का अपवर्तन रम्य विलासित यौवन तुम्हें बधाई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 145 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read उम्र भर इस प्रेम में मैं बस तुम्हारा स्वप्न पाऊंँ इस हृदय का भाव गर,तुझको नहीं स्वीकार प्रियतम... तो भला मैं स्वयं से कैसे कहो नज़रें मिलाऊँ। ज्ञात है गंतव्य पर हो चुका अधिकार किसका, हूं प्रतीक्षारत तुम्हारा,उम्रभर ठहरा रहूंँगा।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 183 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read चलिए देखेंगे सपने समय देखकर दिन की आशा तुम्हीं, तुम्हीं ही उल्फत ए शब जुगनुएंँ जी रहे हैं तुम्हें देखकर। किसके सूरत में बसता है ये चांँद और अपनी किरदार बोलो जरा सोचकर। बन के... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · कविता/गीतिका 223 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read क्योंँ छोड़कर गए हो! 2212 122 ,2212 122 तुमसे गिला नही है, मुंँह मोड़कर गए हो। खुद से ही पूछता हूंँ, क्योंँ छोड़कर गए हो। बिखरे हुए थे कब के, मलबा है दिल में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 99 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read तुम दरिया हो पार लगाओ जीवन की जर्जर कश्ती है,तुम दरिया हो पार लगाओ... दिल के बचैनी मौसम में , फूलों की बौछार लगाओ। जीवन की जर्जर कश्ती है..... बहुत अचंभित मैं होता हूंँ,सुन अश्रव्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · प्रेम गीत 186 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read एक तुम ही थे हमारे एक तुम ही थे हमारे किस सपन की बात करता। नेत्र के अंँधेर नगरी में मैं कैसे रश्मि भरता। बाक़ी कुछ मैं क्या बताऊंँ रोऊंँ या चिखूंँ चिल्लाऊंँ मन में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत · नई वाली हिंदी · प्रेम गीत 201 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read द्वंद मन मृदुल भाव का घोतक था,जिसको दुनियां ने छला बहुत। माना दीपक बुझ गया किंतु,संघर्ष पंथ पर जला बहुत। जीवन ने अवसर दिया नहीं,किस्मत से अक्सर हारा मैं। मेहनत में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 146 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 2 min read पीड़ाओं के संदर्भ पीड़ाओं के संदर्भों में, रिश्तों का खेल अनोखा है। है व्यथित हृदय,क्या मौन रहूंँ?या कह दूंँ सब कुछ धोखा है। धोखा है दिनकर का दिन भी,धोखा है चांँदनी रातें भी।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 151 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read विरह पीड़ा है विरह की पीर करुणा स्याही बनकर गीत लिख दो जिसमें मेरी हार हो उसमें उनकी जीत लिख दो भावनाएंँ अब विखंडित हो रही मेरे हृदय में जिसमें स्नेहिल चिर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 1 198 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read कहांँ गए वो भाव अमर उद्घोषों की? शीर्षक आज मेरी कविताएं मुझसे पूछ रही. आज मेरी कविताएं मुझसे पूछ रही... कहां गए वो भाव अमर उद्घोषों की। जहां व्यथाएं स्वर्णिम अक्षर होती थी... जहां चेतना व्योमी उर्ध्वर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत 134 Share दीपक झा रुद्रा 5 Feb 2024 · 1 min read स्वीकार्य व्योम में दिखता विकृति नेत्र से गिरता लहू है चांँद की मोहक छवि से तुम भले बादल हुए हो। उत्सवों की रश्मियों से है प्रकाशित यह नगर, पर मेरे मन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 126 Share दीपक झा रुद्रा 20 Aug 2023 · 1 min read ग़ज़ल दिल मेरा जब आपके ही सादगी तक आ .... जो कभी मासूम था, आवारगी तक आ गया। कल तलक तुमसे बिछड़कर जी ही लेता मैं मगर... आज तेरा ख़्वाब मेरी... Hindi · इश्क़ · प्रेम · मुहब्बत · मोहब्बत इश्क़ Love Poetry · हिंदी ग़ज़ल 431 Share Page 1 Next