दीपक चौबे 'अंजान' Tag: ग़ज़ल/गीतिका 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid दीपक चौबे 'अंजान' 21 Feb 2018 · 1 min read यूँ जीवन में प्यार बहुत है, यूँ जीवन में प्यार बहुत है, मिले जो थोड़ा यार बहुत है । प्यास हमारी मिट जाएगी, मन सरिता की धार बहुत है । एक तुम्हारे बिन ही साथी, रहता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 408 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हार बनती जा रही है । माँ कलेजे से लगा बन,लोरियाँ सद्भाव पाकर, लाड़ले को प्रेम का उपहार बनती जा रही है । प्रीत दिल में है जगाए, नेह दीपक यूँ जगाकर, प्रेम का सुंदर सुघड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 405 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हमें अब छोड़ती दुनिया लगा दी आग अब दिल में,तमाशा देखती दुनिया, मज़ा तुम भी कभी लूटो,है' जैसे लूटती दुनिया । हमारा क्या तुम्हारा क्या,बराबर हो नहीं सकते, हमें दिल हारना तुम पर,तुम्हें है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 370 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नदी अश्क़ों के' धारे हैं । अज़ब इंसाफ़ क़ुदरत का, बने हम दो किनारे हैं, इधर हम हैं उधर तुम हो, नदी अश्क़ों के' धारे हैं । इबादत में झुके हम हुस्न की रोया जहां छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 191 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read नदी अश्क़ों के' धारे हैं । अज़ब इंसाफ़ क़ुदरत का, बने हम दो किनारे हैं, इधर हम हैं उधर तुम हो, नदी अश्क़ों के' धारे हैं । इबादत में झुके हम हुस्न की रोया जहां छोड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 243 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रुको तो न जाओ अभी तो बुलाया । गगन इस तरह से लगे झिलमिलाया, दियों को दिलों में किसी ने जलाया । लगी आज कहने झड़ी आँसुओं की, रुको तो न जाओ अभी तो बुलाया । हमें दुख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 472 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read हमारी प्रेरणा बनकर हमें ज़िंदा किया तुमने, हमारी प्रेरणा बनकर हमें ज़िंदा किया तुमने, बड़ा अहसान है मुझ पर चलो अच्छा किया तुमने । तरसते ही रहे हम तो नज़र भर प्यार को देखो, ख़ुशी से मर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read दिलों की पीर नयन को सजल ही लिख दो । लिखो तो गीत कोई एक ग़ज़ल ही लिख दो, दिलों की पीर नयन को सजल ही लिख दो । ग़रीबों के वो सितारे चमकते झोपड़ियों में, तरसते नींद को ऊँचे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 223 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ग़ुलिश्तां में नये पौधे, लगाना भी ज़रूरी है । दरिन्दों से परिन्दों को, बचाना भी ज़रूरी है, ग़ुलिश्तां में नये पौधे, लगाना भी ज़रूरी है । दिखे मंज़र भयानक ही, लगे अब आइना झूठा, लुटेरों के नक़ाबों को ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read बदलती करवटें देखो बदलती करवटें देखो, सुलगती सलवटें देखो । उनींदी आँख, तकिये सँग, उलझती हैं लटें देखो । बरसते नैन के मेघो ! तरसते चैन को दिलबर । तुम्हारी याद में रातें,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 365 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read ये'जीवन यूँ ग़ुजरता है, नशा जैसे उतरता है । ये'जीवन यूँ ग़ुजरता है, नशा जैसे उतरता है । हमारा हुस्न अब हमसे,सँवारे ना सँवरता है । नशीली आँख का जादू, रसीले होंठ बेक़ाबू, पड़े ख़ाली हैं' पैमाने,भरे से अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 205 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चलो हर गली एक मंदिर बना दें, चलो हर गली एक मंदिर बना दें, ख़ुदा का बसेरा हो' मस्ज़िद बना दें । उठीं जो दिवारें जहाँ मज़हबों की, चलो आओ' मिलकर उन्हें हम गिरा दें कभी जान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 205 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read चलो फ़रियाद करते हैं, चलो फ़रियाद करते हैं, ख़ुदा को याद करते हैं । सफल हो जाएँ' मनसूबे, करम नाबाद करते हैं । बहुत शोषण किया तूने, तुझे बरबाद करते हैं । सभी हक़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 220 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read रूठती वो रही हम मनाते रहे । ज़िंदगी में कई मोड़ आते रहे, हम मग़र हर समय गुनगुनाते रहे । गीत में ढल गई ज़िंदगी की तपन, ख़ुद को'लिखते रहे और सुनाते रहे । रेत से ढह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 413 Share दीपक चौबे 'अंजान' 9 Feb 2018 · 1 min read वही अपना किनारा है समंदर का करें हम क्या हमें झरना ही' प्यारा है, जहाँ दिल प्यास मिट जाए वही अपना किनारा है । उठाकर हाथ छू लो तुम बुलंदी चढ़ शिखर चूमो, मे'री... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 207 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read मुहब्बत इक इबादत है ज़रूरी दिल की चाहत है मुहब्बत इक इबादत है । मगर सदियों से दुनिया में ज़माने से बगावत है । तमन्ना आज भी दिल में कि दिलबर कोई मिल जाए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share दीपक चौबे 'अंजान' 8 Feb 2018 · 1 min read क्या तुम्हारा आदमी से अब रहा नाता नहीं । बढ़के' बेबस को सहारा क्यों दिया जाता नहीं, क्या तुम्हारा आदमी से अब रहा नाता नहीं । सर्द रातों में ठिठुरते जो पड़े फुटपाथ पर, जाके' सिगड़ी पास उनके कोई'... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 221 Share