©️ दामिनी नारायण सिंह 94 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 ©️ दामिनी नारायण सिंह 16 Sep 2021 · 1 min read "जब छलता है मानव तो" जब छलता है मानव तो; प्रकाश जैसी होती है उष्मा ? अधर तक आकर मिल प्रश्नों से; मौन उत्तर देती है उष्मा। ये दिव्यरूप सी बालाएं देखो कैसे कुंदन हो... Hindi · कविता 1 287 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 14 Sep 2021 · 1 min read हिंदी जंग है हाँ ये आखिरी, सुन सको तो सुन लो हाँ, प्राण पर आघात हो या सिंधु पे कोई बात हो, नवसृजन की बात जब फैसला उत्तरार्ध हो, हाँ, फैसला... Hindi · कविता 1 278 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 11 Sep 2021 · 1 min read "संकल्प" हरितालिका तीज कुछ और नहीं बस उस वेदी का संकल्प जिससे लयबद्ध हो अपनी आजाद आत्मा को रंग डालती हैं, सामने खड़े उस इकलौते मानवके हँथेली पर सजेलाल-पीले सिंदूर के रंग मे... Hindi · कविता 1 228 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 5 Sep 2021 · 1 min read लाइट कैमरा और ऐक्शन लाइट कैमरा और एक्शन ये सिर्फ रंगमंच की कहानी नहीं है . ये कहानी है जिंदगी की जहाँ शाम ढलने पर रात होती है और रात ढलने पर सुबह अंगारे... Hindi · लेख 1 504 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 2 Sep 2021 · 1 min read थोड़ी थोड़ी शायर सी सुना था खुशियों के बीच जिंदगी होती है पर वहाँ जल्दी क्युं सोती है ? फिर कभी नहीं जागने के लिये ©️_दामिनी नारायण सिंह Hindi · शेर 2 240 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 30 Aug 2021 · 1 min read खेल और बाजी हम गुल्ली डंडा बढ़िया खेलते थे..नहींनहीं...बहुत बढ़िया डेंगा पानी और झील कटोरा भी कबड्डी में कभी नहीं जीत पाये हाँ वो बैडमिंटन जिसमें सीमा रेखा की बंदिश न हो विथ... Hindi · लेख 230 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 26 Aug 2021 · 2 min read 26 अगस्त1303 जौहर "रानी पद्मावती" 26अगस्त1303 16000वीरांगनाएं सोलह श्रृंगार...हाँथ में पूजा की थाल...जगमगाती आभा जलते दिये के बीच जागृत होता चैतन्य जैसे शुन्य पे केंद्रित निर्णय अटल दिव्यमान वो बढ़ रही होंगी; नेतृत्व की मशाल... Hindi · लेख 351 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 14 Aug 2021 · 2 min read किसने दिया ये हक था; तय कीमत पे हो आजादी ? आजाद हम तभी तक; आजाद तुम तभी तक हम हैं हमारे वश में हाँ तुम हो तुम्हारे वश में। ?? अगर है याद तुमको; अगर है याद हमको वो जहर... Hindi · कविता 2 248 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 11 Aug 2021 · 1 min read हाँ हमसब अराध्य श्रीराम के वंशज हैं ब्लड ग्रुप मैच होना जरूरी नहीं~न ही सरनेम जाती गोत्र के तहकीकात में समय देकर खुद को संशय में डालें हे राम! तुम पूर्वज थे या नहीं ? जैसे हवा,जल,... Hindi · लेख 1 409 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 7 Aug 2021 · 1 min read मेजर ध्यानचंद ?? उसने ही रचा था; आरंभ के पन्नों पर विश्व-नक्शे पर तुम्हारा नाम। ? एक स्टीक पर मचलती गेंद को स्थिर कर गोल तक पहुँचा; संघर्ष के हर गलियारे को लांघ।... Hindi · कविता 2 2 236 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 30 Jul 2021 · 2 min read सुनो तो ! सुनो_तो ! एक परिंदा था; उड़ता रहता बेखौफ ; अनन्त की ओर..? बिना डरे बिना रुके; शाम ढलते ही जब भी उसे गगन और आंगन में चूनना होता, बिना किसी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 610 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 29 Jul 2021 · 1 min read "बस फैसले के इंतज़ार में' आन बान शान फर्क नहीं काल कोठरी या नीला अंबर कट्टे का जलवा अपराध बन अहंकार दिर्घ अंतराल से पोषित राज करता कल भी आज भी कह कानून को अंधा... Hindi · कविता 2 235 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 27 Jul 2021 · 1 min read "आज जिक्र जो सरहद तेरा आया" आज जिक्र जो सरहद-तेरा आया, वीर फरिस्तों का वो साया, दिल देख रहा है-फिर वो मंजर, लहू में लिपटी साँसें उनकी, जिद तिरंगा लहराने की, ये हिन्द तुमको याद तो... Hindi · कविता 2 4 271 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 26 Jul 2021 · 1 min read "कारगिल विजय दिवस" जब जब मांगेगी धरती कफन बन सज जाउंगा। भारतभूमि तुं अराध्य मेरी तेरे चरणों में झुक जाउंगा। ©दामिनी ?️ Hindi · कविता 1 2 242 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 24 Jul 2021 · 2 min read "ब्राह्मण कोई जीव नहीं; ब्राह्मणत्व एक गुण है" कोई विशेष नहीं, कोई अशेष नहीं तप की कसौटियों पर खुद को निर्मोही बनाता भौतिकता के आँगन में भी; सात्विकता का भोग लगाता अरे बावले! "ब्राह्मण कोई जीव नहीं ब्राह्मणत्व... Hindi · लेख 3 2 302 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 22 Jul 2021 · 1 min read "जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे" जंग कभी अच्छी नहीं लगी उसे बस जिंदगी की गुलाम थी~हसरतों से बहुत दुर पर आसमान के बहुत पास~ख्वाबों से इतना इश्क~हकीकत भी शरमा जाए...? उसे पता था बस एकबार... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 2 449 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 20 Jul 2021 · 1 min read "थोड़ी थोड़ी शायर सी" कहीं कोई तो पर्दा हो ✨️ वो एक रंग जर्दा हो अबकी सरहद जो कभी बोली 🌧 फिरदौस तक पहरा हो ©️_दामिनी नारायण सिंह Hindi · शेर 247 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 19 Jul 2021 · 2 min read "आधी रात के बाद" वो शाम थी; ठीक ऐसे ही बारिश वाली; मौसम सर्द ; आधी रात के बाद का वक्त, सड़क बिल्कुल सुनसान, सड़क किनारे वो खड़ी; जैसे ही दूर हेडलाइट की रोशनी... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 323 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 16 Jul 2021 · 1 min read "माँ बेटी संवाद चार वर्षीय बेटी के साथ" "संवाद" बेटीः उदास क्यूँ हो क्या हुआ ? तुम देर से क्यूँ आयी ? स्नुर (सहेली) पहले चली गयी माँः ...सॉरी...बारिश हो रही है..न...बेटा..तो ममा धीरेधीरे आ रही थी; तुम्हें... Hindi · लेख 2 369 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 15 Jul 2021 · 1 min read "समय है अपराजित" अधीर हो अगर तुम ; व्याकुल हाँ चित्त है, धीरज धरो हाँ जो कहता हृदय है, ठहरो जरा तुम हाँ ठहरो जरा तुम ! आया नहीं हाँ अभी तेरा वक्त... Hindi · कविता 305 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 15 Jul 2021 · 1 min read थोड़ी थोड़ी शायर सी:) तुम लड़खड़ाते कदमों के साहिल नहीं, ??? बेशक कारवां में शामिल हो तुम ! ©दामिनी कोट् ✍️ Hindi · शेर 1 239 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 10 Jul 2021 · 2 min read जब मेले ने देखा चुड़ियों से मिल "इश्क का रंग" क्यूँ ले लिया उनका सामान ? अच्छ एक बात बताओ दीदी ! क्या ? आपने ऐसा मरद देखा है जो अपनी बीबी को चुड़ियाँ चुराकर दे दे चुप क्यूँ हो...बोलो... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 4 299 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 9 Jul 2021 · 1 min read "आरंभ से कोई मिला नहीं है" बहुत दिनों से कुछ लिखा नहीं है; सच में क्या कुछ दिखा नहीं है, या नव उष्मा से वंचित हुँ मैं; क्या नवप्रभात ने छुआ नहीं है, ☀️ संशय है... Hindi · कविता 2 423 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 7 Jul 2021 · 1 min read निर्भय; अखंड;अपराजित है भारत ! मुखमंडल पर जीवन है; अराध्य शीर्ष की गाथा से, वर्तमान सुनो ! तुम्हें याद है न वो जो वैभव लौटा भारतमाता से ; क्षणिक वेदना हुंकार लिये ; पथ स्मृति... Hindi · कविता 2 2 656 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 6 Jul 2021 · 1 min read थोड़ी थोड़ी शायर सी:) दुश्मन भी देखकर बनाइये, जमीर को फक्र तो हो; कोई टकराया है। ©दामिनी कोट् Hindi · शेर 239 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 5 Jul 2021 · 2 min read सुनो ! आज इतवार है न सुनो आज इतवार है न ! रजाई मुस्कुराती...धुप मुझे छुती और मैं लंबी सांस लेता; इससे पहले.....इतनी लम्बी लिस्ट...ओह और तभी तुम्हारे शौक भी तो बड़े है... ये जो मण्डे... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 775 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 4 Jul 2021 · 2 min read स्वामी विवेकानंद जी ️ एक ऐसी शख्सियत जिनका हर लफ्ज़ आपको तराश सकता है...मौत नहीं छूती ऐसे मन को वो ना होकर भी बस रोशन करता रहता है खुद से होकर गुजरने वाले हर... Hindi · लेख 243 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 2 Jul 2021 · 1 min read "थोड़ी थोड़ी शायर सी" जब होती हैं दुआओं से लबालब कश्तियाँ, पतवार के हिस्से होता है दरिया के पार जाना। ©दामिनी कोट्स ✍ Hindi · शेर 2 460 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 1 Jul 2021 · 1 min read "शांत चित्त हाँ भारतम्" ️ तुम्हारे धड़कनों की आग से मिला जो वो कहीं जल उठी हाँ हर शिला दीप बन यहीं वहीं ? पुकारता जो मध्य है आरंभ के प्रवाह में साथ चल के... Hindi · कविता 2 2 352 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 30 Jun 2021 · 1 min read "उसने देखा था" उसने देखा था कोमलता के चरम पर ताउम्र पल्लवित हृदय की विशालता का टुकड़ों में परिवर्तन अभिमान था उसे सुरज सा तेज लिये आरंभ की उस कसौटी पर जिसका सिंचन... Hindi · कविता 2 2 428 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 30 Jun 2021 · 1 min read "हसरत क्युँ थी आने की" एक सावन आया; बातें करता; मिल कर के वो जाने की अब क्या मैं कहुँ उससे कि फिर क्युँ ; हसरत थी हाँ आने की, आने की।। ©दामिनी कोट्स ✍? Hindi · शेर 2 247 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 29 Jun 2021 · 1 min read "थोड़ी थोड़ी शायर सी" ना हो खबर तो आजमाना कभी, आइना बता देगा फितरत तेरी। ©दामिनी कोट्स Hindi · शेर 286 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 28 Jun 2021 · 1 min read "हारे कोई भी; हम जीते नहीं" प्रेम खुद से किया है जो हमने हाँ अब; दौर तेरा है; हमसे कहते हैं सब। क्या मैं कहुँ; सब ठहरा ही है, ये जो आलम है मुझमें हाँ मुझसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 259 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 27 Jun 2021 · 1 min read "आलिंगन प्रेम का" स्पर्श में चाँदनी हवाएं जो छुने से पहले आती हों; दूर समंदर को लांघ क्षितिज जिन्हें हर रोज चुमते हों सितारें गगन में देख शक्ल मतवाली हो उठती हो शाम... Hindi · कविता 4 3 271 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 26 Jun 2021 · 1 min read "जीत" जश्न ही बता देता है~जीत किसकी है। ©दामिनी कोट्स Hindi · शेर 2 592 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 25 Jun 2021 · 1 min read कह दो! कह दो आइने से ✨️ एक और जन्म लुँगा तुम्हारी ख्वाहिशों की खातिर ©_ दामिनी नारायण सिंह Hindi · शेर 2 367 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 25 Jun 2021 · 1 min read "किसे दोष दें" किसे दोष दें किसे कहें प्रकाश विपदा की इतनी सुरत कब देखी थी जितनी देख रही सदी एक साथ अभी तो कैद ने जामा पहना है संभल संभर कर पग... Hindi · कविता 2 453 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 25 Jun 2021 · 1 min read "बरसात" ️ बरस ही गये न तुम ! ☔ और कसम से क्या बरसे...☔....तेज भी धीरे भी शीतल भी खुबसूरत भी आभास था हमें...आखिर रूख्सत ऐसे तो नहीं करोगे तुम ! कहने... Hindi · लेख 1 403 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 25 Jun 2021 · 1 min read "उत्तर से दक्षिण" उत्तर से दक्षिण की राहे; कल कल बहती नदियों की बाहें , सीमित धैर्य अदम्य सा साहस; कहती जैसे आरंभ की राहें , वो दुधिया रंग जो गर्भ गंगा का;... Hindi · कविता 2 2 418 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 24 Jun 2021 · 1 min read "चोट छोटी भी हो" चोट छोटी भी हो; दिल पे लगती है पर ये भी सच है; बिन ठोकर बस्तियां कहाँ बचती है ? सिर्फ रोशनी हो तो रह जाता है सब भीतर ही;... Hindi · मुक्तक 1 281 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 24 Jun 2021 · 1 min read "जब मन समझे" ️ जब मन समझे; ध्यान की भाषा, अभय निर्भय; परिणाम की भाषा, जब करुणा खुद संसार बने, अधर मुखर अविराम की आशा, तब श्रृष्टि की तय श्रृखंला में फिर से एक... Hindi · कविता 1 449 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 23 Jun 2021 · 2 min read जब मेले ने देखा चुड़ियों से मिल "इश्क का रंग" क्यूँ ले लिया उनका सामान ? अच्छ एक बात बताओ दीदी ! क्या ? आपने ऐसा मरद देखा है जो अपनी बीबी को चुड़ियाँ चुराकर दे दे चुप क्यूँ हो...बोलो... Hindi · लघु कथा 2 252 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 23 Jun 2021 · 1 min read "नहीं बनना दुर्बल" ️ परवरिश ने माना बचपन ने थामा नियत में रहता ईश्वर हमेशा...☀️ नहीं धर्म कोई मानवता से ऊपर, नींव में रहता; जहाँ नेक पत्थर, बस वहीं फुल खिलते इंसानियत का सुन... Hindi · कविता 2 254 Share ©️ दामिनी नारायण सिंह 23 Jun 2021 · 1 min read "मैं प्रभात का नवसृजन" मैं प्रभात का नवसृजन; जीवनचक्र की परिभाषा, नहीं रुकता समय का पहिया; बस उतरार्द्ध दर्शाता। गर्भ में ले कल की गरिमा; जो इस चक्र को समझ जाता, पथ फिर निर्जन;... Hindi · कविता 3 4 449 Share Previous Page 2