Deepesh Dwivedi Language: Hindi 77 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read आत्मजा पुत्री तुमने गोद में आकर मुझको कितना बड़ा बनाया पहले तो मैं साधारण था तुमने ही तो पिता बनाया सारी खुशियां भर दी तुमने आखिर मेरी झोली में लेकिन मैं... Poetry Writing Challenge 1 105 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read कही अनकही वे शब्द जो मैंने कहे नहीं, वे गीत जो तुमने सुने नहीं तुम मन अधरों से छू देना सारे मुखरित हो जाएंगे कल को यह देह रही न रही पर... Poetry Writing Challenge 1 231 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read तुम मेरे प्राण मै जर्जर नौका का नाविक और तुम ही मेरा किनारा हो वह कौन अभागा होगा जो सचमुच न हुआ तुम्हारा हो कृशकाय हुआ है तन तो क्या काया तो नश्वर... Poetry Writing Challenge 1 149 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read प्रेम प्राण तुमने हमको ऐसे देखा बस परिवर्तन हो गया मेरा पतझड़ सावन होगया मेरा,रोदन गायन हो गया मेरा जब नयन मिले फले पहले-पहले मन मे कुछ-कुछ अनुभूति हुई जग समझा हमको... Poetry Writing Challenge 1 147 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read सहधर्मिणी तुम यदि जीवन मे न मिलते अश्रु दृगों से कभी न ढलते हाँ तुमने मुस्कान मुझे दी लेकिन रोना भी सिखलाया मैं तो कभी न हुआ किसी का सबका होना... Poetry Writing Challenge 1 232 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read विडंबना क्यों कविता पर पहरे लगते?क्यों गीत को कारावास मिले? क्यों सियाराम सतचिदानंद को अनचाहा बनवास मिले? यह यक्षप्रश्न सा मचल रहा है मन के मानसरोवर में, क्यों हंसों को कालापानी... Poetry Writing Challenge 1 203 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read गजल एक चाँद फ़िर बढ़ते-बढ़ते घट गया है सफ़र भी मुख्त्सर था कट गया है दरोदीवार क्यों सूने हैं दिल के कोई साया यहाँ से हट गया है जिसे छोड़ आए थे... Poetry Writing Challenge 1 202 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read आकाश पढ़ा करते हैं बीती घटनाओं का इतिहास पढ़ा करते हैं आजकल रोज़ हम आकाश पढ़ा करते हैं ज़िंदगी दर्द है या दर्द का परिणाम है ये व्यक्ति है आत्मा या देह का ही... Poetry Writing Challenge 2 99 Share Deepesh Dwivedi 16 May 2023 · 1 min read मुक्ति कैसे पाऊँ मन भटकता किस तरह समझाऊँ मैं? माँ!तुम्हारे द्वार कैसे आऊँ मैं? भक्ति है न ज्ञान है न साधना फिर भी करना चाहता आराधना मन को यह संसार चाहे बाँधना बंधनों... Poetry Writing Challenge 1 100 Share Deepesh Dwivedi 15 May 2023 · 1 min read चलाचली यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए सतचिन्मय दिव्य अनुदान मिले अमृतमय सब वरदान मिले परिपूरित शुभ आशीषों से ज्योतिर्मय निशा-विहान मिले कैसे मानूँ घनघोर तिमिर... Poetry Writing Challenge 1 100 Share Deepesh Dwivedi 21 Jun 2020 · 1 min read हे पिता तुम पुरुष हो तुम पिता हो अपने बच्चों के पिता हो तुम स्वयं के भी पिता हो तुम पिता के भी पिता हो तुम हिमालय के शिखर हो क्षितिज का... Hindi · कविता 2 1 346 Share Deepesh Dwivedi 1 Aug 2019 · 1 min read आत्मज उदित के जन्मदिवस पर हवा संदली तुमको लोरी सुनाए सुबह गुनगुनी कान में गुनगुनाए हों सुमनों से सज्जित तुम्हारी फिजाएं सदा खुश रहो हैं हमारी दुआएं सितारे हो झिलमिल तुम्हारी निशा मे चिरागों की... Hindi · कविता 1 487 Share Deepesh Dwivedi 6 Feb 2019 · 1 min read सहधर्मिणी तुम यदि जीवन मे न मिलते अश्रु दृगों से कभी न ढलते हाँ तुमने मुस्कान मुझे दी लेकिन रोना भी सिखलाया मैं तो कभी न हुआ किसी का सबका होना... Hindi · कविता 1 351 Share Deepesh Dwivedi 2 Feb 2017 · 1 min read मुक्ति कैसे पाऊँ मैं? मन भटकता किस तरह समझाऊँ मैं? माँ!तुम्हारे द्वार कैसे आऊँ मैं? भक्ति है न ज्ञान है न साधना फिर भी करना चाहता आराधना मन को यह संसार चाहे बाँधना बंधनों... Hindi · कविता 2 1 504 Share Deepesh Dwivedi 3 Nov 2016 · 1 min read बोलो वंदे मातरम बलिदानों का दुर्लभ अवसर कहीं न जाए बीत पहन बसंती चोला कवि अब गाओ क्रांति के गीत वंदे मातरम, बोलो, वंदे मातरम केसर की घाटी अपनी,पावन हिमशिखर हमारा स्वर्ण-रजत हिम... Hindi · गीत 2 518 Share Deepesh Dwivedi 19 Sep 2016 · 1 min read चलाचली यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए सतचिन्मय दिव्य अनुदान मिले अमृतमय सब वरदान मिले परिपूरित शुभ आशीषों से ज्योतिर्मय निशा-विहान मिले कैसे मानूँ घनघोर तिमिर... Hindi · गीत 1 561 Share Deepesh Dwivedi 15 Sep 2016 · 1 min read पाल रहे हैं मस्जिद से मयकशों को जो निकाल रहे हैं महफ़िल में वो ख़ुद ही शराब ढाल रहे हैं मुंसिफ़ का ओहदा भी वही चाहने लगे जो ज़ुर्म की ज़िंदा यहाँ मिसाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 544 Share Deepesh Dwivedi 15 Sep 2016 · 1 min read आकाश पढ़ा करते हैं बीती घटनाओं का इतिहास पढ़ा करते हैं आजकल रोज़ हम आकाश पढ़ा करते हैं ज़िंदगी दर्द है या दर्द का परिणाम है ये व्यक्ति है आत्मा या देह का ही... Hindi · गीत 1 571 Share Deepesh Dwivedi 14 Sep 2016 · 1 min read इश्क़ का फलसफ़ा मुहब्बत तो इबादत है तिजारत इसको मत कहिए ये जज़बाती हक़ीक़त है ज़रूरत इसको मत कहिए 'चिराग़'इस दिल के काग़ज़ पर लिखे हैं आंसुओं से जो ये हैं जज़्बात रूहानी... Hindi · मुक्तक 1 572 Share Deepesh Dwivedi 12 Sep 2016 · 1 min read हमारी हिंदी नानक कबीर सूर तुलसी बिहारी मीरा जायसी रहीम रसखान की ये भाषा है राजकाज सकल समाज की ये वाणी और भारत के ज्ञान-विज्ञान की ये भाषा है क्यों न परभाषा... Hindi · मुक्तक 1 593 Share Deepesh Dwivedi 9 Sep 2016 · 1 min read चाँद फिर चाँद फ़िर बढ़ते-बढ़ते घट गया है सफ़र भी मुख्त्सर था कट गया है दरोदीवार क्यों सूने हैं दिल के कोई साया यहाँ से हट गया है जिसे छोड़ आए थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 572 Share Deepesh Dwivedi 24 Aug 2016 · 1 min read वर्षगांठ अन्वेषा की अन्वी तुम आई जीवन मे तो मेरा शैशव लौट आया तेरी मीठी किलकारी से मेरा बचपन जागने लगा जो चलने को लाचार था तन वह द्रुत गति से भागने लगा... Hindi · गीत 1 588 Share Deepesh Dwivedi 11 Aug 2016 · 1 min read विडंबना क्यों कविता पर पहरे लगते?क्यों गीत को कारावास मिले? क्यों सियाराम सतचिदानंद को अनचाहा बनवास मिले? यह यक्षप्रश्न सा मचल रहा है मन के मानसरोवर में, क्यों हंसों को कालापानी... Hindi · मुक्तक 1 728 Share Deepesh Dwivedi 5 Aug 2016 · 1 min read मन वृंदावन हो गया मेरा तुमने हमको ऐसे देखा बस परिवर्तन हो गया मेरा पतझड़ सावन होगया मेरा,रोदन गायन हो गया मेरा जब नयन मिले फले पहले-पहले मन मे कुछ-कुछ अनुभूति हुई जग समझा हमको... Hindi · कविता 1 798 Share Deepesh Dwivedi 3 Aug 2016 · 1 min read ग़ज़ल वो कहते हैं हम तो ख़ुदा हो गए हैं ख़ुदा जाने वो क्या से क्या हो गए हैं कदमबोसी करते नज़र आते थे जो वो लगता है अब आसमां हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 439 Share Deepesh Dwivedi 1 Aug 2016 · 1 min read आसरा जिंदगी के हर ज़हर को मय समझकर पी गया, दर्द जब हद से बढ़ा तो होंठ अपने सी गया, मौत कितनी बार मेरे पास आई ऐ"चिराग़", इक तेरे दीदार की... Hindi · मुक्तक 1 350 Share Deepesh Dwivedi 1 Aug 2016 · 1 min read सृजन जब सतरंगी सपना कोई,अक्सर मन को छल जाता है; जब शहनाई के मधुर स्वरों में कोई मुझे बुलाता है; जब दर्द पराया,अपना बन,अन्तर्मन को मथ देता है, तब जन्म ग़ज़ल... Hindi · मुक्तक 2 1 639 Share Previous Page 2