Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 56 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read जेब में कितने दुखी हो उठते हैं हम जब करते हैं कमेन्ट सोशल मीडिया की किसी दुःखभरी पोस्ट पर. जाग उठती है मानवीयता, छलक उठता है दर्द, किसी के दर्द के प्रति.... Poetry Writing Challenge-2 277 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read आइए जलते हैं आइए जलते हैं दीपक की तरह। आइए जलते हैं अगरबत्ती-धूप की तरह। आइए जलते हैं धूप में तपती धरती की तरह। आइए जलते हैं सूरज सरीखे तारों की तरह। आइए... Poetry Writing Challenge-2 322 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read ये मछलियां ! मछलियां अक्सर ज़िन्दा रह जाती हैं अपने गिल्स फड़फड़ाते, छिपा जाती है लिंब। स्त्री भी ज़िंदा रह जाती है पलकें फड़फड़ाती अपने श्वसन तंत्र में। धरती को ही तो देख... Poetry Writing Challenge-2 258 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read चीखें अपने मौन की एक सूने हस्पताल से मकान में कुछ रूहे ढूंढ रही हैं अपनी ही लाश। साधती हैं चीखें अपने मौन की उड़ते पन्नों में हैं अलिखित काश। कुछ दरिंदों के शिकार... Poetry Writing Challenge-2 391 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read सड़कों पे डूबते कागज़ मेरी जिंदगी पे गुज़रती सड़कें भिगो के खुदको सुनाती हैं कितनी ही कहानियां। जिनमें जीती गयीं हैं वो। हाँ! लेकिन कबाड़ी के खाली डिब्बे सी हँसती हैं मुझ पर क्योंकि... Poetry Writing Challenge-2 218 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read अप्रेम इक किताब है लिखवानी अप्रेम पर। लिखोगे तुम? रहे सनद कि, अनुभव अप्रेम का ज़रूरी है। सोच लो एक बार फिर! पैदा हुए तुम, तो अगले ही क्षण तुम्हें मिला... Poetry Writing Challenge-2 322 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read नई बातें सुना है औरत ने बनते वक्त मांगे थे और पा लिए ममता, प्रेम, पालन और विकास सरीखे गुण। आदमी ने बचे-खुचे ले लिए। और औरत बन गई श्रद्धा। … सुना... Poetry Writing Challenge-2 482 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read ज़िंदा ब्रश कुछ चित्र बहुत खूबसूरती से उकेर दिए, उस चित्रकार ने। महकाती मिट्टी, जो चीर रहीं थी नदियों की धाराओं को। उसने उकेरे पेड़ों पे चहचहाते पंछी, जो लहरा रहे थे... Poetry Writing Challenge-2 277 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read सेल्फिश ब्लॉक काश! कर पाते खुद को ब्लॉक खुद की गलतियों पे। वैसे तो कर के गलतियां समझना खुदा खुदको खुदको ब्लॉक करने से कम तो नहीं। हाँ! प्रायश्चित वो आग है... Poetry Writing Challenge-2 295 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read मेरा समय पृथ्वी की धुरी के इशारों पर यूं तो नाचता है समय. विस्मृत क्षण हो गए धूमिल कई दिनों से गुम था समय... कितने ही वर्षों से ढूंढता पूछता था जिससे... Poetry Writing Challenge-2 336 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read माँ मेरी मृत्यु नहीं हुई थी, इसलिए बिछड़ी नहीं हमेशा के लिए। उसने मुझे रहने को दे दिया बड़ा सा वृद्धाश्रम कई लोगों के साथ में कई सालों के लिए घर... Poetry Writing Challenge-2 297 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read बेटी मैं न लिख पाया उसके बारे में कभी सोचता ही रहा कि आज कुछ लिखूंगा। उसको निहारता हूँ कोरे केनवास में तो कभी पढता हूँ उस पे लिखी बिना शब्दों... Poetry Writing Challenge-2 238 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read बस यूं ही बस यूं ही एक पिता अपने बच्चों की तस्वीर ले के बहल जाता है। बस यूं ही एक पिता उनकी गलती पे डांट के खुद नहीं रोता। बस यूं ही... Poetry Writing Challenge-2 304 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read स्त्री अपने सपनों में से अपनों के सपनों को बीन-बीन कर निकालती है। स्त्री कुछ ऐसी ही रची गयी जिन पे छत टिकी, उन दीवारों को संभालती है। कहाँ गिने हैं... Poetry Writing Challenge-2 270 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 2 min read समय आता है समय होता है, जब हमें सोशल मीडिया पर 'गुड मॉर्निंग' के मेसेज चिढ़ा जाते हैं। समय आता है, जब वे मेसेज ही होते हैं, जो चेहरे पे मुस्कान लाते हैं।... Poetry Writing Challenge-2 314 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read ना जाने क्यों? ना जाने क्यों? धरती का अक्ष मेरे घर को कुछ डिग्री झुका देता है। ना जाने क्यों? मेरे हिस्से का चाँद किसी और की छत से दिखाई देता है। ना... Poetry Writing Challenge-2 250 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम रह जाता है अप्रेम जब तय करनी होती है परिमित दूरी और पाना होता है अपरिमित प्रेम। प्रेम हो जाता है क्षीण जब वो अस्थिर पृथ्वी के दो ध्रुवों... Poetry Writing Challenge-2 243 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read बड़भागिनी मैं खुशकिस्मत थी। इस पंक्ति के बाद के पूर्ण विराम को निहारती। हाँ! मैं खुशकिस्मत थी। खूबसूरत से बिछौने पे सोती, बादलों सी सुगंधित, लैंप की चाँदनी में टिमटिमाती, कहीं... Poetry Writing Challenge-2 287 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read काश! लिख पाता मैं भी कोई कविता। कह लेता इक कागज़ से कुछ भाव भरे शब्द, उड़ेंल देता कम से कम आँसू की एक बूंद तो। गीले कागज़ को चार तहों... Poetry Writing Challenge-2 375 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read कहाँ लिख पाया! कह लेता हूँ मैं अंकगणित अपनी बहुत सी कविताओं में। कहाँ कह पाया मगर वह केमिस्ट्री, जिसकी इक्वेशन्स भी कह सकती है कि - दो और दो मिलकर हमेशा पांच... Poetry Writing Challenge-2 279 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read नफरत दीवारें नफरत के घरोंदों की अक्सर बनी होती हैं उन शब्दों की ईंटों से जो पकने से पहले ही गिर जाती हैं किसी की उम्मीदों के बहते पानी में। उछलती... Poetry Writing Challenge-2 201 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read एक शिकायत वो कहता है होती है अजर-अमर आत्मा, ऊर्जा से बना ठोस पुतला ढल जाता है ऊर्जा ही में। फिर क्यों… भावनाओं की ऊर्जा को बांध दिया उसने ठोस शरीर के... Poetry Writing Challenge-2 273 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read मौलिक सृजन उसे विश्वास था मैं हाँ ही कहूंगा. इस उत्तर में, कि क्या ये मेरा मौलिक सृजन है? लेकिन, मैं निःशब्द था। क्योंकि केवल शब्द और उनसे बनी अभिव्यक्ति ही मेरी... Poetry Writing Challenge-2 240 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read स्वयम हूँ स्वयम से दूर मैं अपूर्ण हूँ, फिर भी मैं केवल मैं ही हूँ । स्वयम की स्वीकृति की साथ हूँ, लेकिन अपर्याप्त हूँ। मैं जानता हूँ कि वो निर्विकार मुझमे समाहित है लेकिन... Poetry Writing Challenge-2 219 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 17 Feb 2024 · 1 min read कविता का अर्थ तुम बताओगे मुझे कविता का अर्थ पूछा मतवाले बादल से वो हवा के साथ बह गया। पूछा हवा से तो वो रेत के कणों को तट के पास से उठाने... Poetry Writing Challenge-2 291 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 23 Jun 2020 · 1 min read नया पकवान एक महान राजा के राज्य में एक भिखारीनुमा आदमी सड़क पर मरा पाया गया। बात राजा तक पहुंची तो उसने इस घटना को बहुत गम्भीर मानते हुए पूरी जांच कराए... Hindi · लघु कथा 1 5 470 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 28 Oct 2019 · 2 min read सब्ज़ी मेकर इस दीपावली वह पहली बार अकेली खाना बना रही थी। सब्ज़ी बिगड़ जाने के डर से मध्यम आंच पर कड़ाही में रखे तेल की गर्माहट के साथ उसके हृदय की... Hindi · लघु कथा 1 682 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 27 Oct 2019 · 1 min read आइए जलते हैं आइए जलते हैं दीपक की तरह। आइए जलते हैं अगरबत्ती-धूप की तरह। आइए जलते हैं धूप में तपती धरती की तरह। आइए जलते हैं सूरज सरीखे तारों की तरह। आइए... Hindi · कविता 432 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 8 Oct 2019 · 2 min read रावण से राम तक आइए आज दशहरे पर दो बातों पर ध्यान देते हैं: पहली, दशमलव प्रणाली में मूलभूत संख्याएँ दस ही हैं - शून्य से लेकर नौ तक। इतने ही महापंडित ज्ञानी रावण... Hindi · लेख 1 513 Share Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी) 7 Oct 2019 · 1 min read यदि मैं होता रावण तो वो बताते रहे कि दस मुख का रावण है जो क्रोध-अहंकार आदि से ग्रस्त है यही दोष उसके दस मुख हैं - जिन्हें नष्ट कर दो तो रावण समाप्त है... Hindi · कविता 2 464 Share Page 1 Next