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17 Feb 2024 · 1 min read

सेल्फिश ब्लॉक

काश!
कर पाते खुद को ब्लॉक
खुद की गलतियों पे।

वैसे तो
कर के गलतियां समझना खुदा खुदको
खुदको ब्लॉक करने से कम तो नहीं।

हाँ!
प्रायश्चित वो आग है
जिसमें हम जलाना चाहते हैं अपनी गलतियां
लेकिन कभी जल जाते हैं आप ही।
कर देते हैं खुदको ब्लॉक।

फिर भी
गलतियों का अंत- संत भी कहाँ कर पाए।
चिलम के धुएँ सी फैलती अंट-शंट गलतियां
ना तो ब्लॉक हो पायीं ना ही अनलॉक।

खैर…
गलतियाँ क्यों न करें?
इंसान नहीं क्या हम?

बाकी
जो कुछ कहा इस कविता में
उसे ही कर दो ब्लॉक।

Language: Hindi
129 Views
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