Tag: कविता
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सोचो तो बहुत कुछ है मौजूद, और कुछ है भी नहीं
Brijpal Singh
पहाड़ पर कविता
Brijpal Singh
पहाड़ में गर्मी नहीं लगती घाम बहुत लगता है।
Brijpal Singh
उन्हें नहीं मालूम
Brijpal Singh
आज उनसे फ़िर से मुलाकात हुई
Brijpal Singh
काश कोई पेड़ होता
Brijpal Singh
दुनिया है एक ओर,सच तो कुछ है और
Brijpal Singh
मुझे सुकूँ कहाँ से मिल सकेगा
Brijpal Singh
मेरा कुछ भी लिखना दो पल तुमसे बातें करना होता है
Brijpal Singh
सवालों के घेरे में
Brijpal Singh
बसंत ऋतु
Brijpal Singh
गणतंत्र दिवस
Brijpal Singh
जाता नहीं ( शीर्षक )
Brijpal Singh
ए- ज़िन्दगी आ तेरा हिसाब कर दूँ
Brijpal Singh
ये सच है
Brijpal Singh
एक खत डैड के नाम
Brijpal Singh
बचपन
Brijpal Singh
बसंत
Brijpal Singh
मैं तो कहता हूँ
Brijpal Singh
सुनहरे पल
Brijpal Singh
धुंध ही दिखता है
Brijpal Singh
अकेलापन
Brijpal Singh
मज़दूर हूँ ......
Brijpal Singh
वो रात
Brijpal Singh
मान जाओ
Brijpal Singh
ज़ंग
Brijpal Singh
नहीं पता
Brijpal Singh
है कोई ............
Brijpal Singh
क्यों बेदहमीं है
Brijpal Singh
कहाँ
Brijpal Singh
ये आँशू किसके लिये
Brijpal Singh
"वो चिडिया "
Brijpal Singh
"सोचकर देखो"
Brijpal Singh
सोचकर देखो
Brijpal Singh
"बरस जा"
Brijpal Singh
" पर्दा "
Brijpal Singh
"रुको नहीं"
Brijpal Singh