Tag: कविता
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प्रेम
Brijpal Rawat
हम घर जा रहे हैं, हमें घर जाना है
Brijpal Rawat
सोचो तो सबकुछ है मौज़ूद और कुछ भी है नहीं
Brijpal Rawat
दीया जलाओ
Brijpal Rawat
भुलौं टक लगै कि सूणा तुम अभिमान त नि करा भै।
Brijpal Rawat
कभी कभी
Brijpal Rawat
जानवरों से प्रेम करो
Brijpal Rawat