Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक Tag: कुण्डलिया 27 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 12 Feb 2023 · 1 min read 🌹मां ममता की पोटली मां ममता की पोटली जित खोलो उत प्रेम। बालक को भगवान-सम दिखती बन कर क्षेम। दिखती बन कर क्षेम दिव्य ममता का ✓पौदा रखती हरा सदैव अमल है त्याग घरौंदा।... Hindi · Quote Writer · कुण्डलिया 2 1 479 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 2 Jul 2022 · 1 min read 🚩 वैराग्य 🧿१ अमर मरे डोली चली,मरघट ज्ञान-अकाश। जग-तन बिल्कुल व्यर्थ है,गरदन में यम-फाँस।। गरदन में यम-फाँस'मनुज नित काल-गाल बिच। अनुपम ज्ञान-प्रकाश,दिव्य शवदाह-ज्वाल बिच। 'नायक' कह ऋषि क्रौंच,मिली 1️⃣आनंद की डगर पकड़... Hindi · कुण्डलिया 4 2 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 1 Jul 2022 · 1 min read 🚩वैराग्य 🧿१ भार्या का जब हो गया,अपने पति से योग। फिर डर कैसा संत जी,क्यों है आत्म-वियोग।। क्यों है आत्म-वियोग,बूंद को मिला समुंदर। निज मन-मल तज आप ,बने उपकारी मंदिर। ।... Hindi · कुण्डलिया 1 1 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 26 Aug 2018 · 1 min read धागा भाव-स्वरूप, प्रीति शुभ रक्षाबंधन रक्षाबंधन पर्व में ,छिपा प्रेम सह ज्ञान | नहीं भूलना करें जब, पितु जी कन्यादान || पितु जी कन्यादान, रक्त- ऋण सु यश चुकाना | भौतिक भ्रम जग-चूल भँवर में... Hindi · कुण्डलिया 539 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 3 Jun 2017 · 1 min read बना कुंच से कोंच,रेल-पथ विश्रामालय।। विश्रामालय रेल का कुंच पड़ गया नाम। गोरों-शासन बाद तक ऋषि को किया प्रणाम।। ऋषि को किया प्रणाम कुंच स्टेशन भाया। संशोधित पुनि नाम कुंच से कोंच बनाया। कह 'नायक'... Hindi · कुण्डलिया 1 1 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 11 Apr 2017 · 1 min read जन्मोत्सव अभिनंदन यह जग करे , निर्मल बनो सुजान| जन्मोत्सव पर मिले नव, दिव्य-पृथक् पहचान|| दिव्य-पृथक् पहचान, शिखर-मग छुए ज्ञान -डग| चित् पाए अनुराग, मिले पोषक उड़ान जग|| कह "नायक" कविराय... Hindi · कुण्डलिया 1 506 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 3 Apr 2017 · 1 min read पकड़ो आत्म-सुबोध,दिव्य गुरु का साया तुम तुम ,नव संवत पर बनो, मानवता-महबूब| ग्रहण करो सद्ज्ञान तब, परमानंदी-खूब|| परमानंदी-खूब, मिलेअनुपम विकास-कन| अमल प्रेममयरूप,और सद्गुण-प्रकाश मन|| कह "नायक" कविराय, छोड़ दो जग-माया-दुम| पकड़ो आत्म-सुबोध,दिव्य गुरु का साया तुम||... Hindi · कुण्डलिया 743 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 3 Apr 2017 · 1 min read बन जाओ कोयल कोयल मीठा बोल कर,प्राप्त करे सम्मान। हर्षित कर जन-हृदय को, बन गई मृदुल-महान।। बन गई मृदुल- महान , कुरस बाणीमय कौवा। सहे नित्य दुत्कार,बन गया जग- भ्रम-हौवा।। कह "नायक" कविराय... Hindi · कुण्डलिया 456 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 2 Apr 2017 · 1 min read समय-सुगति पहचान , यही है संसारी सच सच बसंत ऋतु आ गई,कोंपल बनी प्रधान| प्रिया होंठ मुस्कुराहट, छोड़ें, तज अवशान|| छोड़ें, तज अवशान,फूल पर भँवरा आया| शुभ पुरवाई संग, शांतआँचल लहराया|| कह "नायक" कविराय,परिंदे नचें व्योम बिच|... Hindi · कुण्डलिया 780 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 1 Apr 2017 · 1 min read और दिव्य सद्ज्ञान,प्राप्तिहित गुरु-गुण गह जन जन गह कर ज्ञ-उच्चता, बने नेह-सद्हर्ष | देव-तुल्य सम्मान का, छू ले वह उत्कर्ष || छू ले वह उत्कर्ष ,बोधमय शुभ सूरज बन| पकड़ सघन आनंद , मुस्कराए जग-भ्रम हन||... Hindi · कुण्डलिया 481 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 1 Apr 2017 · 1 min read प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी फुलवारी में फूलते, बहु रंगों के फूल। पवन चली,चुंबन सहित,बने प्रीतिमय चूल।। बने प्रीतिमय चूल ,सदा हँसते-इठलाते। हिल-मिलकर सद्भाव, नेह का पाठ पढ़ाते।। कह "नायक" कविराय, ज्ञान गह,द्वंद मदारी, प्रेम... Hindi · कुण्डलिया 1 820 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 1 Apr 2017 · 1 min read मेरी भी चिंता करो, सोच रहे हैं दांत/ बना भ्रांति-लांगूट यही है जगत् की वमन बमन कर रहा क्रोध की, उछल -उछल नौ हाथ| मेरी भी चिंता करो, सोच रहे हैं दांत|| सोच रहे हैं दांत, नाथ पर हम शर्मिंदा| हिंसक मेरा नाम, आदमी का... Hindi · कुण्डलिया 775 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 30 Mar 2017 · 1 min read सुदामा/आत्म ज्ञान के पथिक, प्रेम की वसुंधरा वह (1) प्रेमी के हित कृष्ण ने, समता रख मान| राज्यसभा से दौड़ कर, रखा सखा का मान|| रखा सखा का मान, दे दिया आधा आसन| अश्रुधार बौछार, भाव से देखे... Hindi · कुण्डलिया 1 1 798 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 29 Mar 2017 · 1 min read बन विवेक-आनंद,कह रहा संवत्सर नव नव संवत्सर पर बनो, आप ज्ञानमय प्राण| तब ही राष्ट्र प्रसन्न जब, सब का हो कल्याण|| सबका हो कल्याण, जाग,कुछ पाना सीखो| तजकर मन का मैल, मुस्कराना भी सीखो|| कह... Hindi · कुण्डलिया 851 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 25 Mar 2017 · 1 min read चमन-सदृश गुणबान , प्रीति बन कहते गांधी गांधी जी की जयंती, सत्य-अहिंसा-प्रेम| पाठ पढ़ो औ जानकर, धारण करिए नेम|| धारण करिए नेम, बनो शीतलतामय वट| पोषण से भर धरा, बनो सद्बोधी-जीवट|| कह "नायक" कविराय, रुके अज्ञानी आँधी|... Hindi · कुण्डलिया 1 1 826 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 25 Mar 2017 · 1 min read नहीं चैन में कोई, छोड़ दो कक्का बीड़ी /सूरज नाम परंतु, पी रहे बुद्धू-बीड़ी बीड़ी औ सिगरेट पी, पत्नी को दें ज्ञान| कहें नहीं दिखला मुझे, मद की ऊँची तान|| मद की उँची की तान,दिखाती खाकर मेरा| नाती से कह रही ,नशेड़ी बब्बा तेरा||... Hindi · कुण्डलिया 774 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 24 Mar 2017 · 1 min read कैसें दिखे स्वराज,हृदय है जब बिन भाव भाव बिना गणतंत्र दिन, घटना बना सुजान| गुण गायन कर बीर का, भूले दे सम्मान|| भूले दे सम्मान, चल गई भ्रम की आँधी| फूल-माल गह टँगे, पुनः खूँटीं पर गांधी||... Hindi · कुण्डलिया 540 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 24 Mar 2017 · 1 min read नहीं भटकिए आप, मिलेंगे यम कुछ आगे आगे मंदिर कृष्ण का, पीछे आश्रम-धाक| आँगन में फिर भी चले, प्रतिदिन द्वंद-पिनाक|| प्रतिदिन द्वंद-पिनाक, करेला नीम चढ़ा है| साँप लोटते साथ, मनुज कें सींग कढा है|| कह "नायक" कविराय,... Hindi · कुण्डलिया 506 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 23 Mar 2017 · 1 min read गहन बोध-आलोक, लोक का कल है बेटी/ पकड़ प्रीति को कहो एक हैं बेटा-बेटी बेटा-बेटी सम समझ,कर समता जलपान| दो संताने बहुत हैं,पकड़ राष्ट्रहित ज्ञान|| पकड़ राष्ट्रहित ज्ञान, गुणीं बन, तज शैतानी| फैला प्रेम-सुगंध, त्याग कलुषित मनमानी|| कह "नायक" कविराय, कहो नहिं कि वह... Hindi · कुण्डलिया 440 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 23 Mar 2017 · 1 min read अनपढ़ दिखे समाज, बोलिए क्या स्वतंत्र हम हम स्वतंत्रता दिवस पर, करते उनको याद। जो शहीद बन आज भी, करें दिलों पर राज।। करें दिलों पर राज, उने हम फूल चढ़ाते। इति करके हर वर्ष, जगत् में... Hindi · कुण्डलिया 650 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 22 Mar 2017 · 1 min read योग रूप की धार, न कम करना श्री योगी योगी जी की सुबुधि में, सदा ज्ञान की आग। दिखा किंतु दिल में परम, प्राणि मात्र अनुराग।। प्राणिमात्र अनुराग, बात ही है कुछ ऐसी। सुहृद् प्रदेश प्रधान, सुकृति शुभ संतो... Hindi · कुण्डलिया 845 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 22 Mar 2017 · 1 min read चेतन बनिए आप, नशा दुख की जड़ काका काका पीकर चिलम नित, बने साँस का रोग| समल जगत् का रूप गह , फँसें, बने तम भोग|| फँसे, बने तम-भोग, और भ्रमरूपी हुक्का| नाच रहे फेफड़ा, नाचता जैसे छक्का||... Hindi · कुण्डलिया 1 791 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 21 Mar 2017 · 1 min read जस भोजन, तस आप, पियो मत धारा गंदी गंदी नाली बन गया पी शराब की धार| गिरवी रखा समूल मन, गहकर जगत्-विकार|| गह कर जगत्- विकार, बन गया भ्रम का साया| आत्म-ह्रास-संताप, बढा हो गया सवाया|| कह "नायक"... Hindi · कुण्डलिया 2 2 475 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 21 Mar 2017 · 1 min read बने व्याधि के पूत, हाँफते पीकर गाँजा गाँजा-चरस-अफीमची,बन सिकुड़ी है खाल| जब-बंधन की खाट पर, ठोक रहे भ्रम-ताल|| ठोक रहे भ्रम-ताल, काल के आगे हँसकर| सोख रहे निज रक्त, दंभ की मग में बस कर|| कह "नायक"... Hindi · कुण्डलिया 2 1k Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Mar 2017 · 1 min read सदा ज्ञान जल तैर रूप माया का जाया जाया करवा-चौथ व्रत, रख देती उपदेश। फिक्र कि अगले जनम में ,पुनि फँस गया बृजेश।। पुनि फँस गया बृजेश, पुनः जयमाला आयी। हाय ! हमारे अग्र, बुड्ढिया ताल बजाई।। कह... Hindi · कुण्डलिया 1 848 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 20 Mar 2017 · 1 min read मारे ऊँची धाक,कहे मैं पंडित ऊँँचा ऊँचा मुँह कर बोलते, *गुटखा खा श्रीमान। गाल छिले, फिर भी फँसे, बहुत बुरा अभिमान ।। बहुत बुरा अभिमान ज्ञान की त्यागी बातें। निज मन के बस हुए,खा रहे दुख... Hindi · कुण्डलिया 549 Share Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक 11 Mar 2017 · 1 min read दिल से दिल को जोड़, प्रीति रंग गाती होली होली की हुड़दंग में, भूल न जाना प्रेम । विनती निज कर जोड़कर, करती कलम सप्रेम।। करती कलम सप्रेम, होलिका बुआ न बनना। अमर रंग प्रहलाद ,नेह को उर से... Hindi · कुण्डलिया 811 Share