Saraswati Bajpai Tag: कविता 159 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Saraswati Bajpai 27 Sep 2024 · 1 min read जीवन जिज्ञासा लाऊँ कौन सा कागज मैं और कौन सी स्याही लिखी जा सके जिसमें सारी इच्छाएं बिन ब्याही। ढूंढ़ों सब उन भाषाविद को जो रचे मौन की भाषा ढूंढो वो जल... Hindi · कविता 1 35 Share Saraswati Bajpai 5 Sep 2024 · 1 min read मैं शिक्षक हूँ साहब मैं शिक्षक हूँ साहब, मुझे शिक्षक ही रहने दो । मत गिरवी रखो मेरी आत्मा, मेरे विचार मुझे मेरे छात्रों से सीधे-सीधे जुड़ने दो। मैं हूँ शिल्पकार जिस मूर्ति को... Hindi · कविता 1 53 Share Saraswati Bajpai 2 Jul 2024 · 1 min read आषाढ़ के मेघ हे आषाढ़ के मेघ सुना तुम अति बलशाली कालिदास जी गा तुम्हें हुए गौरवशाली । सुना है मैंने हुए यक्ष के तुम ही साथी तुझसे ही भेजी उसने प्रियतम को... Hindi · कविता 106 Share Saraswati Bajpai 28 Jun 2024 · 1 min read मैं वो नदिया नहीं हूँ बहुत दूर तक तो चले तेरे पीछे पलटकर ही न देखा कभी एक नजर भी तो थक हारकर हम रुक ही गए अब तुझे शायद मेरी जरूरत नहीं है। मेरे... Hindi · कविता 55 Share Saraswati Bajpai 19 Jun 2024 · 1 min read घर और जीवन घर की दीवारों में बहुत नमी है जो इसे जर्जर कर रही है। खिड़की, दरवाजों को उन्हीं में रहने वाले दीमक निरन्तर खाये जा रहे है । सदा से बन्द... Hindi · कविता 92 Share Saraswati Bajpai 18 Jun 2024 · 1 min read रोजालिण्ड बनाम डेसडिमोना होना चाहा था रोज़ालिण्ड शेक्सपियर की एक पात्र, जिसकी जिन्दगी की मशाल खुद उसने थाम रखी थी अंधेरों को उजालों मे बदलने का प्रण लिए अथक कदमों से अपनी जीवन... Hindi · कविता 71 Share Saraswati Bajpai 16 Jun 2024 · 1 min read जीवन की लो उलझी डोर ये उलझी उलझी सी डोर कहाँ कहाँ सब लगी गाँठ है मिलता कोई ओर न छोर । जीवन की लो उलझी डोर । कर प्रयत्न सब हारे हम है हाथ... Hindi · कविता 44 Share Saraswati Bajpai 14 Jun 2024 · 1 min read श्रद्धाञ्जलि चिर शांति में सोते हो तुम जग की कुटिलताओं से होके दूर, माना तुम हो गए निःशब्द इन पंचतत्वों में हो विलीन, पर इस जीव लोक में सभी जीव नीरव,... Hindi · कविता 55 Share Saraswati Bajpai 12 Jun 2024 · 1 min read मेरे सपने रोज ही रात सपनों में जिंदगी कुछ न कुछ कहानी बुनती रहती है । लगभग सारे जाने पहचाने चेहरे कुछ अनजान किरदार भी होते है। रोज अलग-अलग कहानियाँ अलग-अलग किरदार... Hindi · कविता 2 95 Share Saraswati Bajpai 1 Jun 2024 · 1 min read श्वेत पद्मासीना माँ शारदे श्वेत पद्मासीना माँ शारदे वीणा के स्वर आज फिर से संवार दे । जागृति हो मन की सब दिशा हो प्रकाशित जय भारती के गान से ये विश्व हो सुवासित... Hindi · कविता 1 79 Share Saraswati Bajpai 30 May 2024 · 1 min read रिश्ता बनाम प्रेम जीवन के 44 बसंत पार कर अब समझ पाई हूँ मैं, रिश्तों में प्रेम ढूंढ़ना भूल ही थी मेरी । प्रेम तो सहज भाव है । ये तो निराधार है... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 56 Share Saraswati Bajpai 28 May 2024 · 1 min read तुममें मैं कहाँ हूँ ? आज भी ढूँढ़ रही हूँ खुद का अस्तित्व, तुम्हारी आँख में, तुम्हारे हृदय में, तुम्हारी हर बात में । कभी लगता है, कहीं तो में हूँ; तुममें और कभी महसूस... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 56 Share Saraswati Bajpai 28 May 2024 · 1 min read मेरे जीवन सहचर मेरे मेरे जीवन सहचर मेरे, क्यों तुम दूर खड़े हो ? आओ पास हमारे कह दो मेरे हित ही बने हो । तन्द्रा व भय की रेखाएँ हैं जीवन को घेरे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 64 Share Saraswati Bajpai 27 May 2024 · 1 min read तुम बिन जीवन तुम बिन मेरा जीवन ऐसा जैसे कोई कारा काली हो । ईर्द गिर्द यू तमस का फेरा ज्यों रजनी से राका हारी हो । दिवस, मास फिर वर्षों में यदि... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 34 Share Saraswati Bajpai 27 May 2024 · 1 min read क्या यही तुम्हारा प्यार प्रिये क्या यही तुम्हारा प्यार प्रिये जिस पर मैं बलि बलि जाती हूँ ? तुमको आना है जिस पथ से, उस पथ पर नयन बिछाती हूँ । तुम भिन्न नहीं जब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 76 Share Saraswati Bajpai 25 May 2024 · 1 min read मैं और मांझी कितने शीत, ताप फिर वृष्टि ये आंखों को दिखलाएगी ? जाने विधना की गति आगे और कहाँ ले जाएगी ? जीवन की जलधारा में डगमग नैया डोल रही है। उद्विग्नता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 65 Share Saraswati Bajpai 25 May 2024 · 1 min read मेरी जिन्दगी के दस्तावेज मेरी जिन्दगी के दस्तावेज मैंने तेरे नाम कर दिए । सौंप दी तुमको विरासत में ये मेरी जिन्दगी अब तेरी राहों में ही ये कदम हमराह हो लिए । तुम... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 53 Share Saraswati Bajpai 24 May 2024 · 1 min read हाँ ये सच है हाँ ये सच है, तुम मिले थे कभी गर्मी में झुलसी देह को शाम की पुरवा हवा सा जैसे हवा को बाँध नहीं सकते सदा के लिए तुम्हें भी रोक... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 37 Share Saraswati Bajpai 24 May 2024 · 1 min read हाँ, बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें हाँ बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें शायद इतना कि अमाप है मन मस्तिष्क से। सब कुछ तुम पर बस वार देना चाहती हूँ यह मेरा बड़प्पन नहीं बल्कि मेरा अस्तित्व... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 43 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read अमावस का चाँद हाँ मेरे हिस्से भी आया चाँद, मैंने देखा उसे मेरे आसमां में उतरते हुए शुरू-शुरू में चाँदनी में भीगी मैं, फिर निरन्तर मद्धिम होती गई जीवन से चाँदनी । अब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 37 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read तुम्हारा साथ वो सारी शरारतें, वो अठखेलियाँ सब मेरे सजन फिर मुझे वापस दे दो मेरे तेरे अधरों की खोई मुस्कानें प्रियवर मेरे खोजकर लाके दे दो न हो कोई संग में... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 34 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read तेरे बिन तेरे बिन जीवन की राहें, दुर्गम हैं आसान नहीं । श्रांत बहुत है मन ये मेरा, आ जाओ मन मीत कहीं से । बरसा दो प्रेम की वर्षा , मेरे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 35 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read प्रेम प्रेम, अनिर्वचनीय भाव ईश्वर तक पहुंचने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग है। क्षणिक सुख-दुख जगत मे परमानन्द अहसास है। किन्तु प्रेम की सत्ता को उसमें पूरी तरह डूबकर एकाकार होकर ही पा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 36 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read कैसे मैं खुशियाँ पिरोऊँ ? बरस सोलह जिन्दगी के संग तेरे है रचे। जाने कितने शीत ताप संग में हमने सहे। हम कभी विचलित हुए और कभी तुम भी थके। किन्तु सब नैराश्य तज फिर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 29 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read क्या संग मेरे आओगे ? सुनो मेरी राह में बहुत गिरि कानन खड़े है, ऐसी दुर्गम राहों में, क्या साथ तुम चल पाओगे? क्या संग मेरे आओगे? वेदना से तप्त हो मन ये मरूभूमि हुआ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 31 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read मैं दिया बन जल उठूँगी रात्रि के काले अंधेरे और अमावस के दिनों में, मैं तेरे आंगन की देहरी में दिया बन जल उठूंगी। भरूंगी आलोक पथ में सहचरी बन संग चलूंगी। दौड़कर जा पथ... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 36 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read मैं पुकारंगी तुम्हें मैं पुकारूंगी तुम्हें, हर बोल में बोलो न बोलो। साधना हो तुम्हीं मेरी, संग में ले लो न ले लो। मेरे जीवन का तुम ही , आगाज़ हो व अन्त... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 60 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read प्रेम यहाँ कण-कण में है। राधा कृष्णा की भूमि है ये, प्रेम यहां कण-कण में है। प्रेम यहां की मिट्टी में तरुवर में और जल में है। है कृष्ण यशोदा प्रेम यहां जो अमर सूर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 74 Share Saraswati Bajpai 23 May 2024 · 1 min read जीवन डगर के ओ सहचर जीवन डगर के ओ सहचर, पहचान मेरी तुमसे प्रियवर। मेरे सिर की छत तुमसे है, मैं तेरी ही छाया सहचर। प्रीति से अपनी बना ये घर, मेरे सहचर मेरे प्रियवर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 69 Share Saraswati Bajpai 22 May 2024 · 1 min read तुम शब्द मैं अर्थ बनूँ तुम बनो शब्द सा यदि प्रवाह, मैं अर्थ की धारा बनूं । तू एक पग आ तो सही मैं चार पग आगे बढूं । तुम साथ दो मेरा अगर न... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 47 Share Saraswati Bajpai 22 May 2024 · 1 min read ऐ चाँद ऐ चाँद, तू रोज रात के अंधेरों को रोशनी से भरता जरूर है । समय का चक्र तुझे भी कभी पूरा कर देता है और कभी अपूर्ण पर तू बिना... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 74 Share Saraswati Bajpai 22 May 2024 · 1 min read तुम बूंद बूँद बरसना सब शीत ताप सहते सहते तन मन कोमलता छूट गई । टकरा टकरा आघातों से केंचुल तन मन की कठोर हुई।। तुम बूंद बूंद बरसोगे जब तब जा मुझको पा... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 31 Share Saraswati Bajpai 22 May 2024 · 1 min read तितली भी मैं तितली थी मैं तुम्हारे लिए ही तो उड उड़कर आती थी तुम खुश होते थे मुझे देखकर तुम्हारी इस खुशी पर बलि जाती थी । पर तुम्हारे डर ने मुझे... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share Saraswati Bajpai 22 May 2024 · 1 min read कितना खाली खालीपन है जीवन के सब उद्यम हारे मुझको पूरा करने में तुम जो साथ नहीं होते तो कितना खाली खालीपन है ! जाने क्यों जब तुम जाते हो संग मेरा मन ले... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 52 Share Saraswati Bajpai 22 May 2024 · 1 min read विनती हे प्रभो ! पृथ्वी के सब रुप रंग में निरख सकूँ तेरी विराट सत्ता, तेरी विराट जलराशि में भिगो सकूँ अपना तन ही नहीं वरन मन भी, तेरी दी हुई... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 38 Share Saraswati Bajpai 5 May 2024 · 1 min read संवेदना जगत की इस दौड़ में अब नित खो रहीं संवेदनाएँ, कल्पना के शिखर चढ़ने को पाँव तले दबती संवेदनाएँ, इतनी जल्दी में सभी हैं छोड़ भागे संवेदनाएँ, सुख में हों... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 77 Share Saraswati Bajpai 5 May 2024 · 1 min read संवेदनाएँ संवेदना रस है चेतनता का यही तो फर्क है जड़ व चेतन का । जैसे पेड़-पौधों में जल, रस बनकर उन्हे संवारता है। ऐसे ही जीव की संवेदना का स्तर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 82 Share Saraswati Bajpai 22 Jan 2024 · 1 min read हे राम हृदय में आ जाओ हे राम तुम्हारा निर्वासन तो मात्र तुम्हारे भवन से था, किन्तु तुम्हारी जग माया में क्यों तुम नजर नहीं आते? क्यों छलते रहते तुम सबको यहाँ नहीं तुम, वहां नही... Hindi · कविता 170 Share Saraswati Bajpai 22 Jan 2024 · 1 min read रामलला रामलला की छवि प्राकट्य के साथ ही सूर्य देव भी कई दिवस के बाद आज खुद को रोक न पाए प्रकट हो गए राम को आशीर्वाद देने ऐसा लगा मानो... Hindi · कविता 270 Share Saraswati Bajpai 21 Jan 2024 · 1 min read पेड़ और चिरैया आती है चिरैया रोज बैठती है पेड़ पर चीं ची चीं करते जाने क्या क्या कह जाती है । सुनता है पेड़ सब धार उसे गोद में यूँ जैसे कोई... Hindi · कविता 141 Share Saraswati Bajpai 11 Jan 2024 · 1 min read विनती हे प्रभो ! पृथ्वी के सब रुप रंग में निरख सकूँ तेरी विराट सत्ता, तेरी विराट जलराशि में भिगो सकूँ अपना तन ही नहीं वरन मन भी, तेरी दी हुई... Hindi · कविता 153 Share Saraswati Bajpai 8 Jan 2024 · 1 min read कितना खाली खालीपन है ! जीवन के सब उद्यम हारे मुझको पूरा करने में तुम जो साथ नहीं होते तो कितना खाली खालीपन है ! जाने क्यों जब तुम जाते हो संग मेरा मन ले... Hindi · कविता 179 Share Saraswati Bajpai 26 Dec 2023 · 1 min read कोंपलें फिर फूटेंगी कितना भी ये शीत कँपा दे और हेमन्त सब पात झरा दे किन्तु शेष जीवन जब तक है नई कोंपलें फिर फूटेंगीं एक एक कोंपल से फिर जाने कितने पात... Hindi · कविता 230 Share Saraswati Bajpai 10 Aug 2023 · 1 min read हाँ ये सच है हाँ ये सच है, तुम मिले थे कभी गर्मी में झुलसी देह को शाम की पुरवा हवा सा जैसे हवा को बाँध नहीं सकते सदा के लिए तुम्हें भी रोक... Hindi · कविता 1 290 Share Saraswati Bajpai 22 Jul 2023 · 1 min read एक गुनगुनी धूप एक अरसे की लम्बी रात्रि निराशा के गहन अंधकार व ठिठुरती शीत के बाद आज कुछ मद्धिम सी रोशनी सुबह की सुगबुगाहट दे रही है, एक गुनगुनी धूप का टुकड़ा... Hindi · कविता 317 Share Saraswati Bajpai 8 Jul 2023 · 1 min read ऐ सावन अब आ जाना सावन जो तू आया ही है मेरे घर भी आ जाना । रिमझिम रिमझिम तृप्ति बूंद कुछ मेरे घर बरसा जाना । कब से सूना रिक्त पड़ा घर अतिथि कोई... Hindi · कविता 1 223 Share Saraswati Bajpai 8 Jul 2023 · 1 min read अब नहीं पाना तुम्हें शेष न साहस तुम्हें अब खोने का इसलिए ही अब नही पाना तुम्हें । दरमियां अब और दूरी आ न जाएं इसलिए अब पास न आना हमे । है सुना... Hindi · कविता 205 Share Saraswati Bajpai 1 Mar 2023 · 1 min read विषाद छाती जकडी हुई है विषाद के शीत से मानो कोई भीतर ही भीतर प्राण घोंट रहा है । ये विषाद जैसे मन को पूरा निचोड़ कर बताना चाह रहा है... Hindi · कविता 308 Share Saraswati Bajpai 25 Feb 2023 · 1 min read लौटना मुश्किल होता है बहुत मुश्किल होता है निरन्तर बढ रहे उत्साही कदम पीछे की ओर मोड़ना जब ऑंखे देख पा रही हो अपनी मंजिल को बहुत करीब से। बस चन्द कदमों का ही... Hindi · कविता 324 Share Saraswati Bajpai 21 Feb 2023 · 1 min read सब स्वीकार है आज़मा ले जिन्दगी मुझको हर एक मोड़ पर अब तेरी हर आज़माइश शौक से स्वीकार है । अब कोई तुझसे शिकायत करने मैं न आऊँगी । न ही तेरी देयता... Hindi · कविता 298 Share Page 1 Next