कुमार अविनाश केसर 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 कुमार अविनाश केसर 12 Apr 2022 · 1 min read झूठ बताकर झूठ बताकर उसने मुझको रुसवा कर दिया, ऊँची ऊँची नाक से कायम रुतबा कर दिया। झाँक के मैंने गिरेबान में उसके जब देखा, क़ौम का देकर वास्ता जारी फतवा कर... Hindi · मुक्तक 210 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 1 min read ठहरा आदमी भी एक सफ़र पे ही रवाना है चले आओ, तुम्हें मंज़र, जहाँ का, हम दिखाते हैं। सनम! दस्तूर, तुमको इस जहाँ का हम दिखाते हैं। यहाँ हर दिल में खंजर है, यहाँ हर दिल में काँटा है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 187 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read होली होली तुम ने खोली- मन की गठरी। राग रंग में हंसी ठिठोली। पत्तों-पत्तों, कली-फूल में घुल मिल गई - वासंती बोली। कोयल बोली - आई होली! मन में है उल्लास... Hindi · कविता 203 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read बुद्धत्व बुद्ध आये , मुस्कुराए और अंगुलिमाल हार गया। बुद्ध, हमेशा- आता है, मुस्कुराता है और अंगुलिमाल हार जाता है। नहीं, नहीं! बुद्ध नहीं आता! बुद्ध नहीं मुस्कुराता!! अंगुलिमाल नहीं हारता!!!... Hindi · कविता 208 Share कुमार अविनाश केसर 2 Mar 2022 · 1 min read तेरी याद सीने में है तेरी याद सीने में है तेरे जाने का ग़म अबतक मेरे सीने में है। तेरा वो खुद्दार सितम अबतक मेरे जीने में है, रफ्ता-रफ्ता तेरी साँसों-सी महकने लगी है। तेरी... Hindi · गीत 177 Share कुमार अविनाश केसर 19 Feb 2022 · 1 min read आकाशदीप चाँद! आज तुम - बहुत सुंदर दिख रहे हो। जानते हो - कैसे? विचारों के घने बादलों के बीच, मन के आकाश पर, लुक-छिप करते, इशारों के अनकहेपन जैसे!! रुई... Hindi · कविता 335 Share कुमार अविनाश केसर 12 Feb 2022 · 1 min read मेरा बचपन मेरा बचपन जब भी जाता गाँव, दौड़कर बचपन मेरा आता है. सुबक-सुबक भीगी आँखों से, मुझको गले लगाता है। वह छप्पर-छजनी का घर, मुझे अब भी वहीं बुलाता है। जाऊँ... Hindi · कविता 354 Share कुमार अविनाश केसर 8 Feb 2022 · 1 min read दर्द के बहाने न देख इस बेदर्द जमाने के चलते-फिरते ताने न देख! दिल के ज़ज्बातों के आगे होंठ के गाने न देख!! डूब के, दरियाव के मौजों में पलते जाले न देख! दिल में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 223 Share कुमार अविनाश केसर 8 Feb 2022 · 1 min read उनको सलाम! (लता जी के लिए ) जिंदगी को जिंदगी दे के गए जो इस जहाँ में, जिंदगी को रोशनी देकर गए उनको सलाम!! लाख तूफानों में रोशन ही रहे जिनके दीये, रोशनी बुझते हुए को दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 257 Share कुमार अविनाश केसर 4 Feb 2022 · 1 min read अब आती नहीं चिड़िया!!! अब चिड़िया आती नहीं मुंडेर पर! फड़फड़ाते नहीं पंख, सुबह को समेटकर- अब गाती नहीं चिड़िया.... अब आती नहीं चिड़िया... कौवे भी, अतिथि का संदेश लेकर नहीं आते.... कहां चली... Hindi · कविता 441 Share कुमार अविनाश केसर 13 Mar 2022 · 1 min read सब धरा रह जाएगा इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जायेगा। Hindi · कोटेशन 197 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read अनपढ़ माँ लोग कहते थे कि तुम... पढ़ना लिखना नहीं जानती। बस, ढोर-पशुओं को... देख सकती थी... पाल सकती थी... खिला पिला सकती थी... माँ! तूने - मुझे..... कैसे लिख दिया!! सोचता... Hindi · कविता 349 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read तुमसे दूर जब जब दुनिया ने मुझे याद दिलाया मेरी चालाकी का अंदाज, मैं तुमसे दूर.. बहुत दूर... बहुत दूर होता गया। --- कुमार अविनाश केसर Hindi · मुक्तक 323 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read हमको क्या सीखलाते हैं टिम टिम करते नभ के तारे, हमको क्या सीखलाते हैं? सूरज-चंदा दूर गगन से, हम को क्या सीखलाते हैं? प्यारी चिड़िया अपनी धुन में, बोलो क्या-क्या गाती है? न्यारी-सी फूलों... Hindi · कविता · बाल कविता 272 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read घर की देहरी पर टंगा दिन घर की देहरी पर टंगा दिन कहता है, साँझ हुई अब नादानों आराम करो। माँ निकली है, तुलसी चौरे, लेकर बाती! दीपक की लौ हिलकर कहती 'नाम' करो। Hindi · मुक्तक 355 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read शख्शियत माना कि खूबसूरत होता है गुलाब चमन में यारों. बहार - ए - गुलशन में वही खुदा तो नहीं होता! Hindi · शेर 257 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read तुम मेरी तन्हाई रख लो तुम मेरी तन्हाई रख लो मैं तेरी रुसवाई रख लूँ। तुम वफ़ा हमारी रख लो, मैं तेरी बेवफाई रख लूँ। Hindi · मुक्तक 181 Share कुमार अविनाश केसर 12 Mar 2022 · 1 min read क्या लिखूंँ जलन तुम्हारी लिख डालूँ या घुटन का संसार तुम्हारा! माथे की बिंदिया लिख डालूँ या सुंदर सिंदूर तुम्हारा! आँखों की मुस्कान लिखूँ या मन के डर का तार तुम्हारा! कहो... Hindi · मुक्तक 1 193 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read स्वेच्छा ये दर्द तुम्हारा है, जिसको मन हो,दे देना। सपने तिरते आँखों के, बस, मुझको ही दे देना। Hindi · मुक्तक 181 Share कुमार अविनाश केसर 10 Mar 2022 · 1 min read नारी विधाता, जब समेट नहीं पाया... अपने अंक में.... संसार! प्रकृति ने उठा लिए- सारे भार!! स्वयं जब दबने लगी.... बिखरने लगी... स्वयं ही सिहरने लगी.... तब खुद को कर दिया... Hindi · कविता 157 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read चमन में फूल खिलते रहें सिलसिले यूँ ही चलते रहें, हाथों से हाथ मिलते रहें, हम रहें, न रहें जहाँ में लेकिन चमन में फूल यूँ ही खिलते रहें। Hindi · शेर 175 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read कलम उठाऊँ तो क्या लिखूँ कलम उठाऊँ, तो क्या लिखूँ? गीत लिखूँ या प्यार तुम्हारा! जलन तुम्हारी लिख डालूँ, या घुटन का संसार तुम्हारा! माथे की बिंदिया लिख डालूँ या सुंदर सिंदूर तुम्हारा! आँखों की... Hindi · कविता 415 Share कुमार अविनाश केसर 7 Mar 2022 · 1 min read कल और आज कभी ईद की इबादतों में हम होते थे शरीक़, अब वो ईद में हमें अपने घर बुलाते हैं। कभी दीवारों पर लिखी थी इबारतें जो हमने, फुरसत में बैठकर आजकल... Hindi · शेर 174 Share कुमार अविनाश केसर 16 Mar 2022 · 1 min read सारा जगत बेचारा रे... नूपुर छनके, मधुर ध्वनि से, कर्ण बहे रसधारा रे...। विविध रूपों में, तू है छलका, सुंदर सहज सितारा रे...। दसों द्वार से, जब तू झाँके, पुलकित तन मन सारा रे...।... Hindi · कविता 174 Share कुमार अविनाश केसर 16 Mar 2022 · 1 min read तुझे जिया बूँद से - समुंद तक तुम- इतना फैले... कि सिमट नहीं पाए... किसी भी अंक में। इतना विस्तार.... कि अणु से ब्रह्मांड तक- सिलसिले में है यात्रा... अनंत तक!! पर....... Hindi · कविता 503 Share कुमार अविनाश केसर 6 Mar 2022 · 1 min read क्षण-मुक्त तुम्हें- कहाँ देखूँ ? तुम खो गए कहीं.... जब-जब देखना चाहा! तुम्हें सुन नहीं पाता- सुनने का स्वांग करके। कभी यूँ ही... सन्नाटे में.... चिहुँक उठता हूँ। तुम, शायद कुछ... Hindi · कविता 163 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 6 min read महाभिनिष्क्रमण 1. .................रास्ते में राजकुमार ने देखा - एक दुबला-पतला,आँखों से क्षीण रोशनी वाला व्यक्ति...फटे-पुराने और गंदे कंबल ओढ़े, रास्ते के किनारे पड़ा है। मर गया या लेटा है! "बाबा" -... Hindi · कहानी 308 Share कुमार अविनाश केसर 25 Mar 2022 · 1 min read तुम क्या जानो तुम क्या जानो? मेरे भीतर, क्या-क्या पलता रहता है! इश्क़, दर्द या प्यार-मोहब्बत? क्या-क्या चलता रहता है! उनकी मजबूरी से मेरी आँतें ऐंठा करती हैं, जोड़ी भर आँखों की रातें,... Hindi · कविता 1 124 Share Previous Page 2