Tag: ग़ज़ल/गीतिका
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अपनी ही खिड़कियों से
Ashok Ashq
नाज़नीं अब तेरी दोस्ती भी मिले
Ashok Ashq
कब तक कहो तुम्हीं कि सम्भाले तुम्हारे ख़त
Ashok Ashq
यूँ किस्तों में ये ज़िंदगानी लुटा दी
Ashok Ashq
तुमने पुकार कर
Ashok Ashq
रफ़्ता रफ़्ता हाथों से किनारा गया
Ashok Ashq
दर्द दामन में
Ashok Ashq
जिस्म का बाज़ार है बस
Ashok Ashq
हमारी ईद हो जाए
Ashok Ashq
वो नज़ाकत नही छोड़े हैं
Ashok Ashq
देख क्या खूब मेरी चाहत है
Ashok Ashq
लूटकर हक़ लिया कीजिये
Ashok Ashq
दर किसी के बजी शहनाई है
Ashok Ashq
हुस्न तेरा ख़ुदा हो जाना है
Ashok Ashq
एक से हम हो गए
Ashok Ashq
लिपट गेशुओं से गुजारा करेंगे
Ashok Ashq
टूट कर शाख से गिरा कैसे
Ashok Ashq
खुशी पल भर नही देखे
Ashok Ashq
आग मज़हब की लगाते कहने को इंसान है
Ashok Ashq
अलग पहचान रखते हैं
Ashok Ashq
निशाने पर हवा के
Ashok Ashq
है निवाला सामने पर तू नही
Ashok Ashq
उँगलियाँ उठेगी वफ़ा पर तुम्हारी
Ashok Ashq
आबरू बच गई मुहब्बत की
Ashok Ashq
फासला भी हुआ है
Ashok Ashq