arti lohani Tag: कविता 34 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid arti lohani 22 Mar 2018 · 1 min read क्यों क्यों ? जीवन के इन पथरीले रास्तों में। जब पलट कर देखती हूँ पीछे मुड़कर तुम्हें बदहवास सी बस ढूंढती ही रहती हूं क्यों? तुम मुझे मिल न पाए समाज... Hindi · कविता 3 1 550 Share arti lohani 11 Jan 2018 · 1 min read शहीद की अंतिम यात्रा सागर का पानी कम पड़ गया होगा, जब नयी नवेली दुल्हन ने मेहन्दी उतारी होगी. उस बहन के आँसू कैसे थमे होंगे, कलाई में कुछ दिन पहले राखी बाँधी थी.... Hindi · कविता 2 594 Share arti lohani 16 Oct 2017 · 1 min read सामंजस्य दिलदिमाग और जिस्म के बीच कैसे सामंजस्य बिठाती होगी दिल,दिमाग और जिस्म के बीच कैसी मज़बूरी होगी रोटी के निवालों और सांसों की डोरी के बीच कितना अजीब शब्द है ये धंधा दाल रोटी कपडा... Hindi · कविता 245 Share arti lohani 16 Oct 2017 · 1 min read सामंजस्य दिलदिमाग और जिस्म के बीच कैसे सामंजस्य बिठाती होगी दिल,दिमाग और जिस्म के बीच कैसी मज़बूरी होगी रोटी के निवालों और सांसों की डोरी के बीच कितना अजीब शब्द है ये धंधा दाल रोटी कपडा... Hindi · कविता 297 Share arti lohani 6 Oct 2017 · 1 min read जिंदगी के मोड़ पर जिंदगी के मोड़ पर बालों में चांदी दांतों में सोना आ गया उम्र के इस पड़ाव में तू साया बन मिल गया शिकायत खुद से करूँ या करूँ रब से... Hindi · कविता 271 Share arti lohani 5 Oct 2017 · 1 min read मुहब्बत हुई श्याम से सब काम हुए आराम से । जब मुहब्बत हुई श्याम से ।। कैसे कहूँ मैं व्यथित बहुत हूँ । तुम बिन मैं विचलित भी बहुत हूँ। कब से पुकारूँ ओ... Hindi · कविता 238 Share arti lohani 3 Oct 2017 · 1 min read हुई मुहब्बत श्याम से सब काम हुए आराम से । जब मुहब्बत हुई श्याम से ।। कैसे कहूँ मैं व्यथित बहुत हूँ। तुम बिन मैं विचलित भी बहुत हूँ कब से पुकारूँ ओ मेरे... Hindi · कविता 1 291 Share arti lohani 26 Sep 2017 · 1 min read एक किताब लिखूं सोचा एक किताब लिखूं। उसमें तेरा जिक्र लिखूं। सुबह से शाम हुई। सोचते हुए रात भी बीती । क्या लिखूं समझ न आया। तू तस्वीर है या मेरा साया। सांसों... Hindi · कविता 388 Share arti lohani 25 Sep 2017 · 1 min read बेटी का ससुराल पीहर आयी बेटी से पिता ने पूछा, उसकी उदासी का कारण माँ ने पूछा, परेशानी है या कोई दुख, चेहरा क्यों धूमिल पडा है, गम की परछाइयां साफ दिखती, हुआ... Hindi · कविता 1 731 Share arti lohani 16 Sep 2017 · 1 min read बोल माँ कैसे तुझे पुकारूँ मॉ ( कविता) -- आरती लोहानी कैसे तुझे पुकारूँ हे मॉ ! बोल कोख में क्यों मारा ,मॉ ! कैसे आप बनी हत्यारिन । मातृत्व आपका हारा... Hindi · कविता 845 Share arti lohani 15 Sep 2017 · 1 min read अरमानों के कफ़न चहुँओर दनुजता क्रूर भाव ले टहली! मानवता की, दी कमर, तोङ दी पसली। कोंपले नयी खिलने से पहले मसलीं, पर बनी रही,बहरी दिल्ली न दहली।। खत्म हो रहे मात-पिता के... Hindi · कविता 262 Share arti lohani 14 Sep 2017 · 1 min read बोलो माँ कैसे तुझे पुकारूँ मॉ ( कविता) -- आरती लोहानी कैसे तुझे पुकारूँ हे मॉ ! बोल कोख में क्यों मारा ,मॉ ! कैसे आप बनी हत्यारिन । मातृत्व आपका हारा... Hindi · कविता 685 Share arti lohani 14 Sep 2017 · 1 min read हिंदी मेरी जान अंनन्त काल से अविरल बहते हुए, सदियों से यूँ ही निरंतर चलते हुए, भिन्न-भिन्न बोलियों की गंगोत्री तुम, अपनी विशाल संस्कृति संजोते हुए. मत करो चिन्तन अपने अस्तित्व के लिये,... Hindi · कविता 525 Share arti lohani 10 Sep 2017 · 1 min read किताब सोचा एक किताब लिखूं। उसमें तेरा जिक्र लिखूं। सुबह से शाम हुई। सोचते हुए रात भी बीती । क्या लिखूं समझ न आया। तू तस्वीर है या मेरा साया। सांसों... Hindi · कविता 1 539 Share arti lohani 31 Aug 2017 · 1 min read धरती अम्बर धरती प्यासी है मिलन को अपने अम्बर से, अम्बर भी बेक़रार है प्रणय मिलन को प्रेयसी से, कैसी प्रीत है सदियों से यूँ ही , तरसते हैं,तड़पते हैं मिलने एक... Hindi · कविता 626 Share arti lohani 19 Aug 2017 · 1 min read प्रेम प्रेम क्या है? समर्पण मात्र या अर्पण। प्रेम भावों का तीव्र वेग है। आता है और कुछ पल ठहरता है । डूब गया जो इस ठहराव में। बह गया जो... Hindi · कविता 620 Share arti lohani 13 Aug 2017 · 1 min read वो एक नदी हिमखंडों से पिघलकर, पर्वतों से उतरकर, खेत-खलिहानों को सींचती, कई शहरों से गुजरकर, अविरल बहती आगे बढ़ती, बस अपना गंतव्य तलाशती, मिल जाने, मिट जाने, खो देने खुद को आतुर,... Hindi · कविता 596 Share arti lohani 8 Aug 2017 · 1 min read ख्वाइशें ख्वाइशों का खिला आसमान है, दुआओं के उठे हजारों हाथ भी, एक भी ख्वाईश पूरी होती नही फिर भी। कमबख्त ये कैसी साजिश है । ख्वाब बनकर कोई आता है,... Hindi · कविता 254 Share arti lohani 8 Aug 2017 · 1 min read ख्वाहिशें ख्वाइशों का खिला आसमान है, दुआओं के उठे हजारों हाथ भी, एक भी ख्वाईश पूरी होती नही फिर भी। कमबख्त ये कैसी साजिश है । ख्वाब बनकर कोई आता है,... Hindi · कविता 1 482 Share arti lohani 31 Jul 2017 · 1 min read रोटी की जद्दोजहद दो रोटी की जद्दोजहद में । सुबह से रात हुई ।तलाशने निकले घर से । जिंदगी बेहाल हुई ।। घर से दूर निकल आये । अपनों से बिछड़ गए ।... Hindi · कविता 1 351 Share arti lohani 18 Jul 2017 · 1 min read कागज की कश्ती किसी ने भेजकर कागज की कश्ती बुलाया है समन्दर पार मुझे. वो नादाँ है क्या जाने दुनिया लगी है डुबाने मुझे. डगमगाती कभी संभलती वो, लहरों से फ़िर भी लडती... Hindi · कविता 489 Share arti lohani 28 Jun 2017 · 1 min read नारी बस यूँ ही छली गयी बना देवी पूजा सदा मुझे, सदियों से ये ही रीत रही। मिला न मान-सम्मान फिर भी, नारी बस यूँ ही छली गयी।। सब सुख तज कुछ मिला सिया को? तुम... Hindi · कविता 610 Share arti lohani 6 Feb 2017 · 1 min read मदहोश तेरी ऊँगलियों की शरारत, मुझे मदहोश करने लगी. तेरी साँसों की हरारत, लवों को खामोश करने लगी ऐसा न हुआ एहसास कभी, यूँ न हुआ बदहवाश कभी, साँसों का ये... Hindi · कविता 1 765 Share arti lohani 3 Feb 2017 · 1 min read हमसफर तुम इस सफ़र के नये हमसफर तुम हो, कि अब तो हर जनम के हमसफर हो तुम. अपनी फुरसत का मैं क्या बयां करूँ, मेरी तो व्यस्तताओं में भी हो तुम... Hindi · कविता 570 Share arti lohani 28 Jan 2017 · 1 min read तन्हाई तन्हा बैठी थी तन्हाई मैं, याद उनकी आई तन्हाई मैं. तुम कहाँ और क्यों गये साहिब, वर्षो हुए नहीं सोई तन्हाई मैं. इस बेरुखी का सबब क्या है. बता दो... Hindi · कविता 282 Share arti lohani 25 Jan 2017 · 1 min read कैसी ये रीत आज डोली विदा हो रही है आज बेटी बहू बन रही है कल तक थी जिगर का टुकडा, आज वही परायी हो रही है. कल ही की बात थी, नन्ही... Hindi · कविता 1 254 Share arti lohani 25 Jan 2017 · 1 min read मेरा गाँव चलो ले चलूँ तुम्हें हसीन वादियों में, इस आपाधापी से दूर सुदूर पहाडो में, हरे-भरे पेडो से आच्छादित ये वन, रंग-बिरंगी फूलों से लदी ये डालियां, नित कलोल करते ये... Hindi · कविता 2 2 846 Share arti lohani 14 Jan 2017 · 1 min read मैं नारी हूँ मैं ममता की शीतल छाँव हूँ,तो सूरज की तपिश भी. निर्मल अविरल नदी हूँ,तो प्रचन्ड अग्नि भी. बहन,पत्नी,प्रेमिका और विश्वजननी भी, पृथ्वी की तरह सहनशील हूँ,तो काली घटा भी. मत... Hindi · कविता 1 399 Share arti lohani 11 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ हरमन को मनभावन लगती हैं बेटियाँ, माँ पिता के दिल में बसती हैं बेटियाँ. रंज हो खुशी हो या हो बिजलियाँ, दर्द भी ये हँस कर सहती हैं बेटियाँ. लिबासों,विचारों... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 760 Share arti lohani 9 Jan 2017 · 1 min read अजब ये प्रीत है. धरती प्यासी है मिलन को अपने अंबर से, अंबर भी बेकरार है प्रणय मिलन प्रेयसी से. कैसी प्रीत है सदियों से जो यूँ ही, तरसते हैं,तड़पते हैं मिलने एक दूजे... Hindi · कविता 2 278 Share arti lohani 8 Jan 2017 · 1 min read कागज की कश्ती भेजकर उसने कागज की कश्ती बुलाया है समन्दर पार मुझे वो नादाँ है क्या जाने दुनिया लगी है डुबाने मुझे. डगमगाती कभी संभलती वो लहरों से फ़िर भी लडती वो,... Hindi · कविता 2 1 453 Share arti lohani 7 Jan 2017 · 1 min read ओ अजनबी... ओ अजनबी क्या तुम सचमुच अजनबी हो? वक्त-बेवक्त आ जाते हो ख्यालों में फिर भी कहते हो कि तुम अजनबी हो. सावन की फुहारों में साथ रहते हो, बहती आँखों... Hindi · कविता 1 1 406 Share arti lohani 6 Jan 2017 · 1 min read रुह को रुह में उतरने दो आज लबों को बोलने की इजाज़त नहीं आंखो को ये काम करने दो करीब आ जाओ इस तरह रुह को रुह में उतरने दो. आज की रात कयामत से कम... Hindi · कविता 1 460 Share arti lohani 2 Jan 2017 · 1 min read कौन हो तुम कौन हो तुम जो चुपके से अंदर चले आ रहे हो कौन हो तुम जो बिन आहट अन्तस मैं दस्तक दे रहे हो फूल मुरझा कर बिखर चुके हरियाली का... Hindi · कविता 3 2 715 Share