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सिन्हा हारता नहीं, यथार्थ में जीता है...
Anand Kumar
सच में कितना प्यारा था, मेरे नानी का घर...
Anand Kumar
रै तमसा, तू कब बदलेगी…
Anand Kumar
यह कलयुग की सरकार है
Anand Kumar
संस्कृति तुम कहां हो...
Anand Kumar
प्लीज पापा, मुझे अठ्ठाहस दो ना
Anand Kumar
गलती भी कर रही है, और फैसला भी सुना रही है...
Anand Kumar
व्यंग्य - चाय-ना बैंक...
Anand Kumar
(नींद बहुत जल्दी आती है)
Anand Kumar
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
Anand Kumar
हां मैं गांधी हूं, मैं मरा नहीं हूं...
Anand Kumar
दोनों तो उलझे थे, शब्द व स्नेह के बीच...
Anand Kumar
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
Anand Kumar
तुम्हें नहीं पता, तुम कितनों के जान हो…
Anand Kumar
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम।
Anand Kumar
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ऐ सुनो
Anand Kumar
माँ तस्वीर नहीं, माँ तक़दीर है…
Anand Kumar
दोनों तो उलझे थे, शब्द व स्नेह के बीच...
Anand Kumar
मेरा एक मित्र मेरा 1980 रुपया दो साल से दे नहीं रहा था, आज स
Anand Kumar
माशूका नहीं बना सकते, तो कम से कम कोठे पर तो मत बिठाओ
Anand Kumar
कुछ कमीने आज फ़ोन करके यह कह रहे चलो शाम को पार्टी करते हैं
Anand Kumar
मुहब्बत कुछ इस कदर, हमसे बातें करती है…
Anand Kumar
मेरी कलम से…
Anand Kumar
मेरी कलम से…
Anand Kumar
सोशल मीडिया पर दूसरे के लिए लड़ने वाले एक बार ज़रूर पढ़े…
Anand Kumar
कैसे कहूँ ‘आनन्द‘ बनने में ज़माने लगते हैं
Anand Kumar
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
Anand Kumar
मेरी कलम से…
Anand Kumar
राजनीति की नई चौधराहट में घोसी में सभी सिर्फ़ पिछड़ों की बात
Anand Kumar
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
हाँ मैं किन्नर हूँ…
Anand Kumar
मेरे शब्द, मेरी कविता, मेरे गजल, मेरी ज़िन्दगी का अभिमान हो तुम
Anand Kumar
बहुत याद आता है मुझको, मेरा बचपन...
Anand Kumar
मां जब मैं तेरे गर्भ में था, तू मुझसे कितनी बातें करती थी...
Anand Kumar
मेरी कलम से…
Anand Kumar
किसी के साथ दोस्ती करना और दोस्ती को निभाना, किसी से मुस्कुर
Anand Kumar
देख लेना चुप न बैठेगा, हार कर भी जीत जाएगा शहर…
Anand Kumar
माँ सिर्फ़ वात्सल्य नहीं
Anand Kumar
तुम तो मुठ्ठी भर हो, तुम्हारा क्या, हम 140 करोड़ भारतीयों का भाग्य उलझ जाएगा
Anand Kumar
टमाटर तुझे भेजा है कोरियर से, टमाटर नही मेरा दिल है…
Anand Kumar
तेरे शब्दों के हर गूंज से, जीवन ख़ुशबू देता है…
Anand Kumar
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
Anand Kumar
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
Anand Kumar
लोग कह रहे हैं आज कल राजनीति करने वाले कितने गिर गए हैं!
Anand Kumar
अजी सुनते हो मेरे फ्रिज में टमाटर भी है !
Anand Kumar
तस्वीर देख कर सिहर उठा था मन, सत्य मरता रहा और झूठ मारता रहा…
Anand Kumar
ज़िन्दगी की तरकश में खुद मरता है आदमी…
Anand Kumar
बिन फ़न के, फ़नकार भी मिले और वे मौके पर डँसते मिले
Anand Kumar
ज्योति मौर्या बनाम आलोक मौर्या प्रकरण…
Anand Kumar