अमित निश्छल 33 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अमित निश्छल 17 Nov 2018 · 1 min read सूर्य षष्ठी सूर्य षष्ठी ✒️ गगन से दूर जातीं हे!, किरण सूरज ज़रा ठहरो गमन करतीं सुनो रुककर, दिवस की हारती पहरों; अकिंचन चाँद तारे हैं, सँवरती शान तुम्हारी अरघ लेकर खड़ीं... Hindi · कविता 2 266 Share अमित निश्छल 14 Nov 2018 · 1 min read नवयुग का आगाज़ नवयुग का आगाज़ ✒️ मंद हुआ वासंती झालर, बंद महक, चिड़िया चहकार; बागीचों में, बागानों में, मूक खड़े पादप फ़नकार। द्रवित नेत्र सुंदर पुष्पों के, नहीं मिले नन्हीं पुचकार; नन्हे... Hindi · कविता 2 1 581 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read बादल-१६ (रिमझिम के गीत) बादल-१६ (रिमझिम के गीत) ✒️ इक बार बरस जा, ओ बादल! मैं रिमझिम के गीत सुनाऊँ; सूनेपन से झाँक रहे क्यों? मैं भी तुझे देख ललचाऊँ। कोरे सावन के आँगन... Hindi · गीत 3 4 416 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read पन्नों पर भी पहरे हैं पन्नों पर भी पहरे हैं ✒️ बैठ चुका हूँ लिखने को कुछ, शब्द दूर ही ठहरे हैं, ज़हन पड़ा है सूना-सूना, पन्नों पर भी पहरे हैं। प्रेम किया वर्णों से... Hindi · गीत 4 2 454 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read कभी परिमापित नहीं कभी परिमापित नहीं ✒️ आसमाँ को गर्व है, तारकों की माप पर; एक चंदा है मेरा, कभी परिमापित नहीं। क्या कहोगे बादलों के चक्रवाती दाँव से? ओ गगन तुम स्वयं... Hindi · गीत 1 300 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read प्रहरी, संवेदनहीन होता है प्रहरी, संवेदनहीन होता है ✒️ परिधि में प्रविष्ट होते ही गुंजायमान, चंट बादल की चपलता में पाशबद्ध, अमेय निश्छलता संदीप्त, स्वयंभू आदित्य समझता है, ऊर्ध्वगामी, वृहत नेत्रों से कांति बिखेरता,... Hindi · मुक्तक 1 4 286 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read जय विंध्याचल वाली जय विंध्याचल वाली ✒️ जिसके दर पर ध्यावें मुनि गण, जो वर देने वाली; शमित करो माँ जग की पीड़ा, जय दुर्गे, माँ काली। सृजित किया जब सृष्टि विधाता तुमको... Hindi · गीत 2 257 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 2 min read अगर पुरानी मम्मी होतीं... - १ अगर पुरानी मम्मी होतीं... - १ ✒️ बैठी सोच रही है मुनिया, मम्मी की फटकार को दुखी बहुत है कल संध्या से, क्या पाती दुत्कार वो? अगर पुरानी मम्मी होतीं...... Hindi · गीत 1 16 324 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read रमुआ के घर में रमुआ के घर में ✒️ पहुँच चुकी है अंर्तमन तक तथ्यों की इक टोली, आज चित्त में भावों का हड़ताल हुआ है। भूसी नहीं निलय में खाने के भी लाले,... Hindi · गीत 1k Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read मौलिकता की उपासना को मौलिकता की उपासना को ✒️ मौलिकता की उपासना को निर्बंध रखो रचनाकारों, कविताओं के उद्गम के भंडार खोलने वाला हूँ। नैनों की किलकारी से घायल हो जाने वाले व्योम सुधा... Hindi · गीत 285 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read आरोप लगा है आज चाँद पर आरोप लगा है आज चाँद पर ✒️ आरोप लगा है आज चाँद पर, लड़ी रात की उसे भा गयी। भटका फिरता निरा अकेला कर्तव्यों के मोढ़ों पर रात चढ़े निर्जन... Hindi · गीत 308 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read दान-धर्म की महिमा क्या तुम दान-धर्म की महिमा क्या तुम ✒️ दान-धर्म की महिमा क्या तुम, समझ गये हो दानवीर? अगर नहीं तो आ जाओ अब, संसद के गलियारों में। रणक्षेत्रों की बात पुरानी भीष्म,... Hindi · गीत 192 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read क्या छिपा रखा प्रिये क्या छिपा रखा प्रिये ✒️ हार जाता हूँ स्वयं ही, शस्त्र सारे डालकर; क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में? तीव्र बाणों की मधुर संवेदना से आह भरता, प्राण... Hindi · गीत 482 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read मिट्टी का पुतला लेकर मैं मिट्टी का पुतला लेकर मैं ✒️ चमकीली सी इन गलियों में, साक्ष्य जहाँ पर बिकते, माधव! मिट्टी का पुतला लेकर मैं, रो-रो गला फाड़ता आया। उत्प्रेरक वचनों से मोहित युवा... Hindi · गीत 263 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read चंद प्रीति चंद प्रीति ✒️ इन आँखों में प्रेयसि मुझको, चाँद नज़र क्यूँ आता है? बियाबान तेरी ज़ुल्फ़ों में, रोड़े क्यों अटकाता है? सूर्यमुखी तुझको कहूँगा, चंद्र नाम नहिं लेना है। चंद... Hindi · कविता 331 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read चाँद, तू गैर है चाँद, तू गैर है ✒️ चाँद, तू गैर है, जानता हूँ... दिल के ख़्वाबों को सीने में पालता हूँ। एक नज़र तो देखेगा मुझको, तमाम उम्र इस जद्दोजेहद में काटता... Hindi · मुक्तक 228 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read आहत ठुमके आहत ठुमके ✒️ पनघट पर तेरे ठुमकों ने, मरघट से मुझे पुकारा है; कानों में छन से गूँज रही, यह अमर सुधा की प्याला है। बेसुध सा सोता रहा सदा,... Hindi · गीत 233 Share अमित निश्छल 12 Nov 2018 · 1 min read प्रश्नचिह्न प्रश्नचिह्न ✒️ स्वर्णमयी आभा ज्योतित है, राघव के दरबार में और मानवों ने फैलाई, ख़बर, नगर, घर-बार में; रघुनंदन है श्रेष्ठ सभी से मान्य मानकों को बतलाओ सीता, सती अभी... Hindi · कविता 231 Share अमित निश्छल 10 Nov 2018 · 1 min read प्रेयसि पर मर मिट जाना है प्रेयसि पर मर मिट जाना है ✒️ मैं नालायक, लोफर भी हूँ तुम देख मुझे मुस्काती हो; पलकों को मीचे, वृहत नैन मुझ पर अपनत्व जनाती हो। जो नैन मिले... Hindi · गीत 2 2 229 Share अमित निश्छल 9 Nov 2018 · 1 min read क्या छिपा रखा प्रिये क्या छिपा रखा प्रिये ✒️ हार जाता हूँ स्वयं ही, शस्त्र सारे डालकर; क्या छिपा रखा प्रिये, इस मधुमयी मुस्कान में? तीव्र बाणों की मधुर संवेदना से आह भरता, प्राण... Hindi · गीत 223 Share अमित निश्छल 8 Nov 2018 · 1 min read मैंने रातों में चंदा को मैंने रातों में चंदा को ✒️ सरल हृदय के हर कोने को, नंदन वन महकाते देखा मैंने रातों में चंदा को, हँसकर नीर बहाते देखा। तारों के दीपित शिविरों में... Hindi · गीत 3 4 283 Share अमित निश्छल 3 Apr 2018 · 1 min read चैत्र का मान चैत्र मास से पूछा खग ने, मीत कहाँ से तुम आये हो; मग में अपनी नूतनता नित, स्वर्णिम आभा बिखराये हो? या रवि की किरणें अब करतीं, पीछा तेरी ही... Hindi · मुक्तक 393 Share अमित निश्छल 31 Mar 2018 · 1 min read नाद में मंजीर के बहता रहा ✒️ ऊँघकर, ज्यों बाग में थोड़ा भ्रमर, स्वप्न की रसधार में तिरता रहा; मंजरी की ख़ुश्बुओं में डूबकर, नाद में मंजीर के बहता रहा। फूल को डर था न काँटों... Hindi · कविता 280 Share अमित निश्छल 14 Mar 2018 · 1 min read वसंत का स्वागत बसंती ओढ़कर आया, करो सत्कार तुम रचकर, सजाओ द्वार-चौबारे, पते की बात यह सुनकर; कि लाया सौ टके वाला, मधुप श्रृंगार रस ऐसा, धरा की साँस महके है, मदन की... Hindi · कविता 337 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read मेरे विह्वल परिताप लिये ✒ सतरंगी परिधान लपेटे, वनदेवी तुम बन जाती हो; गिरती बिजली मेरे मन, औ', मंद-मंद तुम मुस्काती हो। मुख प्रसन्न, पर शील झलकता शीतलता, जैसे परिपाटी, विचरण करती हो, देवि... Hindi · कविता 198 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read प्रेयसि पर मर मिट जाना है ✒ मैं नालायक, लोफर भी हूँ तुम देख मुझे मुस्काती हो; पलकों को मीचे, वृहत नैन मुझ पर अपनत्व जनाती हो। जो नैन मिले चुपके से तो कलिका गुलाब हो... Hindi · कविता 220 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 2 min read चाँद की आभा ✒ शीघ्रता से सूरज भागा ज्यों, निकलकर नीड़ से खोला किवाड़ और आभा लिए दौड़ा झट से टूटकर दो लड़ियाँ, किरणों की गिर गईं जमीन पर छन्न से। अकुलाहट में... Hindi · लघु कथा 353 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 3 min read कवि की निद्रा ✒ यों भूलकर एक सृजक, अपने तन को, कुछ नज़्मों को जिंदा किए जा रहा था; भाल पर नवसृजन, दमक थी छपी यूँ, लफ़्ज़ों को परिंदा किए जा रहा था।... Hindi · कविता 454 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read इक दिया जलाने जाना है ✒ जीर्ण हुआ, चाँद अब नभ में, इक दिया जलाने जाना है; सूझ रहा ना रातों में कुछ, जग रौशन करने जाना है। चाँद का, अस्तित्व जिलाने को, बुझती आँखें... Hindi · कविता 236 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read सरहदों पर चाँदनी ✒ बुझती निगाहें देखती हैं सरहदों पर चाँदनी, सरहदी उन्माद है शीर्ष पर चढ़ा हुआ, जीव एक मृत सा बैठा,बर्फ में सना हुआ, निशि की एकाकी शांतियों में सोचता है;... Hindi · मुक्तक 432 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read मैं कविता बनाता हूँ ✒ मैं कविता बनाता हूँ, लिखता नहीं सजाता हूँ; भावों से, विचारों से सद्बुद्धि से; निर्मोही हो अलगाता हूँ। ख़ुद से जुदा कर, स्वयं पर इठलाता हूँ; मैं कविता, बनाता... Hindi · मुक्तक 1 2 434 Share अमित निश्छल 6 Mar 2018 · 1 min read फागुन है ✒ सरसों फहरें मुरझाय खड़े, किलकारि पड़ें तब फागुन है, पग खेवट के जब झूमि पड़ें, बिनु पान किये सखि फागुन है; जब डूबि पड़े सधवा विरले, गुल के रग... Hindi · गीत 2 5 491 Share अमित निश्छल 19 Feb 2018 · 1 min read ऊँघता चाँद ऊँघ रहे हो चाँद गगन में, क्या मजबूरी ऐसी? राग अलाप किये बैठे हो, क्या जग है विद्वेषी? इतनी भोली मति है तेरी, उमर रही बचपन की, रात-रातभर जाग रहे... Hindi · कविता 498 Share