Comments (4)
12 Nov 2018 02:51 PM
वाह सुंदर भाव, स्वागत योग्य।
महोदय, आपका भी मेरे पृष्ठ पर ‘ मेरी भोली “माँ” (सहित्यपिडिया काव्य प्रतियोगिता)’ नामक रचना पर स्वागत है।। ?
अमित निश्छल
Author
12 Nov 2018 08:33 PM
धन्यवाद आदरणीय???
आपकी रचना उत्तम स्तर की है। वोट भी किया
12 Nov 2018 09:32 PM
आभार मान्यवर?
सुंदर भावनाओं का झर झर बहता उत्स है आपकी यह छंद मुक्त कविता कमनीय… निराला जी याद हो आये…. नमन आपको… वाक्यं रसात्मकं काव्यं के विन्यास पर शत प्रतिशत खरी उतरती निम्नगा है यह कविता कमनीय.. जो बहती चली गई और छंद के बंधन से मुक्त गई…..
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सुंदरतम्… दिव्यातिदिव्यम्…
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महोदय.. मैनें भी एक अकिंञ्चन प्रयास भर किया है माँ पर कविता लिखने का… आप विचक्षण दृष्टिपात कर अपना आशीष प्रदान करें सादर और स्नेहाशीष रूपी मत प्रदान कर मेरा मनोबल बढाइएगा..सादर.. नमन