Ambarish Srivastava Tag: कविता 19 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ambarish Srivastava 19 Apr 2018 · 1 min read सरसी/सुमंदर या कबीर छंद की परिभाषा व रचनाक्रम: इंजी. अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर' सरसी/सुमंदर या कबीर छंद (चार चरण, प्रत्येक में १६-११ मात्रा अर्थात १६ पर यति, चरणान्त में गुरु-लघु) 'सरसी' छंद लगे अति सुंदर, नाम 'सुमंदर' धीर . नाक्षत्रिक मात्रा सत्ताइस ,... Hindi · कविता 484 Share Ambarish Srivastava 19 Apr 2018 · 1 min read मुक्तामणि छंद की परिभाषा व रचनाक्रम" :इंजी. अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर' मुक्तामणि छंद में ही इस छंद की परिभाषा (चार पद प्रत्येक में २५ मात्रा व १३-१२ मात्राओं पर यति, पदांत में दो गुरु या कर्णा) चार पदों का छंद यह,... Hindi · कविता 333 Share Ambarish Srivastava 13 Apr 2018 · 1 min read शाम को कल्लू मिलेगा आपकी लेकर दवा..... खटखटाते द्वार पर घंटी बजाते लोग हैं आज दोनों हाथ जोड़ें मित्रता के योग हैं देखिये मुन्ना खड़ा है आपका ही लाल है आपके अनुसार ही यह दे रहा स्वर-ताल... Hindi · कविता 282 Share Ambarish Srivastava 13 Apr 2018 · 1 min read मत्तगयन्द सवैया: देव नहीं परब्रह्म कहें .... देव नहीं परब्रह्म कहें शिवनाम अमोघ सदा हितकारी. नाम जपे नित मंदिर जाय जहाँ जगदीश बने त्रिपुरारी. ग्यारहवें प्रिय रुद्र बली अति नष्ट करें सब संकट भारी. ज्ञान विज्ञान बना... Hindi · कविता 214 Share Ambarish Srivastava 14 Dec 2017 · 3 min read 'रसवृष्टि धरा पर फिर होगी' आओ मेरे प्यारे मित्रों रिश्तों की बात बताता हूँ जो दिल मिलकर टूटे बिछड़े उन सबकी व्यथा सुनाता हूँ युग-युग से है सबको पसंद बस रंग स्वार्थी चोखा है हर... Hindi · कविता 238 Share Ambarish Srivastava 14 Dec 2017 · 2 min read मगर मेरे भाई न शादी रचाना.... मगर मेरे भाई न शादी रचाना. अगर तुमको आये न खाना पकाना पड़े भूख से आये दिन बिलबिलाना बटन चेन गायब कभी मत लजाना सो बेचारगी में पड़े पिनपिनाना भले... Hindi · कविता 538 Share Ambarish Srivastava 14 Dec 2017 · 1 min read समसामयिक चुनावी कविता समसामयिक चुनावी कविता: _________________________________ खटखटाते द्वार पर घंटी बजाते लोग हैं आज दोनों हाथ जोड़ें मित्रता के योग हैं देखिये मुन्ना खड़ा है आपका ही लाल है आपके अनुसार ही... Hindi · कविता 1 457 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 2 min read सहिये इस चाबुक की मार...वीर छंद (आल्हा) वीर छंद (आल्हा) संविधान में सबको शिक्षा, औ समानता का अधिकार. तब क्यों अगड़े पिछड़े बाँटे, आरक्षण की बहे बयार.. क्रायटेरिया से जो ऊपर, जनरल बनकर हुए प्रमोट. हैं अयोग्य... Hindi · कविता 254 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read करे समर्थन वो गद्दार.... आरक्षण संहारक नारे... विघटनकारी घातक वार, राजनीति का यह हथियार.. करे देश को जो कमजोर. आरक्षण वह जनरल खोर.. सच्चे-भले हुए बेकार. छल-प्रपंच यदि बेड़ा पार.. लुटे सवर्णों का संसार.... Hindi · कविता 2 374 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read भाभी बोलीं बाय-बाय...: हास्य घनाक्षरी रोज रोज आते जाते, भाभीजी को छेड़ें भैया, बाय-बाय चार बच्चों, वाली अम्मा गोरी हो . भैया रोज लेते मौज, भाभी होतीं परेशान. अच्छी नहीं खींचतान, ना ही जोराजोरी हो... Hindi · कविता 638 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 2 min read ‘सैनिक शासन आज लगा दो...’ : छंद लावनी छंद लावनी (मात्राएँ १६,१४) आतंकी बुरहान और इन सबमें रिश्तेदारी है, इस्लामिक कश्मीर बनाना, मकसद है तैयारी है. लहू चूसकर जिस धरती का ये सब जीते मरते हैं, उससे ही... Hindi · कविता 209 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read 'मौसम'आधारित कह- मुकरियां ____________________________ (१) दबे पाँव जो चलकर आवे, हमको अपने गले लगावे, मन भा जावे रूप विहंगम, क्यों सखि सज्जन? ना सखि मौसम ! ___________________________ (२) आये तो छाये हरियाली, उसकी... Hindi · कविता 202 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read यह दीप उसी से जलता है दें स्नेह मित्र बन प्रभु हमको, यह दीप उसी से जलता है| संदेह मुक्त होकर यह मन, बस प्यार बाँटता फिरता है || --इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर' Hindi · कविता 351 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read यह सृष्टि हो मनभावनी..: छंद हरिगीतिका सब देवता थे जब दुखी तब विष्णुश्रीहरि ने कहा. शुचि क्षीरमंथन देवदानव मिल करो सागर नहा. जब बन मथानी मन्दराचल था रसातल जा रहा, तब कूर्मरूपी अवतरण ले भार प्रभु... Hindi · कविता 258 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read छंद: मनहरण घनाक्षरी किंचित न अभिमान, रखते सभी का ध्यान, राग-द्वेष कटुता से, रीते रहें मोदीजी. देश से ही करें प्यार, माटी चूमें बार-बार, स्नेह प्रेम रसधार, पीते रहें मोदीजी. सिंह सी सुनें... Hindi · कविता 732 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 1 min read हरिगीतिका छंद: ॐ श्री विश्वकर्मणे नमः स्तुति... ऋषि धर्मवंशी भृगु सुधन्वा अंगिरा कुल शोभितं| हरिचक्र पुष्पक शिवत्रिशूलं आयुधं अभिकल्पितं| शुचि स्वर्ग लंका द्वारिका पुरइन्द्रप्रस्थं निर्मितं, विधु विश्वकर्मा, विधिविराटं पञ्चमुख प्रभुपूजितं|| (भावार्थ: समय-समय... Hindi · कविता 1 1 753 Share Ambarish Srivastava 6 Oct 2016 · 2 min read वीर जवानों को समर्पित वीर छंद (आल्हा)... क़त्ल जवानों का क्यों करते? छोड़ो राजनीति का राग, नीति-नियंता अब तो जागो, लगी हुई है घर में आग. सेक्युलरों सॅंग बने मदारी, खेल रहे जो मारक खेल, सैनिक बन... Hindi · कविता 840 Share Ambarish Srivastava 10 Sep 2016 · 2 min read महाकवि तुलसी-महिमा दन्त पंक्ति पट खोल, मुख तेहिं बोला राम जब| सुत उपजा अनमोल, हुलसी हुलसी, जग चकित|| (सोरठा) राजापुर शुभ रत्न समाना| उपजा जहँ तुलसी विद्वाना|| छंद शिरोमणि बाबा तुलसी| पिता... Hindi · कविता 556 Share Ambarish Srivastava 10 Sep 2016 · 1 min read कृष्ण-जन्म अँधियारे का पक्ष, भाद्रपदी शुभ अष्टमी, बंदीगृह का कक्ष, जगमग आलोकित हुआ.. धरि शिशुरूप सहज हो नाता. सम्मुख विष्णु उपस्थित माता.. नतमस्तक वसुदेव देवकी. स्वीकारें हरिरूप सेवकी.. लीलाधर हैं भाग्य... Hindi · कविता 329 Share