स्वर्णलता विश्वफूल Tag: कविता 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 स्वर्णलता विश्वफूल 11 Jun 2021 · 1 min read प्रेम एक गुप्तरोग है प्रेम या लव एक 'गुप्तरोग' है, जो अपने आप लग जाती है ! जिसे बताया नहीं जाता, किन्तु लोग इसे जान ही लेते हैं ! इश्क़ का रंग है लाल,... Hindi · कविता 6 10 323 Share स्वर्णलता विश्वफूल 10 Jun 2021 · 1 min read बगैर 'पिया मिलन' की ज़िंदगी निकल गई तुमने जो पाया, वो तो मेरे लिए पाया। मैंने जो खोई, वो तो तेरे लिए खोई। इस पाने-खोने के बीच पूरी ज़िंदगी बगैर मिलन की निकल गई ! Hindi · कविता 5 9 271 Share स्वर्णलता विश्वफूल 9 Jun 2021 · 1 min read प्यार में झारखंड हो गयी ! शादी से पूर्व मैं सिर्फ़ यही चाहती हूँ कि प्यार में झारखंड होना चाहती हूँ, क्योंकि यहाँ है हरियाली और आपदाएँ कम ! यहाँ है मस्त जंगल-झाड़, केन्दु फल को... Hindi · कविता 4 11 266 Share स्वर्णलता विश्वफूल 8 Jun 2021 · 1 min read मेरी 'लव केमिस्ट्री' उनके लिए नीड़ बनायी थी मैंने तिन-तिन स्वप्निल रेखाओं से प्रेम को आलिंगन कर सपनों को सँवार कर हृदयनिल सीमेंट से भावनाओं के ईंट-पाथर जोड़कर सरिया के छोटे टुकड़े कर,... Hindi · कविता 5 5 350 Share स्वर्णलता विश्वफूल 7 Jun 2021 · 1 min read शादी के बाद ज़िन्दगी उत्तराखंड हो जाती है ? क्या शादी के बाद ज़िन्दगी उत्तराखंड हो जाती है ? क्योंकि वहाँ की वादियों में खूबसूरती तो है, पर उन वादियों में आपदाएँ भी बहुतायत में हैं ! इसलिए तो... Hindi · कविता 3 6 464 Share स्वर्णलता विश्वफूल 6 Jun 2021 · 1 min read कौन हैं यहाँ 'दूध की धुली' ? मित्रो ! सुनो, मेरी बात !! कि कौन हैं यहाँ दूध की धुली ? किस हाथ में दही नहीं जमता, दीया बिना बाती, कली बिन सोलहों श्रृंगार, यादों के रोशन... Hindi · कविता 5 6 489 Share स्वर्णलता विश्वफूल 4 Jun 2021 · 1 min read बरसात में जवान लड़की मायूस हो जाती है ! अब तो पोखर पर मॉल बने हैं नालियाँ भी ठसमठस भरे हैं मेढकों ने टर्राने छोड़ दिए हैं उनके घर मानचित्र से गायब हैं ! बारिश का पानी सड़क पर... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 41 599 Share स्वर्णलता विश्वफूल 3 Jun 2021 · 1 min read कर्ण का क्या दोष ? सूरज भी जानता था अनछुई है कुंती, कुंती भी जानती थी अपनी सीमाएँ, परंतु यह प्यार थी या बलात्कार या प्रबल कामेच्छा या भूकंप का आना या तूफाँ कर जाना... Hindi · कविता 5 12 468 Share स्वर्णलता विश्वफूल 3 Jun 2021 · 1 min read मैं बिल्कुल अकेली लड़की हो गई हूँ अकेली ? यहाँ न आती माँ-बाबा की 'पढ़ने बैठो' की आवाज़ें, न भैया की डाँट, न छोटे भाई-बहन का प्यार, अचीन्हीं यहाँ की घर की दीवार भी।... Hindi · कविता 6 21 512 Share स्वर्णलता विश्वफूल 15 Jan 2017 · 1 min read ''चाक पर चढ़ी बेटी'' उस स्त्रीलिंग प्रतिमा, यौवन-उफनाई प्रतिमा को-- एक पुरुष ने खरीदा और सीमेंटेड रोड पर पटक-पटक / चू्र कर डाला । प्रतिमा के चूड़न को-- सिला में पीस डाला, और अपनी... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 6 15 620 Share Previous Page 2