विजय कुमार नामदेव Language: Hindi 91 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विजय कुमार नामदेव 14 May 2025 · 1 min read गणपति बप्पा गणपति बप्पा की जय बोल। खाते है वो लड्डू गोल।। सूंड बड़ी और तोंद बड़ी । जय शिव बोले घड़ी-घड़ी।। सूपा जैसे उनके कान। कितने गुण की है वो खान।।... Hindi · बाल कविता 1 114 Share विजय कुमार नामदेव 17 Feb 2025 · 1 min read नई कार भालू ने ली नई-नई कार। बड़ी शान से गया बाजार।। लड्डू पेड़ा और मिठाई । लेकर आए भालू भाई।। बहुत हुए खुश उसके बच्चे। पापा अपने कितने अच्छे।। सिग्नल तोड़ा... Poetry Writing Challenge-2 103 Share विजय कुमार नामदेव 17 Feb 2025 · 1 min read ठंडे गांव आज क्यों मरहम लगा दी घाव में। क्या कमी रह गई थी कोई दांव में।। तैरना सीखेगा कैसे तू बता। बैठ जाता तू हमेशा नाव में।। सब शहर में आ... Hindi 1 152 Share विजय कुमार नामदेव 20 Dec 2024 · 1 min read ठंडे गांव आज क्यों मरहम लगा दी घाव में। क्या कमी रह गई थी कोई दांव में।। तैरना सीखेगा कैसे तू बता। बैठ जाता तू हमेशा नाव में।। सब शहर में आ... Hindi 176 Share विजय कुमार नामदेव 22 May 2024 · 1 min read व्यथा क्या व्यथा कहते बुलाकर चार को। तोड़ते है चार ही घरबार को।। क्यों दवा में भी मिलावट कर रहे। मार ही डालोगे क्या बीमार को।। वक़्त पैसा प्यार सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 219 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read मिल रही है तीरगी रोशनी से मिल रही है। रोशनी तीरगी से मिल रही है।। तुम्हें बाहों में लेकर सोचता हूँ। ज़िन्दगी, ज़िन्दगी से मिल रही है।। तुझको पाना तो इत्तेफाक नहीं ।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 240 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read बदनाम से 2122 2122 212 हर चमन और हर कली के नाम से। हो रहे हैं आज कल बदनाम से।। इश्क क्या, है और बता कैसी वफ़ा। ये सभी मिलती हैं, केवल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 2 264 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदना वेदना के गर्भ में पलती रही संवेदना। अक्सर बिना सिर-पैर के चलती रही संवेदना ।। बस्तियाँ तो रात भर, जलती रहीं अपनी मगर। मोम के संग रात भर, गलती रही... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 2 262 Share विजय कुमार नामदेव 19 Mar 2024 · 1 min read राम-वन्दना मंदिर की नींव रखी, मुखिया अयोध्या धाम। सफल हुई है मेरी, आज राम वंदना।। जीवन को आर-पार, आप करो बार-बार। करते रहो जी आप, राम-राम वंदना।। अपने ही धाम आके,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता 4 268 Share विजय कुमार नामदेव 28 Feb 2024 · 1 min read क्या कहें क्या कहें उनको विजय जो बेशर्म हमको किए पर कभी भी शर्म से जो नहीं मरते रहे क्या कहें क्या कहें। क्या कहें उनको विजय जो शब्द तक लिखे नहीं।... Hindi 2 246 Share विजय कुमार नामदेव 26 Feb 2024 · 1 min read बैठ गए वो मुझे आजमा के बैठ गए। हम भी नज़रें झुका के बैठ गए।। हौंसला था हमारा यह समझो। खार दुश्मन भी खा के बैठ गए।। वक्ते रुखसत कब आसान रहा।... Hindi · ग़ज़ल 301 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read लाल पतंग उड़ा रहा है आसमान में सोनू अपनी लाल पतंग।। देख-देख खुश होता मोनू कितना प्यारा इसका रंग।। चीनू , गोलू , ढोलू , भोलू पतंग उड़ाते हैं मिलकर। एक दूजे... Poetry Writing Challenge-2 324 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read चिड़ियाघर चलो चलें चिड़ियाघर बच्चो देखेंगे हम मोर वहां।। हाथी ,बंदर, भालू, घोड़ा सब मिल करते शोर वहां।। चिड़िया चींचीं करती रहती चुगती वो तो दाना है।। तोता मिट्ठू-मिट्ठू बोले कोयल... Poetry Writing Challenge-2 312 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read बन्दर इंस्पेक्टर बंदर बन गया है इंस्पेक्टर लेता है वो सबसे घूंस। पैसे लेता डरा-डरा कर और चूसता सबका खून।। एक दिन उसको घूंस मिली न बंदर हो गया तब बेचैन। भालू... Poetry Writing Challenge-2 242 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read आज़ादी मां ने बेटो को खोया है आजादी ऐसे न पाई। रोये है आकाश धरा भी कितनों ने जब जान गवांई। सत्य अहिंसा के थे पुजारी हिंसा को न अपनाया।। आजादी... Poetry Writing Challenge-2 180 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read बन्दर-बिल्ली बंदर दे दो एक मिठाई बिल्ली हंसकर के बोली।। कुटिल हंसी थी उसकी लेकिन फैलाए थे वह झोली।। बंदर ने दी एक मिठाई तब बंदर पर वो झपटी। ले कर... Poetry Writing Challenge-2 189 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read स्कूल चले गुनगुन, मुन्नू, बबलू, गुड़िया सब मिलकर स्कूल चले। जाते हैं स्कूल सुबह से घर आते हैं सांझ ढले।। बस्ता, बॉटल, टिफिन हमारा मम्मी रोज ही रखती हैं। सबसे पहले उठ... Poetry Writing Challenge-2 324 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read अच्छे बच्चे अच्छे बच्चे पढ़ते-लिखते बिल्कुल नहीं झगड़ते हैं। आसमान से तारे तोड़ें सफल सीढ़ियाँ चढ़ते हैं। खेलकूद में अव्वल रहते समय से करते सारे काम। नित्य सुबह शाला को जाते जग... Poetry Writing Challenge-2 184 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read गुल्ली डंडा आसमान के तारे अम्मा हमको लगते हैं प्यारे। चलो तोड़ लाएं इनको यह तो है कितने सारे।। पापा-मम्मी, दादा-दादी सब मिलकर आकाश चलें। रोज देखते हम तो इनको मन होता... Poetry Writing Challenge-2 320 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read पेड़ लगाओ माली दादा पेड़ लगा दो आम पपीता और अनार। पेड़ हमारे जीवन दाता चलो करें इनका आभार।। हम सब मीठे फल खाएंगे स्वस्थ रहेंगे फल खाकर। दोस्त सभी मिलजुलकर खेलें... Poetry Writing Challenge-2 230 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read नटखट कान्हा कान्हा मेरा कितना नटखट। जाता है ये रोज ही पनघट।। चुरा-चुरा कर माखन खाता। ये तो मुरली रोज बजाता।। जंगल में ये गाय चराता। सब बच्चों के मन को भाता।।... Poetry Writing Challenge-2 258 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read सब्जियाँ बच्चों देखो खेत में अपने झांक रही है भिंडी रानी।। सूख ना जाए धूप कड़ी है पौधों में डालो पानी।। लाल टमाटर गोल-गोल है करता है यह शैतानी। अगर है... Poetry Writing Challenge-2 200 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read मोर जंगल चलो देखने मोर। करना मत बच्चों तुम शोर। पंखों के भी रंग हैं कितने। इंद्रधनुष में होते जितने।। नाचता है यह पंख पसार। सब करते हैं इससे प्यार।। देख... Poetry Writing Challenge-2 161 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read धोखेबाज शेर शेर था धोखेबाज बहुत ही चलता था पर लाठी टेक। एक दिन आया एक सियार भाग रहा था शेर को देख।। बोला शेर जरा रुक भाई तुझे नहीं मैं खाऊंगा।... Poetry Writing Challenge-2 318 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read सागर सागर देखो कितना गहरा। फिर भी है ये ठहरा-ठहरा।। मोती मिलते हैं अनमोल। मोती जिसमें मिलते गोल।। इतना पानी कहां से लाता। ये तो हमको समझ न आता।। दिखता है... Poetry Writing Challenge-2 265 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read नाव कागज की एक नाव बनाई। पानी में फिर इसे बहाई।। कहां-कहां ये जायेगी। क्या ये वापस आयेगी।। एक सफेद, एक रंग-बिरंगी। गुड़िया बना रही बेढंगी।। नाव के देखो कैसे हाल।... Poetry Writing Challenge-2 176 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read जाने कौन जाने कौन बनाता बादल इनमें पानी भरता कौन। बिजली इनमें कहां से आती गड़गड़ गड़गड़ करता कौन। कौन जो सागर के पानी में इतना सारा नमक घोलता। कोई तो होगा... Poetry Writing Challenge-2 3 6 467 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read खरगोश कितना प्यारा है खरगोश। इसमें देखो कितना जोश।। गाजर खाना इसको भाता। तभी तो गाजर प्रतिदिन खाता।। उछल कूद करता है दिनभर। शाम को जाता अपने घर।। लगता है ये... Poetry Writing Challenge-2 179 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read बाल दिवस बाल दिवस मानते मिलकर यह बच्चे छोटे-छोटे। कुछ तो है दुबले-पतले कुछ तो है मोटे-मोटे ।। कोई सुनाए बाल कहानी कुछ ने गाने भी गाए। कोई नाचे ठुमक-ठुमक कर नाच... Poetry Writing Challenge-2 210 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read मोटा बिल्ला मोटा बिल्ला बन गया नाई करता था वह खूब कमाई।। मटक-मटक कर चूहा आया बोला काटो मेरे बाल। दुश्मन आया है खुद चलकर फैलाया बिल्ला ने जाल।। कैची पकड़ी सर... Poetry Writing Challenge-2 · बाल कविता 221 Share Page 1 Next