विजय कुमार नामदेव Tag: ग़ज़ल 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विजय कुमार नामदेव 22 May 2024 · 1 min read व्यथा क्या व्यथा कहते बुलाकर चार को। तोड़ते है चार ही घरबार को।। क्यों दवा में भी मिलावट कर रहे। मार ही डालोगे क्या बीमार को।। वक़्त पैसा प्यार सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 219 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read बदनाम से 2122 2122 212 हर चमन और हर कली के नाम से। हो रहे हैं आज कल बदनाम से।। इश्क क्या, है और बता कैसी वफ़ा। ये सभी मिलती हैं, केवल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 2 264 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदना वेदना के गर्भ में पलती रही संवेदना। अक्सर बिना सिर-पैर के चलती रही संवेदना ।। बस्तियाँ तो रात भर, जलती रहीं अपनी मगर। मोम के संग रात भर, गलती रही... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 2 262 Share विजय कुमार नामदेव 26 Feb 2024 · 1 min read बैठ गए वो मुझे आजमा के बैठ गए। हम भी नज़रें झुका के बैठ गए।। हौंसला था हमारा यह समझो। खार दुश्मन भी खा के बैठ गए।। वक्ते रुखसत कब आसान रहा।... Hindi · ग़ज़ल 301 Share विजय कुमार नामदेव 22 Dec 2023 · 1 min read लतियाते रहिये ग़ैरों को अपनाते रहिये। अपनों को लतियाते रहिये।। बहुत दूर है यार पिपरिया। फिर भी आते जाते रहिये। देश आपके पापा का है। जो मन आये खाते रहिये।। बेशरमी को... Hindi · ग़ज़ल 224 Share विजय कुमार नामदेव 8 Jun 2023 · 4 min read बता ये दर्द बता ये दर्द भी किसको सुनाएं। मेरे हर ख़्वाब की जलती चिताएं।। बहुत है प्यार पर हक तो नही है। जो किस्मत में लिखा कैसे मिटाएं।। सभी रूठे अलग सबकी... Hindi · ग़ज़ल 2 357 Share विजय कुमार नामदेव 2 Oct 2022 · 1 min read बेबस मन बहुत परेशां, बेबस मन था। लेकिन तुम पर सब अरपन था। ठौर नहीं है, कोई, दुखों का। इससे तो बेहतर बचपन था। प्रेम, त्याग, आदर्श, समर्पण। बड़ा राम से पर... Hindi · ग़ज़ल 1 299 Share विजय कुमार नामदेव 14 Sep 2022 · 1 min read बेबस-मन बहुत परेशां, बेबस मन था। लेकिन तुम पर सब अरपन था। ठौर नहीं है, कोई, दुखों का। इससे तो बेहतर बचपन था। प्रेम, त्याग, आदर्श, समर्पण। बड़ा राम से पर... Hindi · ग़ज़ल 1 1 518 Share