विजय कुमार नामदेव Language: Hindi 87 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विजय कुमार नामदेव 22 May 2024 · 1 min read व्यथा क्या व्यथा कहते बुलाकर चार को। तोड़ते है चार ही घरबार को।। क्यों दवा में भी मिलावट कर रहे। मार ही डालोगे क्या बीमार को।। वक़्त पैसा प्यार सब कुछ... Poetry Writing Challenge-3 · ग़ज़ल 1 69 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read मिल रही है तीरगी रोशनी से मिल रही है। रोशनी तीरगी से मिल रही है।। तुम्हें बाहों में लेकर सोचता हूँ। ज़िन्दगी, ज़िन्दगी से मिल रही है।। तुझको पाना तो इत्तेफाक नहीं ।... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 74 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read बदनाम से 2122 2122 212 हर चमन और हर कली के नाम से। हो रहे हैं आज कल बदनाम से।। इश्क क्या, है और बता कैसी वफ़ा। ये सभी मिलती हैं, केवल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 1 91 Share विजय कुमार नामदेव 21 Apr 2024 · 1 min read संवेदना वेदना के गर्भ में पलती रही संवेदना। अक्सर बिना सिर-पैर के चलती रही संवेदना ।। बस्तियाँ तो रात भर, जलती रहीं अपनी मगर। मोम के संग रात भर, गलती रही... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल 2 77 Share विजय कुमार नामदेव 19 Mar 2024 · 1 min read राम-वन्दना मंदिर की नींव रखी, मुखिया अयोध्या धाम। सफल हुई है मेरी, आज राम वंदना।। जीवन को आर-पार, आप करो बार-बार। करते रहो जी आप, राम-राम वंदना।। अपने ही धाम आके,... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता 4 130 Share विजय कुमार नामदेव 28 Feb 2024 · 1 min read क्या कहें क्या कहें उनको विजय जो बेशर्म हमको किए पर कभी भी शर्म से जो नहीं मरते रहे क्या कहें क्या कहें। क्या कहें उनको विजय जो शब्द तक लिखे नहीं।... Hindi 1 118 Share विजय कुमार नामदेव 26 Feb 2024 · 1 min read बैठ गए वो मुझे आजमा के बैठ गए। हम भी नज़रें झुका के बैठ गए।। हौंसला था हमारा यह समझो। खार दुश्मन भी खा के बैठ गए।। वक्ते रुखसत कब आसान रहा।... Hindi · ग़ज़ल 149 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read लाल पतंग उड़ा रहा है आसमान में सोनू अपनी लाल पतंग।। देख-देख खुश होता मोनू कितना प्यारा इसका रंग।। चीनू , गोलू , ढोलू , भोलू पतंग उड़ाते हैं मिलकर। एक दूजे... Poetry Writing Challenge-2 106 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read चिड़ियाघर चलो चलें चिड़ियाघर बच्चो देखेंगे हम मोर वहां।। हाथी ,बंदर, भालू, घोड़ा सब मिल करते शोर वहां।। चिड़िया चींचीं करती रहती चुगती वो तो दाना है।। तोता मिट्ठू-मिट्ठू बोले कोयल... Poetry Writing Challenge-2 144 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read बन्दर इंस्पेक्टर बंदर बन गया है इंस्पेक्टर लेता है वो सबसे घूंस। पैसे लेता डरा-डरा कर और चूसता सबका खून।। एक दिन उसको घूंस मिली न बंदर हो गया तब बेचैन। भालू... Poetry Writing Challenge-2 59 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read आज़ादी मां ने बेटो को खोया है आजादी ऐसे न पाई। रोये है आकाश धरा भी कितनों ने जब जान गवांई। सत्य अहिंसा के थे पुजारी हिंसा को न अपनाया।। आजादी... Poetry Writing Challenge-2 44 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read बन्दर-बिल्ली बंदर दे दो एक मिठाई बिल्ली हंसकर के बोली।। कुटिल हंसी थी उसकी लेकिन फैलाए थे वह झोली।। बंदर ने दी एक मिठाई तब बंदर पर वो झपटी। ले कर... Poetry Writing Challenge-2 47 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read स्कूल चले गुनगुन, मुन्नू, बबलू, गुड़िया सब मिलकर स्कूल चले। जाते हैं स्कूल सुबह से घर आते हैं सांझ ढले।। बस्ता, बॉटल, टिफिन हमारा मम्मी रोज ही रखती हैं। सबसे पहले उठ... Poetry Writing Challenge-2 96 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read अच्छे बच्चे अच्छे बच्चे पढ़ते-लिखते बिल्कुल नहीं झगड़ते हैं। आसमान से तारे तोड़ें सफल सीढ़ियाँ चढ़ते हैं। खेलकूद में अव्वल रहते समय से करते सारे काम। नित्य सुबह शाला को जाते जग... Poetry Writing Challenge-2 51 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read गुल्ली डंडा आसमान के तारे अम्मा हमको लगते हैं प्यारे। चलो तोड़ लाएं इनको यह तो है कितने सारे।। पापा-मम्मी, दादा-दादी सब मिलकर आकाश चलें। रोज देखते हम तो इनको मन होता... Poetry Writing Challenge-2 61 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read पेड़ लगाओ माली दादा पेड़ लगा दो आम पपीता और अनार। पेड़ हमारे जीवन दाता चलो करें इनका आभार।। हम सब मीठे फल खाएंगे स्वस्थ रहेंगे फल खाकर। दोस्त सभी मिलजुलकर खेलें... Poetry Writing Challenge-2 94 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read नटखट कान्हा कान्हा मेरा कितना नटखट। जाता है ये रोज ही पनघट।। चुरा-चुरा कर माखन खाता। ये तो मुरली रोज बजाता।। जंगल में ये गाय चराता। सब बच्चों के मन को भाता।।... Poetry Writing Challenge-2 68 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read सब्जियाँ बच्चों देखो खेत में अपने झांक रही है भिंडी रानी।। सूख ना जाए धूप कड़ी है पौधों में डालो पानी।। लाल टमाटर गोल-गोल है करता है यह शैतानी। अगर है... Poetry Writing Challenge-2 39 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read मोर जंगल चलो देखने मोर। करना मत बच्चों तुम शोर। पंखों के भी रंग हैं कितने। इंद्रधनुष में होते जितने।। नाचता है यह पंख पसार। सब करते हैं इससे प्यार।। देख... Poetry Writing Challenge-2 43 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read धोखेबाज शेर शेर था धोखेबाज बहुत ही चलता था पर लाठी टेक। एक दिन आया एक सियार भाग रहा था शेर को देख।। बोला शेर जरा रुक भाई तुझे नहीं मैं खाऊंगा।... Poetry Writing Challenge-2 58 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read सागर सागर देखो कितना गहरा। फिर भी है ये ठहरा-ठहरा।। मोती मिलते हैं अनमोल। मोती जिसमें मिलते गोल।। इतना पानी कहां से लाता। ये तो हमको समझ न आता।। दिखता है... Poetry Writing Challenge-2 114 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read नाव कागज की एक नाव बनाई। पानी में फिर इसे बहाई।। कहां-कहां ये जायेगी। क्या ये वापस आयेगी।। एक सफेद, एक रंग-बिरंगी। गुड़िया बना रही बेढंगी।। नाव के देखो कैसे हाल।... Poetry Writing Challenge-2 61 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read जाने कौन जाने कौन बनाता बादल इनमें पानी भरता कौन। बिजली इनमें कहां से आती गड़गड़ गड़गड़ करता कौन। कौन जो सागर के पानी में इतना सारा नमक घोलता। कोई तो होगा... Poetry Writing Challenge-2 3 6 242 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read खरगोश कितना प्यारा है खरगोश। इसमें देखो कितना जोश।। गाजर खाना इसको भाता। तभी तो गाजर प्रतिदिन खाता।। उछल कूद करता है दिनभर। शाम को जाता अपने घर।। लगता है ये... Poetry Writing Challenge-2 45 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read बाल दिवस बाल दिवस मानते मिलकर यह बच्चे छोटे-छोटे। कुछ तो है दुबले-पतले कुछ तो है मोटे-मोटे ।। कोई सुनाए बाल कहानी कुछ ने गाने भी गाए। कोई नाचे ठुमक-ठुमक कर नाच... Poetry Writing Challenge-2 78 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read मोटा बिल्ला मोटा बिल्ला बन गया नाई करता था वह खूब कमाई।। मटक-मटक कर चूहा आया बोला काटो मेरे बाल। दुश्मन आया है खुद चलकर फैलाया बिल्ला ने जाल।। कैची पकड़ी सर... Poetry Writing Challenge-2 · बाल कविता 75 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read नई कार भालू ने ली नई-नई कार। बड़ी शान से गया बाजार।। लड्डू पेड़ा और मिठाई । लेकर आए भालू भाई।। बहुत हुए खुश उसके बच्चे। पापा अपने कितने अच्छे।। सिग्नल तोड़ा... Poetry Writing Challenge-2 · बाल कविता 86 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read हाथी की शादी कूद-कूद कर बंदर देखो बजा रहा था वह बाजा।। भालू नाचे जोर-जोर से नाचे जंगल का राजा।। हाथी बन गए दूल्हे राजा हथनी है दुल्हन प्यारी।। सारा जंगल खुशी मनाएं।... Poetry Writing Challenge-2 · बाल कविता 83 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read गुब्बारे नीले-पीले यह गुब्बारे। लगते देखो कितने प्यारे।। पापा हमको पैसे दे दो गुब्बारे हम लाएंगे। खेलेंगे हम बच्चे सारे मुनिया को भी खिलाएंगे।। डब्लू ,बबलू, चुन्नू, मुन्नू गुब्बारे लेने आए।... Poetry Writing Challenge-2 50 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read प्यारे बादल कितने प्यारे बादल दिखते। काले-भूरे और सफेद।। कहां से लाते पानी इतना हम बच्चे न जाने भेद।। बूंदे छुपा-छुपा कर रख ली और छुपा लेता तारे। छुपा लिया चंदा को... Poetry Writing Challenge-2 83 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read गणपति बप्पा खाते हैं लड्डू ये गोल गणपति बप्पा की जय बोल। चूहे की ये करे सबारी। मगर वजन में कितने भारी।। हाथों में रखते हैं भाल। गौरा मां के ये हैं... Poetry Writing Challenge-2 48 Share विजय कुमार नामदेव 20 Feb 2024 · 1 min read ईश वन्दना हे ईश्वर यह शक्ति देना सबसे हो अच्छा व्यवहार।। सदा बड़ों के चरण गहे हम छोटे से हो प्यार आपार।।। शक्ति देना, भक्ति देना और देना हमको तुम ज्ञान। विनती... Poetry Writing Challenge-2 123 Share विजय कुमार नामदेव 3 Feb 2024 · 1 min read तब जानोगे कितना प्यार किया है तुमसे, जिस दिन बिछड़ोगे, जानोगे। थोड़ा-थोड़ा करके खुद को, सौंप दिया है पूरा तुमको तोड़ो, जोड़ो या बिखरा दो, इससे क्या लेना है हमको। सहज मिलन... Hindi 1 170 Share विजय कुमार नामदेव 28 Dec 2023 · 4 min read मेरे प्रेम पत्र 3 तीन मेरे प्यारे भारत देश, तुम्हें पता है माता-पिता ईश्वर का स्वरूप होते हैं, तभी तो हम इन्हें सर्वोच्च स्थान पर रखते हैं। सभी माता-पिता का सपना होता है कि... Hindi · निबंध 1 163 Share विजय कुमार नामदेव 26 Dec 2023 · 4 min read मेरे प्रेम पत्र मेरे प्यारे भारत देश, तुम्हें पता है कि मैं और मेरे मित्र प्रेमलाल ईश्वर की कृपा से पढ़ लिख तो गए, परंतु उन दिनों दोनों बेरोजगार थे। सरकारी योजना के... Hindi 95 Share विजय कुमार नामदेव 22 Dec 2023 · 4 min read मेरे प्रेम पत्र मेरे प्यारे भारत देश, तुम्हें पता है कि नर्मदा नदी को हम नदी नहीं अपितु नर्मदा मां मानते हैं। यह बात बचपन से मन में है, पिताजी हर पूर्णिमा को... Hindi · निबंध 198 Share विजय कुमार नामदेव 22 Dec 2023 · 1 min read लतियाते रहिये ग़ैरों को अपनाते रहिये। अपनों को लतियाते रहिये।। बहुत दूर है यार पिपरिया। फिर भी आते जाते रहिये। देश आपके पापा का है। जो मन आये खाते रहिये।। बेशरमी को... Hindi · ग़ज़ल 94 Share विजय कुमार नामदेव 27 Aug 2023 · 1 min read तब मानोगे कितना प्यार किया है तुमसे, जिस दिन बिछड़ोगे, जानोगे। थोड़ा-थोड़ा करके खुद को, सौंप दिया है पूरा तुमको तोड़ो, जोड़ो या बिखरा दो, इससे क्या लेना है हमको। सहज मिलन... Hindi · गीत 1 238 Share विजय कुमार नामदेव 17 Aug 2023 · 1 min read मिला है इस जमाने में ये सिलसिला है। कौन दिल से किसी को मिला।। जिसने कदमों में दिल ये रखा है। दिल हमेशा उसी का छला है।। यार की है तलब रोज... Hindi 1 115 Share विजय कुमार नामदेव 8 Jun 2023 · 4 min read बता ये दर्द बता ये दर्द भी किसको सुनाएं। मेरे हर ख़्वाब की जलती चिताएं।। बहुत है प्यार पर हक तो नही है। जो किस्मत में लिखा कैसे मिटाएं।। सभी रूठे अलग सबकी... Hindi · ग़ज़ल 2 224 Share विजय कुमार नामदेव 9 Mar 2023 · 1 min read शक्कर की माटी बस पानी के रेला हम, बहते पानी के रेला हम शक्कर की माटी में जन्मे फिर भी करय करेला हम। सुख खाते सुविधाएं पीते झूठी शान में तन कर जीते... Hindi · Poem · कविता · गीत 341 Share विजय कुमार नामदेव 9 Mar 2023 · 1 min read जिये हम अन्धेरों में जिये पर, रोशनी बनकर जिये फैशनेबल शहर में भी, सादगी बनकर जिये। तंगहाली में कटे या मौज मस्ती से भरी हो आदमी जबतक जिये, बस आदमी बनकर... Hindi · कविता 334 Share विजय कुमार नामदेव 2 Oct 2022 · 1 min read बेबस मन बहुत परेशां, बेबस मन था। लेकिन तुम पर सब अरपन था। ठौर नहीं है, कोई, दुखों का। इससे तो बेहतर बचपन था। प्रेम, त्याग, आदर्श, समर्पण। बड़ा राम से पर... Hindi · ग़ज़ल 1 193 Share विजय कुमार नामदेव 14 Sep 2022 · 1 min read बेबस-मन बहुत परेशां, बेबस मन था। लेकिन तुम पर सब अरपन था। ठौर नहीं है, कोई, दुखों का। इससे तो बेहतर बचपन था। प्रेम, त्याग, आदर्श, समर्पण। बड़ा राम से पर... Hindi · ग़ज़ल 1 1 377 Share विजय कुमार नामदेव 2 Feb 2021 · 1 min read तुम्हारा अभिनन्दन है मैं तुमको पाने भाग रहा, जीवन की आपाधापी में।। तुम अब आई हो प्रिये, तुम्हारा अभिनंदन है।। जाने कितनी व्यथा समेटे, जंगल सहरा छान दिए। जो नफरत के लायक ना... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 45 435 Share विजय कुमार नामदेव 21 Dec 2020 · 1 min read प्रेमगीत कोरोना संकटकाल निकल जाए तो। तुमको जीभर प्यार करूँगा।। अभी तो छूने में भी डर है, मन में कोरोना का घर है। बीतेगा तो पुनः मिलेंगे, बुरा समय तो ये पलभर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 16 22 582 Share विजय कुमार नामदेव 9 May 2020 · 1 min read रोटी डाला करते थे किस्मत पर ही सबकुछ टाला करते थे। हम कर्मो का रोज़ दीवाला करते थे।। यार गधों से जीत न पाए लेकिन हम। घर में ही झाला घोटाला करते थे।। अपनों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 313 Share विजय कुमार नामदेव 12 Jul 2019 · 1 min read आदमी कितना कुछ आदमी के अंदर है। आदमी क्या कोई कलंदर है।। नए शहरों में नया कुछ भी नही। हर जगह एक सा ही मंजर है।। तिश्नगी थी कभी इन होठों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 341 Share विजय कुमार नामदेव 28 Apr 2019 · 1 min read उलझन किसकी किससे जात बड़ी छोटा मुँह और बात बड़ी * * मेरे छोटे से दामन में देना मत शौगात बड़ी * * जो रहते दिल के करीब वो ही करते... Hindi · कविता 404 Share विजय कुमार नामदेव 5 Apr 2019 · 1 min read शरमाना तुम गीत वफा के गाना तुम सपनों में खो जाना तुम माटी के यह बने घरौंदे रिश्ते नाते सब हैं झूठे। आहट से हिलती दीवारें आने से तेरे ना टूटे।। गिर... Hindi · गीत 578 Share Page 1 Next