Pankaj Trivedi Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pankaj Trivedi 22 Nov 2017 · 1 min read अलसुबह अलसुबह मैं फिनिक्स बनकर उठ खड़ा होता हूँ अपने अस्तित्व को निखारने के लिए ! दिनभर जद्दोजहद में लगे रहते हैं मेरे ही चाहने वाले मुझे गिराने के लिए !... Hindi · कविता 1 464 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ज़िंदगी ज़िंदगी फिल्म की तरह बनती है, सँवरती है, बनतीहै, बिगड़ती है, लोग देखते हैं और वक्त के प्रवाह में बहती हुई लावा की तरह ठहरकर पत्थर सी बन जाती है... Hindi · कविता 235 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read कविता हर शाम घर लौटकर आयने में देखकर हमें ही शर्म आने लगें, अपनी आँखों से आँखें मिला न पाएं..... ऐसा क्यूं जियें हम? सूर्य बदल रहा है... आओ, हम भी... Hindi · कविता 432 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त ! ज़िंदगी बहुत कम बची है दोस्त ! मगर जान लो ये बात .. मैं ज़िंदगी के पीछे दौड़ता नहीं मौत से घबराता नहीं ! ज़िंदगी को ख़ूबसूरत बनाने के लिए... Hindi · कविता 220 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read जल जल – पंकज त्रिवेदी * जल बहता है – झरनें बनकर, बहकर लिए अपनी शुद्धता को वन की गहराई को, पेड़, पौधों, बेलों की झूलन को लिए जानी-अनजानी जड़ीबूटियों के... Hindi · कविता 358 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read अशांति अशांति - पंकज त्रिवेदी तुम्हारा इंतज़ार करना अब नया तो नहीं है बरामदे में झूले पे झूलती हुई मैं शहर से आती उस सड़क को देखती रहती हूँ जबतक तुम... Hindi · कविता 267 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read मन मन - पंकज त्रिवेदी ** मन ! ये मन है जो कितना कुछ सोचता है क्या क्या सोचता है और क्या क्या दिखाते हैं हम... मन ! जो भी सोचता... Hindi · कविता 278 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read पैबंद पैबंद - पंकज त्रिवेदी * बचपन में जब नहलाकर माँ मुझे तैयार करती और फटी सी हाफ पेंट पैबंद लगाकर माँ मुझे स्कूल भेजना चाहती थी तब मैं नाराज़ होकर... Hindi · कविता 331 Share Pankaj Trivedi 20 Jan 2017 · 1 min read मुक्तक हर एक शब्द को छूने के बाद ही हम उस अर्थ को पाने का भरते हैं जो दम तुम चाहें तुकबंदी कहकर किनारा करो कौन जानता है तुम्हारे शब्द में... Hindi · कविता 307 Share