डॉ सुलक्षणा अहलावत Tag: कविता 61 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 डॉ सुलक्षणा अहलावत 11 Aug 2016 · 1 min read बलात्कार पीड़िता का दर्द उन दरिंदों ने तो सिर्फ एक बार मेरा बलात्कार किया था, पर समाज ने, मीडिया ने, कानून ने तो बार बार किया था। जब से लोगों को पता चला कि... Hindi · कविता 1 4 673 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 11 Aug 2016 · 1 min read दर्द शहीद के परिवार का छाती उस माँ की भी फ़टी होगी, दुनिया उस बाप की भी लूटी होगी, जिसका बेटा शहीद हो गया यहाँ। चरणों को जब उसने छुआ होगा, दर्द उस पत्नी को... Hindi · कविता 1k Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 9 Aug 2016 · 1 min read राखी का वचन (हरियाणवी) भाई र इब कै पोंचीयाँ प रपिये धेलै ना बस एक वचन दिए, माँ बाप की सेवा करैगा सारी उम्र उण प वार तन मन दिए। दुखां तै पाले साँ... Hindi · कविता 642 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 9 Aug 2016 · 1 min read वेश्या एक कड़वा सच ये कहने में नहीं आती लाज है कि वेश्या हूँ मैं, सच में अपने ऊपर मुझे नाज है कि वेश्या हूँ मैं। इन दुनिया वालों की अब करती परवाह नहीं... Hindi · कविता 6 1k Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 8 Aug 2016 · 1 min read सच का आइना सच का आइना क्या दिखाया उन्हें तिलमिला उठे वो। जरा सा सच क्या कहा एकदम से बिलबिला उठे वो। सच दिखाने से कोई सरोकार नहीं बस पैसे चाहिए उन्हें, पैसे... Hindi · कविता 512 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read ज्ञान की अलख अज्ञान के अंधकार को भगाने को ज्ञान की अलख घर घर जगाने को निकल पड़ी हूँ मैं लेकर अटल इरादा कुछ लोग खूब आलोचना करेंगे मेरी कुछ लोग बहुत सराहना... Hindi · कविता 422 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 7 Aug 2016 · 1 min read नजर आ रहा है जिधर देखो उधर आज अभिमान ही नजर आ रहा है। इंसानों के अंदर बैठा हैवान ही नजर आ रहा है। संवेदनशीलता मरती जा रही है आज के इस दौर में,... Hindi · कविता 383 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 6 Aug 2016 · 1 min read मन का मीत मन का मीत तोड़ प्रीत छोड़ अकेली चला गया, प्यार में खोया मन रोया जीवन मेरा छला गया। चिंता जगी आग लगी चिराग बुझा मोहब्बत का, हुई ख़ता मिली सजा... Hindi · कविता 1 1 503 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 6 Aug 2016 · 1 min read कर्मचारी और सरकार किसी सरकार बणी या म्हारै हरियाणे म्ह, कर्मचारियाँ नै रोकना चाहवै स थाणे म्ह। तानाशाही रवैया अपणाण लाग री स या, दुश्मन बणाण लाग री सबनै अनजाणे म्ह। निजीकरण म्ह... Hindi · कविता 631 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 5 Aug 2016 · 1 min read सावन और हसीना कुछ ऐसे लगता है ये सावन का महीना, जैसे श्रृंगार किये हो कोई सुंदर हसीना। हसीना की जुल्फों के जैसी काली घटाएं, नीले नीले आसमान में हर रोज ही छाएं।... Hindi · कविता 523 Share डॉ सुलक्षणा अहलावत 5 Aug 2016 · 1 min read तीज मनावां आ जाओ कुछ इस तरियां आपाँ तीज मनावां। भाईचारे अर प्रेम की लांबी पींग आपाँ बधावां। रल मिल कै बहु भाण बेटियां नै झुलाण चालां, कोय बी पेड़ खाली ना... Hindi · कविता 406 Share Previous Page 2