संजय सिंह 131 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid संजय सिंह 4 Feb 2017 · 1 min read स्थानीय भाषा में लोकगीत चला चली पानी भरी आई... मटकिया अप ने उठाई l ई मटकी मां जान मेरी अटकी.... जाने कब फूटी जाई l.... चला चली ..... पनघट पर छेड़ नंद का लाला... Hindi · गीत 5k Share संजय सिंह 11 Feb 2017 · 1 min read II इंसान की फितरत II इंसान होकर भी बेजुबा हो गए सभी l खामोशियों से बोलना आदत बनी रही ll ऐसा नहीं कि हम को कोई मलाल है l मिटती नहीं मिटाने से हसरत बनी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 807 Share संजय सिंह 1 Feb 2017 · 1 min read गुजरा हुआ जमाना दिनों के बाद गुजरा सामने से आशियाने के l मिले फिर से कई किस्से मुझे बीते जमाने के ll मिली सूनी पड़ी कोई हवेली राह तकती सी l मिले सूखे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 721 Share संजय सिंह 5 Feb 2017 · 1 min read ग़ज़ल होती है खो के सब कुछ भी मिले जो वो ग़ज़ल होती है l नींद आंखों से उड़ा दो तो गजल होती है ll लोग शब्दों से बयां करते जज्बातों को l... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 659 Share संजय सिंह 22 Feb 2017 · 1 min read * बस कमाओ ना * मुस्कुराना ठीक है, पर दिल जलाओ ना l दिल में उतर कर कभी, दिल दुखाओ ना I चार दिन की जिंदगी, है मुझे मालूम "सलिल"l काम आओ देश के, बस... Hindi · मुक्तक 670 Share संजय सिंह 3 Feb 2017 · 1 min read कहां किसी को दर्द हैं सभी यहां पर मर्द, कहां किसी को दर्द l आंखों से दिखता नहीं ,पड़ी हुई है गर्द ll पड़ी हुई है गर्द ,नहीं कुछ फिर भी पीड़ा l राम... Hindi · कुण्डलिया 660 Share संजय सिंह 3 Nov 2018 · 1 min read ll मां ll डांटती है कभी मनाती है l तल्ख बातों में प्यार शामिल हैll "आज सबकुछ मेरा दिया तुझको l कौन कहता करार शामिल है ll" मां ने तुमको बड़ा किया फिर... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 25 631 Share संजय सिंह 18 Feb 2017 · 1 min read II नजर II उठाना गिराना गिराकर उठाना , हुआ खेल कितना नजर ही नजर में l वहीं पर रहा हूं वहीं पर रहूंगा, गिरा ना कभी मैं जो मेरी नजर मेंll जो तुमने... Hindi · कविता 574 Share संजय सिंह 5 Mar 2017 · 1 min read II...मिट्टी की खुशबू...II किताबें धर्मों की जो भी वो नफरत दे नहीं सकती l वतन की मिट्टी की खुशबू खिलाफत दे नहीं सकती ll कभी हंसना कभी रोना कभी मिलना बिछड़ना है l... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 614 Share संजय सिंह 15 Feb 2017 · 1 min read II मोहब्बत का जरा खुलकर......II मोहब्बत का जरा खुलकर सनम इजहार करने दो l कयामत से कयामत तक मुझे तुम प्यार करने दो ll चले आओ मेरी जानिब के हो ए फासले कुछ कम l... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 582 Share संजय सिंह 2 Feb 2017 · 1 min read जो वादा किया तिलक माथे जनता सजाते नहीं है l जो वादा किया वो निभाते नहीं हैं ll भले इनसे तो हैं कसाई के बेटे l झूठा प्यार कोई जताते नहीं है ll... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 541 Share संजय सिंह 19 Mar 2017 · 1 min read आंखें आंखों से गिरा l वह कहां फिर उठा l ऊंची हवेली ll आंखों में पानी l खेत सूख बंजर l मेरी कहानी ll आंखों में बसा l टूटा एक सपना... Hindi · हाइकु 574 Share संजय सिंह 11 Feb 2017 · 1 min read II आज का गांव II आज इंसान खुद से हि अनजान क्यों l रोज मिलते न होती दुआ बात क्यों ll रह गया गांव का कोई मतलब नहीं l बैठकों में वो रौनक न अभिमान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 529 Share संजय सिंह 21 Feb 2017 · 1 min read II दिमागों में गुरूर देखा है..... II दिमागों में गुरूर देखा है l सलीके में शुरूर देखा है ll भरी दौलत से जेबे हैं जिनकी l उधारी में हुजूर देखा है ll देखी कारों में भी बुझी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 556 Share संजय सिंह 27 Feb 2017 · 1 min read II...हदों को पार करना भी....II जरुरी है मोहब्बत में हदों को पार करना भीl अकीदत में झुका हो सिर जरूरत वार करना भी ll कई टूटे कई बिखरे कई आबाद भी लेकिन l सभी को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 537 Share संजय सिंह 11 Feb 2017 · 1 min read II नेता II नेता बिल से निकल जनता से मिलने l झुकाकर शीश जोड़े हाथ अपने ll चुनावो का ए मौसम जान जाओ l होते फिर पूरे अब जनता के सपने ll सपोले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 487 Share संजय सिंह 5 Feb 2017 · 1 min read मैं घरौंदा रेत का सागर सा तू विशाल, मैं घरौंदा रेत का l निश्चित है परिणाम, इस जीवन के खेल का ll उद्देश्य ढूंढता हूं, दो लहरों के दरमियां l क्या सबब है यहां,... Hindi · कविता 488 Share संजय सिंह 12 Feb 2017 · 1 min read II दीप उम्मीद का II मुश्किलें भी मिली चैन जाता रहा l ठोकरों से सदा जख्म पाता रहा ll चांद आता रहा और जाता रहा l दीप उम्मीद का जगमगाता रहा ll कितनी रातें कटी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 484 Share संजय सिंह 20 Feb 2017 · 1 min read II सृष्टि का चक्र II मुक्तक -- सृष्टि का चक्र है ऐसा कुछ ऐसे ही चलता है l किसी की जान लेकर ही किसी का पेट भरता है ll वो चाहे फूल पौधे हो या... Hindi · मुक्तक 524 Share संजय सिंह 5 Mar 2020 · 1 min read II शब्दों की सीमा II शब्दों की है अपनी सीमा ,कुछ कह ना पाऊंगा l समझ सको तो बस इतना,अब चल ना पाऊंगा ll आदर्शों का बोझ लिए,आगे बढ़ना मुश्किल है l भ्रष्टाचार की सीढ़ी... Hindi · मुक्तक 2 535 Share संजय सिंह 8 Jul 2017 · 1 min read II... गई जब रात सारी....II जो वादा था किया तुमने वो पूरा क्यों नहीं होता l गई जब रात सारी तो सवेरा क्यों नहीं होता ll हमें आती नहीं कोई इबारत खौफ पैदा हो l... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 526 Share संजय सिंह 25 Feb 2017 · 1 min read II..आशिकी के सामने...II कब चला है बस किसी का आशिकी के सामने l दो जहां की क्या खुशी तेरी हंसी के सामने ll आजकल मदहोश है हम बे सबब ही रात भरl नींद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 553 Share संजय सिंह 11 Feb 2017 · 1 min read II..पाठ पढ़ ले प्रेम का...II बात चलती जब कभी भी बंदगी की l घेरने लगती है यादें फिर किसी की ll मेरा रब वो मेरा ईश्वर है वही सब l क्या है मंदिर और मस्जिद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 481 Share संजय सिंह 12 Feb 2017 · 1 min read II मतदाताओं का अधिकार II मतदाताओं का अधिकार , बस एक मत पत्र, चंद बूंद स्याही, और कुछ वर्षों तक, मुंह बंद रखने के लिए एक मोहर l और उसके बाद फिर वही,महंगाई , बेकारी,... Hindi · कविता 469 Share संजय सिंह 8 Feb 2017 · 1 min read # धूप छांव # छांव तो है एक छलावा, धूप मन का है भरम l रात या दिन कर रहे, दोनों के है अपने करम ll धूप में टपके पसीना, जो कभी तेरे बदन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 491 Share संजय सिंह 2 Mar 2017 · 1 min read II तेरी याद भी.....II तेरी याद भी न बहलाए मुझे अब l तेरे बिन दुनिया न भाए मुझे अब ll रुलाने को दुनिया ही जब मुकम्मलl तेरी याद फिर क्यों सताए मुझे अबll जमाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 511 Share संजय सिंह 15 Feb 2017 · 1 min read II मोहब्बत II एक लफ्ज है नाम मोहब्बत , दुनिया का है राज मोहब्बत, बिन इसके ना बाप न बेटा , राखी की है लाज मोहब्बत lI ना गांधी ना नेहरू होते, आजाद... Hindi · कविता 493 Share संजय सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read Il कैसी-कैसी सुनता हूं Il मत पूछो मैं निस दिन किसकी कैसी-कैसी सुनता हूं l सब सपनों में मस्त सो रहे जगकर सपने बुनता हूं ll क्या आएगी कभी धूप मेरे भी छोटे आंगन तक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 3 474 Share संजय सिंह 12 Feb 2017 · 1 min read II जीवन की आपाधापी में.....II जीवन की आपाधापी में , ज्ञान दबा सब कापी मे l किसे चाहिए ज्ञान यहां पर, सब पैसो की मापी मे ll जीवन की आपाधापी में .... आज के बच्चे... Hindi · गीत 535 Share संजय सिंह 9 Feb 2017 · 1 min read II शायरी II भेद दिल के सब बताती शायरी l दो दिलों को पास लाती शायरी ll बात जो बनती नहीं तकरीर से l चंद लफ़्ज़ों में सुनाती शायरी ll आदमी जब जिंदगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 455 Share संजय सिंह 11 Feb 2017 · 1 min read समझ बैठा था बुत लेकिन.... झुकी थी जो अभी तक, वह निगाहें खेलती सी है l समझ बैठा था बुत लेकिन ,जुबा भी बोलती सी है ll खड़ी ऊंची हवेली जो, बहुत कुछ कह रही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 489 Share संजय सिंह 12 Feb 2017 · 1 min read II नेता या अभिनेता II वह कोई नेता या अभिनेता रहा होगा , क्योंकि जब उसने देखा जनता की भूख और प्यास को, तरसती आंखों में रोटी कपड़ा और मकान की आस को, तब उसकी... Hindi · कविता 481 Share संजय सिंह 28 Feb 2017 · 1 min read II..आईना भी हैरान...II देख कर यह आईना भी हैरान हो जाए l जब उसी सूरत से फिर दो चार हो जाए ll पल में कैसे रंग बदले इंसान की फितरत l डर है... Hindi · मुक्तक 1 479 Share संजय सिंह 23 Feb 2017 · 1 min read II तुम ही सुबह शाम हमारे II तुम ही सुबह शाम हमारे, सूरज चंदा तारे हो l सारी दुनिया से क्या मतलब, बस तुम ना मुझको रोकना ll एक दूजे का साथ है तो, यह जीवन रण... Hindi · कविता 487 Share संजय सिंह 5 Mar 2020 · 1 min read II इंसान II सब कुछ कितना आसान हो गया l कल का जंगल मैदान हो गया ll टीवी मोबाइल सारे साथ में l नजरों पे चश्मा शान हो गया ll सर्दी या गर्मी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 444 Share संजय सिंह 16 Feb 2017 · 1 min read ना करना अब काले धंधे ना करना अब काले धंधे , गलती अपनी दौराना ना l सीधे साधे भोले भाले , टोपी उनको पहनाना ना ll अपनों की आंखों से गिरकर, जेल में हमको जाना... Hindi · गीत 480 Share संजय सिंह 14 Mar 2017 · 1 min read II एक चितवन से.....II एक चितवन से ए मन चपल हो गया l बात कुछ तो रही जो विकल हो गया l जाने क्या कह गई अधखुली सी पलक l मैं लूटा और जहां... Hindi · गीत 447 Share संजय सिंह 13 Feb 2017 · 1 min read II हौसला,इंसान से मशीन II वक्त का अपना कोई आकार नहीं होता , सुना है ईश्वर भी साकार नहीं होता l वक्त पर काम, इंसान मशीन नहीं है, मशीन से कोई सपना, साकार नहीं होता... Hindi · कविता 1 1 452 Share संजय सिंह 22 Feb 2017 · 1 min read II राजनीति स्वच्छ कैसे होगी II राजनीति स्वच्छ कैसे होगी? हम चुनते हैं अपना प्रतिनिधि , बहुमत का शासन बहुता भ्रष्टों की, उन्हीं में से कोई आएगा चुना जाएगा, राजनीति स्वच्छ कैसे होगी? भ्रष्ट क्यों चुनेंगे... Hindi · कविता 437 Share संजय सिंह 5 Mar 2020 · 1 min read II छलावा II हार जीत और धन दौलत,सब यार छलावा है l क्या मतलब,जब,सब का एक दिन, वहीं बुलावा है ll चिकनी चुपड़ी सुंदर सूरत, निशदिन ढलती है l रोज ही देखे,पकड़ न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 445 Share संजय सिंह 23 Feb 2017 · 1 min read II दर्द मुफलिसी का II ना कोई दोस्त अपना, न पहचान कोई l जिस पर बीते वह ही जाने ,दर्द मुफलिसी का ll मतलबी यह दुनिया, मतलब के सारे रिश्तेl कैसे कोई बांटे ,यहां दर्द... Hindi · शेर 423 Share संजय सिंह 18 Feb 2017 · 1 min read II रास्ते में हूं...II रास्ते में हूं, पर उसे ढूंढता l नासमझ हूं यह, क्या ढूंढता ll ईंट बालू के जंगल, वही देवता l फरियादों का क्यों, असर ढूंढ़ता ll शाम आई पूरा ,सफर... Hindi · कविता 476 Share संजय सिंह 12 Feb 2017 · 1 min read II....मिलन के गीत...II विरह से मैं ऊब गया अब , आज मिलन के गीत लिखूंगा l निष्प्राण झील सी नीरवता तज, अब मैं निर्झर नीर बनूंगा ll विरह से मैं प्यार भी था... Hindi · गीत 464 Share संजय सिंह 25 Feb 2017 · 1 min read II राह में था काफिला....II राह में था काफिला भी खो गया l मंजिलों का आसरा भी खो गया ll वह न आए याद क्यों जाती नहीं l अक्स खोया आईना भी खो गया ll... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 467 Share संजय सिंह 17 Feb 2017 · 1 min read II मोहब्बत का दिया.....I मोहब्बत का दिया, यार अब तो जलाओ l अब मेरे होसले को, मत और आजमाओll ******************************** बहुत कुछ है यहां खोया ,नफरतों में हमनेl हम वतन और हमसे वतन ,उनको... Hindi · कविता 463 Share संजय सिंह 12 Feb 2017 · 2 min read हम भी एक दिन बड़े बनेंगे .... हम भी एक दिन बड़े बनेंगे .... बड़े-बड़े घोटाले होंगे, माना के मुंह काले होंगे , फिर भी सीना तान चलेंगे , खद्दर से मुंह साफ करेंगे , लेनदेन की... Hindi · कविता 429 Share संजय सिंह 17 Feb 2017 · 1 min read II...सुकून...II खत्म होना ख्वाइशों का, ही सुकून बन जाएगा l ना मिलेगा कुछ भी बाहर, भीतर ही मिल जाएगा ll तू अकेला तो निकल ,रास्ते ही बन जाएंगे मंजिल l बात... Hindi · शेर 396 Share संजय सिंह 5 Mar 2020 · 1 min read II अपनी पहचान II जब से अपने से अपनी पहचान हो गई l सारी दुनिया ही गीता कुरान हो गई ll ना कोई नखरा ना कोई अदब का गुमान l खुली खिड़की तो रोशन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 433 Share संजय सिंह 19 Feb 2017 · 1 min read II पेड़ों का साया II कुछ तो कदर करो ,दुनिया में लाने वालों की l बहुत पछताएगा जब ,सिर पर ना साया होगा ll आसान नहीं होता ,दुनिया का सफर यारों l भूखे रहकर भी,... Hindi · गीत 433 Share संजय सिंह 5 Mar 2020 · 1 min read II जनता बेचारी II जाएं भी तो जाएं कहां अब,मरना खटना लाचारी है l समझ रहे सरकारी रुतबा, पर शोषण भी सरकारी है ll यहां दरिंदे शासन करते,और हाथ जोड़ते ऊपर से l किसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 426 Share Page 1 Next