seervi prakash panwar Tag: मुक्तक 13 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid seervi prakash panwar 9 Jul 2017 · 1 min read मरहम लगा दे ज़ख्मो पर.... मरहम लगा दे ज़ख्मो पर, तड़प रहा में तेरे लफ्ज़ो पर, एक रूप जड़ा था आँखों में, बह रहा हैं आज अश्क़ों में, धूप पड़ी तेरे हाथों पर, छवि बना... Hindi · मुक्तक 434 Share seervi prakash panwar 16 Jul 2017 · 1 min read तुम जिन्दा रहोंगीं.... तुम जिन्दा रहोगी हर पल इस अज़ीब से रूह में, क्यों कि जिन्दा हूँ मै तेरे जीने के तरीकों में, अग़र इतिहास लिखा गया मेरी ऊचाईयों का तो, एक तुम्हारा... Hindi · मुक्तक 289 Share seervi prakash panwar 19 Jul 2017 · 1 min read देश भक्ति साहब धूर्त हो तुम की बलिदान का कर्ज पैसो से चुकाते हो, पागल हो तुम की उनके घर जाकर साल ओढ़ाते हो, हमने एक खोया तो क्या हुआ एक ओर... Hindi · मुक्तक 294 Share seervi prakash panwar 26 Jul 2017 · 1 min read जो दरारों में दिख जाए...... जो दरारों में दिख जाए उससे उम्मीद क्या करना, जो दिलो में दिख जाए उनसे एतबार क्या करना, घर-घर दो पल की उम्मीद लिए फिरने वालो, जो हाथों की लकीरों... Hindi · मुक्तक 231 Share seervi prakash panwar 28 Jul 2017 · 1 min read मै इश्क़ विरोधी हूँ.... हम तो उस महफ़िल में ही मर गए थे जहाँ आवाज़ उठाई थी, मेरी उठाई हर एक आवाज को गलत बताई थी, मै इश्क़ करता हूँ यह बात हर बार... Hindi · मुक्तक 367 Share seervi prakash panwar 29 Jul 2017 · 1 min read कोई जब रूह गढ़ता हूँ तो....... कोई जब रूह गढ़ता हूँ तो वो शब्द बन जाता हैं, कोई जब शब्द गढ़ता हूँ तो वो आवाज़ बन जाता हैं, मै क्या दर्द लिखु इश्क़ और इश्क़ बाज... Hindi · मुक्तक 337 Share seervi prakash panwar 4 Aug 2017 · 1 min read दिल की ज़मी में खो गयी कही.... शहरों के इन अंधेरों से निकाला तो... परछाईयों में खो गयी कही, अफ़साने से लफ्ज़ो से निकाला तो... बेवजूद बातों में खो गयी कही, आंखिर कब तक ढूँढू में..... ईश्क... Hindi · मुक्तक 361 Share seervi prakash panwar 5 Aug 2017 · 1 min read अग़र ना बोली तो... अग़र ना बोली तेरी हरकतों पर तो मज़ाक समझ लोंगे, मज़बूर हैं तेरे रिश्ते से तो घर का अख़बार समझ लोगें, वो मुख़बधिर तक बन गयी तेरी हैवानियत पर भी,... Hindi · मुक्तक 435 Share seervi prakash panwar 17 Aug 2017 · 1 min read दीये की बाती ....... अब उसके बिना जीना दीये की बाती सा लगता! और उसके संग जीना बेवजूद अफ़सानों सा लगता! ऐ ख़ुदा..... एक तेरी आस, पर तू मुख़बधिर बन सब देख रहा! ज़न्नत... Hindi · मुक्तक 339 Share seervi prakash panwar 23 Aug 2017 · 1 min read हस लेना आज... हस लेना आज..मेरी परछाईयों पर, तुम जी भर के! आख़िर जिन्दगी की राह पर कब तक आँखे झुकाता मै! रोना पड़े कभी..मेरी धुंधली इन परछाईयों पर, तुम्हे जी भर के!... Hindi · मुक्तक 325 Share seervi prakash panwar 26 Aug 2017 · 1 min read क़ीमत...... जो घर -घर घूमने वाला आवारा समझा हैं मुझे, क्या यही कीमत थी मेरे विश्वास की.... जो चौराहे पर खड़ा कर मुर्ख समझा हैं मुझे, क्या यही कीमत थी मेरे... Hindi · मुक्तक 425 Share seervi prakash panwar 27 Aug 2017 · 1 min read मेरी ज़िद हैं इस... मेरी ज़िद हैं इस जग़ह के कण-कण में, मै यहाँ कैसे राह बनाऊँ! मै टूटा हूँ इस जग़ह पर एक पल में, मै यहाँ कैसे घऱ बनाऊँ! ये जो बड़े-बड़े... Hindi · मुक्तक 374 Share seervi prakash panwar 15 Sep 2017 · 1 min read नाजायज़ रहती अग़र माँ............... "नाजायज़ रहती अग़र माँ तुम तो,वक्त का अहसास नहीं होता, दुध का दर्द तो होता पर,कानों को आहाट की ज़रूरत नहीं होती, माना कि तूम ना दुध का दर्द रख... Hindi · मुक्तक 421 Share