Language: Hindi
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बेरोजगार
Bhupendra Rawat
उलझा हूँ, ज़िंदगी की हरेक गुत्थियाँ सुलझाने में
Bhupendra Rawat
पहला श्लोक ( भगवत गीता )
Bhupendra Rawat
विद्यार्थी और विभिन्न योग्यताएँ
Bhupendra Rawat
बढ़ती उम्र के साथ मानसिक विकास (बदलाव) समस्या और समाधान
Bhupendra Rawat
तकनीकी युग मे स्वयं को यंत्रो से बचाने के उपाय
Bhupendra Rawat
न पूज तू पत्थर को,तू पूज इंसान
Bhupendra Rawat
माँ
Bhupendra Rawat
अपने लिए सब सोना चाहे,दूजे के लिए माटी
Bhupendra Rawat
खुद को खोकर तुझे पाया है मैंने
Bhupendra Rawat
हास्य व्यंग्य...... शादी के पश्चात
Bhupendra Rawat
चलो झूठ बोले
Bhupendra Rawat
शीर्षक-मैंने पढ़ है किताबों में
Bhupendra Rawat
दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है
Bhupendra Rawat
अब्दुल कलाम- द मिसाइल मैन
Bhupendra Rawat
कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में
Bhupendra Rawat
बस गयी हो मेरी रूह में तुम
Bhupendra Rawat
बहुत देखे किरदार ज़िन्दगी की किताबों में
Bhupendra Rawat
कहने को है बहुत कुछ शब्दों के बाज़ार में
Bhupendra Rawat
रिश्ते निभाए तूने दिल-ओ-जान से
Bhupendra Rawat
जिनके पांव में छाले है वो इतिहास बनाने वाले है
Bhupendra Rawat
चोट खाये हुए मज़दूर घर को लौट आये मज़दूर
Bhupendra Rawat
तेरे संग गुज़ारे लम्हों का सवाल है
Bhupendra Rawat
कहां तलक ख़्वाब तेरे मुझे ले जायेंगे
Bhupendra Rawat
नीली स्याह के निशां थोड़े धुंधले पड़े है
Bhupendra Rawat
मासूमियत से भरे नादान सवाल
Bhupendra Rawat
भूख मिटाने कुछ लोग, गांव छोड़ शहर की ओर आये थे
Bhupendra Rawat
जरा सी जेब भारी हुई लोगों के तेवर बदल गए
Bhupendra Rawat
लोगों के रंग बदल जाते है
Bhupendra Rawat
ज़िंदा हूँ मगर लाश पड़ी है सड़क किनारे
Bhupendra Rawat
आलीशान बंगलो में बैठे मजदूर नीति के निर्माणकर्ता
Bhupendra Rawat
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शिक्षा का स्तर
Bhupendra Rawat
विद्यालय एक पूंजीवादी संस्था
Bhupendra Rawat
चालीस दिन के रोज़े में, तरस गया पीने वाला
Bhupendra Rawat
तेरे नाम की एक शाम और ढल गयी
Bhupendra Rawat
ये गलती गिनाने का वक़्त नही है
Bhupendra Rawat
ज़िंदा तो हूँ फ़क़त चंद सांसे बची है
Bhupendra Rawat
भूल चुके है लोग रिश्ते निभाना
Bhupendra Rawat
हंसता हूँ,हँसाता हूँ मन सबका बहलाता हूँ
Bhupendra Rawat
माता पिता का करो सम्मान माता पिता है हमारे भगवान
Bhupendra Rawat
आसान नही तेरे बिन ज़िन्दगी
Bhupendra Rawat
शांति स्थापित करने के लिए लोग चुनते है
Bhupendra Rawat
माँ में भी उस चिड़िया के भांति नील गगन में उड़ना चाहता हूँ ।
Bhupendra Rawat
मुद्दतों बाद तेरा ख्याल फिर से आया है
Bhupendra Rawat
लॉकडाउन 3.0 सोशल डिस्टेंसइंग की धज्जियां उड़ाती सरकारी नीतियां
Bhupendra Rawat
कोरोना की जंग तो नही लेकिन
Bhupendra Rawat
शब्दों के बाज़ार में मौन रहना भला है
Bhupendra Rawat
सफ़र ज़िन्दगी का रुक ही गया
Bhupendra Rawat
क्या पता था लोगों के रंग बदल जायेंगे
Bhupendra Rawat
न पूछ मुझसे मेरी ख्वाइश-ए-ज़िन्दगी
Bhupendra Rawat