Bhupendra Rawat Tag: कविता 138 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में भूल गया है,स्वयं को इंसान फंस चुका है धर्म-जात रूपी जाल में थोपना चाहता है,स्वयं के ऊपर धर्म रूपी ठप्पा उसी धर्म रूपी... Hindi · कविता 2 221 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read युद्ध का परिणाम सदैव होता है, हार या जीत परन्तु युद्ध का परिणाम सदैव होता है, हार या जीत परन्तु निष्कर्ष सदैव होता है, रक्त से लतपत मानवीय संवेदानाओ की आहुति चारों तरफ सिर्फ लाशों का बाज़ार जिसके खरीदार वो... Hindi · कविता 2 304 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ मैं अपने ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ वो रूठ जाती है उसे अक्सर मनाता हूँ नींद उड़ाने वाले चंद सपने अक्सर सपने ही रह जाते है वादा... Hindi · कविता 2 347 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read आप लड़े हो आज तक हिन्दू मुसलमान बोल कर आप लड़े हो आज तक हिन्दू मुसलमान बोल कर इंसानों को जातियों में तोल कर मज़हब की दुकान खोल कर इंसानियत को टटोलकर प्यार का मोल कर आप लड़े हो... Hindi · कविता 3 2 462 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read अपनी नींद ज़ाया न कर अपनी नींद ज़ाया न कर मोहब्बत है तो बता दे खुद को तड़पाया न कर इज़हार ए इश्क़ थोड़ा मुश्किल है ऐसे इश्क़ को भुलाया न कर ग़नीमत है इश्क़... Hindi · कविता 2 481 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read मज़हब की इस दौड़ में गुम हो गया है,आदमी आपने ही पाठ पढ़ाया सबसे पहले इंसान आया इंसानो ने मज़हब बनाया हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई, बौद्ध,पारसी, जैन सबको मज़हबी गमछा पहनाया। मज़हब की इस दौड़ में गुम हो गया है,आदमी मज़हबी पोशाक... Hindi · कविता 2 196 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read जीवन का संघर्ष उम्मीद मत हारो आसमा के घनघोर काले बादल छट जाएंगे। फिर सूरज की नई मध्यम किरणों के साथ नए दिन की शुरुआत होगी। आशा की नई किरण एक नया उत्साह,हर्षोउल्लास... Hindi · कविता 2 535 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read ख़ामोश रह कर अक्सर गुनगुनाता हूँ ख़ामोश रह कर अक्सर गुनगुनाता हूँ ग़म हो फिर भी मुस्कुराता हूँ ज़ालिम है दुनिया इंसानी वेश में सर्प विचरण करते है विष को उनके अमृत समझ निगल जाता हूँ... Hindi · कविता 3 337 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read मैं भी तन्हा हूँ मैं भी तन्हा हूँ मगर कोरे कागज़ की तन्हाई दूर करता हूँ। अपने दर्द को कोरे कागज़ में बयां करता हूँ रुक जाती है धड़कने मेरी जब भी जवां शब्दों... Hindi · कविता 3 255 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read जीवित रहना भी समान है मृत होने के जीवित रहना भी समान है मृत होने के जब आपकी इच्छाएं,भावनाएं शरीर के किसी कोने में दब कर रह जाती है तब आप बन जाते हो वो पाषाण जो बयाँ... Hindi · कविता 3 262 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read कहाँ लिखी जाती है पाक मोहब्बत की दास्ताँ कहाँ लिखी जाती है पाक मोहब्बत की दास्ताँ जिसके अनगिनत किस्से आज भी अधूरे है राधा कृष्ण,लैला मंझनू की अमर है दास्ताँ किस्से जिनके जहां की जबाँ में आज भी... Hindi · कविता 1 236 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read ज़िन्दगी की दौड़ में जिम्मेदारियों के बोझ तले चलता हूँ रोज छोटी सी आस लिए निकल पड़ता हूँ ज़िन्दगी की दौड़ में कुछ अपने हैं और कुछ पराए इस भीड़ भरी दुनिया में खुद... Hindi · कविता 1 1 590 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read हम तो ठहरे मुसाफिर हम तो चले अब भैया हम तो ठहरे मुसाफिर बहती जीवन की धारा के हम है,छोटे से नाविक यहीं जीवन की रंगमंच स्थली हर भय से पहले से परिचित अनंत... Hindi · कविता 1 251 Share Bhupendra Rawat 8 Jan 2020 · 1 min read मैं जुगनुओं को पनाह देता हूँ तुम्हारी गुफ्तगू में मेरा कोई जिक्र नही है तब जाना कि कोई फिक्र नही है ये मौसम ही खुदाई का तुमसें कोई रुसवाई नही है यही सोचकर मैंने वक़्त गुज़ारा... Hindi · कविता 1 313 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read तुझे देखने को चाह में तुझे देखने को चाह में हां आज भी मैं कभी खुद की राह नही बदलता बदलता हूँ मैं खुद को तेरे आने जाने की आस लिए मैं अपनी राह नही... Hindi · कविता 1 260 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read जब देश के रक्षक खुद भक्षक बन जाते है जब देश के रक्षक खुद भक्षक बन जाते है कुर्सी में बैठे लोग मूक दर्शक बन जाते है देखो संसद भी गूंज जाती है अपने स्वार्थ के नारों से आरोप... Hindi · कविता 1 375 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read ना ही था वो ना ही कोई मैं था ना ही था वो ना ही कोई मैं था सुबह उठा तो यहाँ की फ़िज़ाओं में ज़हर था राजनीती हिंदू, मुस्लिम,सिख,ईसाई में व्यस्त थी राह के चार मुसाफ़िर की मंज़िल... Hindi · कविता 1 211 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read एक सुंदर उपहार होती है बेटियां एक सुंदर उपहार होती है बेटियां पूरा संसार होती है बेटियां अँधेरी रात में जगमगाती रोशनी का साथ होती है बेटियां स्वयं की नही संसार की लाज़ होती है बेटियां... Hindi · कविता 1 341 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त काश मैं भी होती पत्थर की मूर्त सम्मान मुझे भी दिया जाता मुझ अबला नारी,लड़की की इज़्ज़त का यूं मूर्त के आगे ना तार तार किया जाता मैं भी होती... Hindi · कविता 1 256 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read क्यों तुम दूर चली गई देकर दर्द ज़माने का क्यों तुम दूर चली गई अपना कहने वाली थी तुम क्यों फिर रूठ के तुम चली गई अपने यादों की बन्दिश में मुझे क्यों छोड़ के... Hindi · कविता 1 244 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read हां भारत देश बदल रहा है नेताओं के वादों में लोगों की बातों में भारत बदल रहा है सच झूठ में बदल रहा है हर तरफ झूठ ही झूठ चल रहा है डिग्री पाकर भी अनपढ़... Hindi · कविता 1 373 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read कविता बनाई नहीं जाती कविता बनाई नहीं जाती स्वयं ही बन जाती है अंदरूनी भावों को कलम कोरे कागज में उकेरे जाती है जब भाव मुख से बयाँ नही होते लेखनी के द्वारा अपना... Hindi · कविता 1 391 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read गुमसुम रहने की आदत हो गयी है गुमसुम रहने की आदत हो गयी है हर दर्द को सहने की आदत हो गयी है दर्द देना ही अब दुनिया का दस्तूर है अब दर्द में ही जीने की... Hindi · कविता 1 315 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read रहने दे तू मेरे पास तो है रहने दे तू मेरे पास तो है हक़ीक़त में नही बीते हुए पल की यादों में मेरे साथ तो है तुझसे जुड़े आज भी ज़िंदा मेरे ज़हन में दबे हुए... Hindi · कविता 1 313 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read आओ एक दूजे से कुछ सलाह मशविरा कर लेते है आओ एक दूजे से कुछ सलाह मशविरा कर लेते है तुम हमारे, हम तुम्हारे गुनाहों को ढक लेते है एक को दो और दो को चार पढ़ लेते है आवाम... Hindi · कविता 1 347 Share Bhupendra Rawat 20 May 2018 · 1 min read माँ मेरे साथ मेरा साया बना फिरती है मेरी माँ मेरे साथ मेरा साया बना फिरती है, दूर होता हूँ माँ से फिर भी अपना हाथ आशीर्वाद सदा मेरे पर बनाए रखती है आँखों से ओझल जो हो... Hindi · कविता 1 528 Share Bhupendra Rawat 28 Dec 2017 · 1 min read बस माँ समझ पाती है बस माँ समझ पाती है मेरे भीतर दबे अरमानों को बस माँ समझ पाती है होता हूँ माँ से दूर मुझे हिचकी बहुत आती है अपने बच्चों को परेशान देख... Hindi · कविता 1 1 544 Share Bhupendra Rawat 19 Dec 2017 · 1 min read तन रही है बंदूके नेताओ की बोली पर चढ़ रही है चादर होली की रंगोली पर तन रही है बंदूके नेताओ की बोली पर दफ़न है किस्से सारे अमर जवानों के भारत माता रो रही है देखकर कटे... Hindi · कविता 1 316 Share Bhupendra Rawat 28 Nov 2017 · 1 min read बिन माँ इस सृष्टि का वजूद नही नौ माह कोख में रख पाला था माँ ने गिर कर राह में मुझे सम्भाला था माँ ने नही थी आरज़ू कुछ भी माँ की आँखों का तारा मुझे अपनी... Hindi · कविता 1 347 Share Bhupendra Rawat 24 Nov 2017 · 1 min read मत कुचलो दबे अरमानो को मत कुचलो दबे अरमानो को उड़ जाने दो आसमा में परवानो को दूर नहीं है मंजिल कदमों से दिखा लेने दो हुनर उन दिवानो को मंजिल आज नही तो,कल मिल... Hindi · कविता 1 295 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read इस अज़नबी जहाँ में किसे अपना बताओगे किस शहर से आये हो कहाँ को जाओगे इस अज़नबी जहाँ में किसे अपना बताओगे दिल जला है कितनी बार और कितना दिल जलाओगे खुश्क आँखों से मोती कब तक... Hindi · कविता 1 503 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read तू बढा सुलझा हुआ है मैं बहुत उलझा हुआ हूं तू बढा सुलझा हुआ है मैं बहुत उलझा हुआ हूं तेरी यादों के दरिया में मैं आज भी बिखरा हुआ हूँ टूट गया आशिया दरख़्त से तेरी याद में आज... Hindi · कविता 1 253 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read आ चल चलें उस लम्बी दूरी में आ चल चलें उस लम्बी दूरी में जहां चलना सबके लिए सरल ना हो तू हो और मैं हूँ और हमारी मंजिल हो उस लम्बी दूरी की राह में दोनों... Hindi · कविता 1 470 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read किताब में सुखा हुआ एक गुलाब देखा किताब में सुखा हुआ एक गुलाब देखा प्यार का होते हुए मैंने उपहास देखा झूठे वादों का मैंने रिवाज़ देखा मरी हुई रूह में इंसानी लिबास देखा इंसानों में जिंदा... Hindi · कविता 1 357 Share Bhupendra Rawat 21 Nov 2017 · 1 min read मान है बेटी सम्मान है बेटी मान है बेटी सम्मान है बेटी घर के आंगन में मुस्कान है बेटी माता पिता की पहचान है बेटी एक नही दो घरों का ईमान है बेटी कई रिश्तों का... Hindi · कविता 1 2 1k Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read जब दिल बीमार होने लगता है तब किसी से प्यार होने लगता है जब दिल बीमार होने लगता है तब किसी से प्यार होने लगता है जख़्म बार बार होने लगता है दर्द सरे आम बाजार होने लगता है ज़िन्दगी में खिलवाड़ होने... Hindi · कविता 1 295 Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read जो चाहता हूँ वो भूल नही पाता हूँ लौट कर मैं वही आ जाता हूँ जो चाहता हूँ वो भूल नही पाता हूँ लौट कर मैं वही आ जाता हूँ बेवफ़ा की बेवफाई का सितम मैं ही पाता हूँ चुपके से रोता हूँ, हँसी भूल... Hindi · कविता 1 283 Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read वो आज भी इस बात से बेखबर है वो आज भी इस बात से बेखबर है मेरी तन्हा राहों के वो हमसफ़र है शहर में जल रही आग की कहाँ फ़िक्र है आब की तलाश में भटक रहा... Hindi · कविता 1 405 Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read मन में कितने भ्रम पाले हुए है मन में कितने भ्रम पाले हुए है भूखे सो रहे है फुथपाथ में इंसान पत्थर को चढे निवाले हुए है सिकुड़ के मर रहा ठंड में इंसान पत्थर को वस्त्र... Hindi · कविता 1 445 Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read अब हर जगह तू ही तू नज़र आता है अब हर जगह तू ही तू नज़र आता है तेरे बिन सपना भी अधूरा रह जाता है नही होती सुबह तेरे बिन ओ मेरी जाना तेरा तस्सवुर ही तो, दिल... Hindi · कविता 1 581 Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read दिन में भी तुम रात में भी तुम हो मेरे अंदर छिपे जज़्बात में भी तुम हो दिन में भी तुम रात में भी तुम हो मेरे अंदर छिपे जज़्बात में भी तुम हो बहती हुई फ़िज़ाओं के एहसास में भी तुम हो मेरे भीतर ख्यालात में... Hindi · कविता 1 536 Share Bhupendra Rawat 19 Nov 2017 · 1 min read ज़िन्दगी जलती हुई सिगार बनकर रह गयी ज़िन्दगी जलती हुई सिगार बनकर रह गयी लोगों के हाथों में दम की शिकार बन कर रह गयी धुँआ बन,हवा में घुल, राख बन चंद क्षणों की मेहमान बनकर रह... Hindi · कविता 1 342 Share Bhupendra Rawat 18 Nov 2017 · 1 min read मेरी हर नज़्म की शुरुआत हो तुम पानी में घुलनशील जैसी कोई पदार्थ हो तुम मेरे दिल में बसी मेरे जज़्बात हो तुम मेरा दिन मेरा रात हो तुम खिलखिलाते फूलों की तरह महकती एहसास हो तुम... Hindi · कविता 1 457 Share Bhupendra Rawat 27 Sep 2017 · 1 min read सँघर्ष तो ज़िन्दगी भर चलता ही रहेगा सँघर्ष तो ज़िन्दगी भर चलता ही रहेगा कौन कहता है ये अखरता रहेगा हार जाएंगे चुनौती देने वाले भी जब कभी भी पत्थर बाहर तरस के निकेलगा सब यहाँ धैर्य... Hindi · कविता 1 463 Share Bhupendra Rawat 26 Sep 2017 · 1 min read जो नारी का अपमान करेगा जग क्यों उसका सम्मान करेगा जो नारी का अपमान करेगा जग क्यों उसका सम्मान करेगा जिस नारी ने जन्म दिया हे मूर्ख तू कैसे जन्म देने वाली माँ का अपमान करेगा नर्क होगा नसीब तुझे... Hindi · कविता 1 1k Share Bhupendra Rawat 25 Sep 2017 · 1 min read ना पूछो तुम हाल मेरे दिल का हो गया हाल बेहाल इस दिल का ना पूछो तुम हाल मेरे दिल का हो गया हाल बेहाल इस दिल का दिल के दर्द को आँखों ने पनाह दी बरस गये मोती बनकर दिल लगाने की सज़ा... Hindi · कविता 1 596 Share Bhupendra Rawat 18 Sep 2017 · 1 min read बीते हुए पलों को याद कर मुस्कुराना ही तो ज़िन्दगी है बीते हुए पलों को याद कर मुस्कुराना ही तो ज़िन्दगी है दुःख में तेरा साथ आ जाना ही तो ज़िन्दगी है देख कर पलके झुकाना चुपके से मुस्कुराना ही तो... Hindi · कविता 1 1k Share Bhupendra Rawat 12 Sep 2017 · 1 min read जख्म आज भी ताजे हो जाते है जख्म आज भी ताजे हो जाते है जब यादे बनकर वो पल आँखों के समक्ष आ जाते है दर्द होता है उस वक्त जब सारे किस्से फिर वही गीत गाते... Hindi · कविता 2 792 Share Bhupendra Rawat 11 Sep 2017 · 1 min read समा गयी है तू मेरे भीतर समा गयी है तू मेरे भीतर जिस तरह नदी का पानी समा जाता है समुन्द्र के अंदर समा गयी है तू इस कदर मेरे अंदर जिस तरह समा जाता है... Hindi · कविता 1 408 Share Bhupendra Rawat 11 Sep 2017 · 1 min read प्रक्रति ने हम सब पर उपकार किया है प्रक्रति ने हम सब पर उपकार किया है सुंदर सा जीवन देकर हमारा उद्धार किया है प्रक्रति ने हमे बहुत कुछ दिया है हमने प्रक्रति से सब कुछ छीन लिया... Hindi · कविता 2 1 254 Share Previous Page 2 Next