डॉ०प्रदीप कुमार दीप Tag: कविता 78 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 डॉ०प्रदीप कुमार दीप 4 Mar 2017 · 1 min read पूूछूँगी मैं ? "पूछूँगी मैं ? ---------- क्यों पूजते हो फिर ? नवरात्रा में मुझे ! जब रवानगी देते हो तुम मेरी ही...... शवयात्रा में मुझे !! कभी बोरे में ! कभी गटर... Hindi · कविता 443 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 3 Mar 2017 · 1 min read कायल हुआ हूँ =========================== " कायल हुआ हूँ " --------------------------- तेरे हुस्न का , 'कायल' हुआ हूँ , नजर से तेरी ,'घायल' हुआ हूँ | छनकता हूँ ! रात-दिन खुशियों से , तेरे... Hindi · कविता 268 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 3 Mar 2017 · 1 min read माया " माया " ----------- अनिर्वचनीय तेरा साया , हे माया ! तू है अलबेली | तेरा निज स्वरूप बताकर , शंकर ने की दूर पहेली || तू ही तो "अध्यास"... Hindi · कविता 429 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 1 Mar 2017 · 1 min read रोटी "रोटी" -------- रोटी कि क्या बात करें ? रोटी तो रोटी होती है | पतली-पतली गेहूँ की ! मक्के-बाजरे की मोटी है || कहीं सिकता ! तंदूर तड़पकर !! कही... Hindi · कविता 731 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 28 Feb 2017 · 1 min read अपना साया " अपना साया " -------------------- हाँ !! देखा है मैंने ! अपना साया !! अपने साथ चलते कभी आगे....... तो कभी पीछे चलते !! मेरा साया ! हरदम एहसास कराता... Hindi · कविता 422 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 28 Feb 2017 · 1 min read एकाकार "एकाकार" --------------- एकाकार हुए है देखो ! कितने सुन्दर ? वृक्ष विशाल | खो रही जो .... प्रीत की थाति ! जला रहे ! उसकी मशाल || मनुज-स्नेह भी गौण... Hindi · कविता 534 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 25 Feb 2017 · 1 min read स्नेह-बदली "स्नेह-बदली" ----------------- स्नेह-बदली तुम बनकर बरसो ! मेरे हृदय-आकाश में ! कभी बरसो तुम ! सावन में ! और कभी बरसो मधुमास में || मौहब्बत का तुम भाग्य लिखो। मेरे... Hindi · कविता 526 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 24 Feb 2017 · 1 min read आदि-शक्ति आदि-शक्ति " ------------------- मुझमें भी है सृष्टि की आदि-शक्ति ! सत्य भी है ! शिव भी है ! और है भोले की सुन्दर-भक्ति | मैं भी रखता हूँ ! समाहित... Hindi · कविता 428 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 24 Feb 2017 · 1 min read नूतन भोर नूतन भोर """"""""""" क्यों बिछती हूँ ? मैं सेज पर ! क्यों बिकती हूँ ? बाजारों में ! क्यों अस्मत से ? खिलवाड़ करूँ ! क्यों जीवन को ? बर्बाद... Hindi · कविता 555 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 21 Feb 2017 · 1 min read अभिव्यक्ति "अभिव्यक्ति" ------------------- कभी-कभी जब भी बनता हूँ ! तेरे एहसास का बिन्दु तो एहसास मेरे ! छू जाते हैं ! तेरे अन्तर्मन को ! तब होती है ! गुफ्तगू !... Hindi · कविता 481 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 16 Feb 2017 · 1 min read दीप-लहू " दीप- लहू " ----------------- तब तू बहना मेरे शोणित, जब देश मेरा पुकार करे | कतरा-कतरा तू बह जाना , अगर वतन-अरि हुंकार भरे || मातृ-भूमि के लिए न... Hindi · कविता 230 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 15 Feb 2017 · 1 min read नव-फूल "नव-फूल" --------------------- जब तक जीओ सुख से जीओ | बेमतलब में ग़म ना पीओ || गमी तो साथी वो बला है........ टाले से जो नहीं टला है || बात पे... Hindi · कविता 318 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 13 Feb 2017 · 1 min read निर्भया बोल रही हूँ " निर्भया बोल रही हूँ " """""""""""""""""""""""""" मैं स्वर्ग से निर्भया बोल रही हूँ ! नर के वेश में छुपे हुए भेड़ियों को कोस रही हूँ ! जाने कितने पाप... Hindi · कविता 263 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 13 Feb 2017 · 1 min read कुकृत्य "कुकृत्य" """""""""""""" चौराहों से उठाते हैं.......... कभी रस्ते चलते उठाते है ! हद कर जाते वहशी-दरिंदे जब बच्ची को घर से उठाते हैं !! काम-वासना अपनी जगाकर मंदिर-मस्जिद से उठाते... Hindi · कविता 213 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 13 Feb 2017 · 1 min read कुकृत्य "कुकृत्य" """""""""""""" चौराहों से उठाते हैं.......... कभी रस्ते चलते उठाते है ! हद कर जाते वहशी-दरिंदे जब बच्ची को घर से उठाते हैं !! काम-वासना अपनी जगाकर मंदिर-मस्जिद से उठाते... Hindi · कविता 1 267 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 9 Feb 2017 · 1 min read देवी " देवी " """"""""""""""""" एक जमाना था दादी-नानी के वर्चस्व का ! जब देवियों की भरमार थी | जैसे.......... हरकोरी देवी ! बूजी देवी ! सन्तोष देवी ! बरजी देवी... Hindi · कविता 215 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 7 Feb 2017 · 1 min read कल्याणी " कल्याणी " """"""""""""""""""" तू आदि शक्ति ! विधाता की और बहिन बनी , तुम भ्राता की | साध्य बनती ! तू साधक की और ध्येय बनी तू ध्याता की... Hindi · कविता 286 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 2 Feb 2017 · 1 min read झलकारी बाई "झलकारी बाई" झलकारी की झलक देखकर , वो बुन्देले भी हाँफ गये...... जब उतरी वो समरभूमि में , गौरे भी थर-थर काँप गये || जमुना-कोख से पैदा हुई ,... Hindi · कविता 5 4 4k Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 1 Feb 2017 · 1 min read मजदूर हूँ " मजदूर हूँ " मजदूर हूँ मजबूर नहीं मन से मजदूरी करता हूँ | मैल नहीं मन में कोई माथे को सिंदूरी करता हूँ | मजहब मेरा मजदूरी है मैं... Hindi · कविता 355 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 1 Feb 2017 · 1 min read पद्मिनी की मर्यादा " पद्मिनी की मर्यादा " """"""""""""""""""""""""""""""""""""" उस जौहर व्रत की अग्नि में , पद्मा ने खुद को हवन किया | वो नारी थी ,वो सबला थी , शक्ति को जिसने... Hindi · कविता 649 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 1 Feb 2017 · 1 min read नव-बसंत " नव-बसंत " """"""""""""""""" गाती है धरा , फूलों से सजा ! सब हरा-भरा ! मन-भावन है || कितना प्यारा , कितना सुन्दर ! नव-सृष्टि सा मौसम है ! हर्षित... Hindi · कविता 531 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 31 Jan 2017 · 1 min read बेवा का दर्द """""""""""""""""" "बेवा का दर्द" """""""""""""""""" सूना जीवन, बेदर्द बन गया ! दिखलाऊँ मैं ,किसको आज ? सूनी माँग ! मन मेरा सूना ! जीऊँ या मर जाऊँ आज ?? हिम्मत... Hindi · कविता 339 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 30 Jan 2017 · 1 min read परिवर्तन " परिवर्तन " """"""""""""""""" परिवर्तन प्रकृति का नियम है ! यह नित्य है ! शाश्वत है ! अद्भुत है ! क्षणिक है ! नवीनता है ! मानवीय सोच और कृत्यों... Hindi · कविता 300 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 29 Jan 2017 · 1 min read दर्द- ए- दवा "दर्द-ए-दवा" """"""""" दर्द में दर्द को दवा क्या दूँ ? दिल में दबी हैं जो दुआ वो क्या दूँ ? दहशत दाहक-सी है दगा क्या दूँ ? दौड़ती है दरिया-दिमाग... Hindi · कविता 310 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 29 Jan 2017 · 1 min read दीप-परम्परा " दीप-परम्परा " """"""""""""""""'"'"""" सदियों पूर्व तात्कालिक परिस्थितियों में बने थे कुछ.... नियंत्रक नियम ! कुछ आवश्यक कार्यों का नित्य पालन बना था ! परम्परा का आधार !! तब परम्पराऐं......... Hindi · कविता 475 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 28 Jan 2017 · 1 min read बेटी की व्यथा "बेटी की व्यथा " """"""""""""""""""""" माँ ! तेरी इन बाहों में....... तेरी स्नेहिल निगाहों में , तेरे आँचल की पनाहों में , एक बार तो ! ले ले तू मुझको... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 750 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 28 Jan 2017 · 1 min read नारी व्यथा " नारी-व्यथा " """""""""""""""""" कैसी निर्बल ? कैसी निशक्त ? क्यों अबला मैं बन बैठी ?? क्यों मेरा अपमान हुआ ? क्यों मेरा चीर-हरण हुआ ? क्यों बाजारों में बेची... Hindi · कविता 521 Share डॉ०प्रदीप कुमार दीप 28 Jan 2017 · 1 min read कर्ज कभी ना उतरेगा "कर्ज कभी ना उतरेगा" """"""""""""""""""""""""""""" पहन बसंती चोले को, सीने पर खाई गोलियाँ , अपने वीर शहीदों ने, खेली खून की होलियाँ | आजादी को गले लगाने ,निकली उनकी टोलियाँ,... Hindi · कविता 248 Share Previous Page 2