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1 Feb 2017 · 1 min read

नव-बसंत

” नव-बसंत ”
“””””””””””””””””

गाती है धरा ,
फूलों से सजा !
सब हरा-भरा !
मन-भावन है ||
कितना प्यारा ,
कितना सुन्दर !
नव-सृष्टि सा
मौसम है !
हर्षित होता है
हर प्राणि !
आलम लगता
सावन-सा !!
नव – वल्लरी
नव – पल्लव
और
नव- पराग है
पावन-सा !!
मधुप करे…….
रसपान मधु का
इस कलि से…..
उस कलि !
कोयल कूक लगाती है
उपवन-उपवन
गली-गली !
चारों ओर
बहारें छाई !
फिर से है……..
नव-बसंत आई !!

(डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”)

Language: Hindi
463 Views
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