Laxmi Narayan Gupta 89 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Laxmi Narayan Gupta 16 Jul 2018 · 1 min read समाज को दर्पण दिखाती दो कुण्ड़लियाँ समाज को दर्पण दिखाती कुण्डलियाँ ऋण लिया और घी पिया, किया बैंक को भ्रष्ट । भोगवाद से देश की, मानवता है तृष्त ॥ मानवता है तृष्त, हम सहभागी इसमें ।... Hindi · कुण्डलिया 356 Share Laxmi Narayan Gupta 8 Apr 2018 · 1 min read कविता कलश नव गीत, कविता, अकविता गुदगुदाती क्षणिक क्षणिका और भी ऐसा बहुत कुछ हायकू या माहिया और जाने क्या क्या आज का कविता कलश । आज की हिंदी गजल भी छोड़... Hindi · कविता 259 Share Laxmi Narayan Gupta 30 Mar 2018 · 1 min read जय जय जय बजरंगबली अंजनी सुत पवन पुत्र ने वनवासी मित्रों को संग ले कदम कदम पर राम राम भज ढूंढ लिया लंकेश छली । जय जय जय बजरंगबली । थे संगठित वानर, भालू... Hindi · कविता 370 Share Laxmi Narayan Gupta 27 Mar 2018 · 1 min read जाने क्यों ? कलम रुकी है जाने क्यों ? अधर मौन हैं जाने क्यों ? सत्य झूठ है सब कुछ सम्मुख फिर भी चुप है दर्पण क्यों ? रहा हितैशी जन मन का... Hindi · कविता 323 Share Laxmi Narayan Gupta 14 Nov 2017 · 1 min read मैं आदमी हूँ ख़ास मैं आदमी हूँ खास रोजाना सुबह से शाम तक निकालता हूँ बाल की खाल फिर बुनता हूँ मकड़जाल कोई फसे क़ामयाब हो चाल | जागने से सोने तक साथ रखता... Hindi · कविता 477 Share Laxmi Narayan Gupta 7 Nov 2017 · 1 min read जीवन प्रवाह अक्र बक्र दो नदी किनारे बीच बहे जीवन की धारा | गंगा सागर में मिलने तक सुख-दुःख ये ही सहें हमारा | दो कंधों से सटा रपटता धरा धरातल पर... Hindi · कविता 291 Share Laxmi Narayan Gupta 1 Nov 2017 · 1 min read हो ली जो होनी थी होली जो होना थी कल तक सन चौदह तक आते आते । वंशवाद, जनवादी देखे सहिष्णुता से बैर बढ़ाते । प्रह्लाद को जला न पाये वाद प्रमादी कंड़े काठी ।... Hindi · कविता 263 Share Laxmi Narayan Gupta 22 Oct 2017 · 1 min read अम्बर पुकारे गतिशील रहना धरती सिखाये निस्वार्थ सेवा सूरज सिखाये चलती है सृष्टि इन्हीं के सहारे । न सोता है सूरज न थमती है धरती दोनों के तप से धरा है सरसती... Hindi · कविता 251 Share Laxmi Narayan Gupta 21 Oct 2017 · 1 min read कैसे हरूँ मुरलिया बंसीधर ने जब जब बंसी बाजुबन्द में बांधी । चिंतित हो कह उठते ग्वाले आने को है आंधी । मोर मुकुट का पंखी चंदवा गत आगत का ज्ञाता । कुछ... Hindi · कविता 269 Share Laxmi Narayan Gupta 15 Oct 2017 · 1 min read हर क्षण नारायण नारायण नारायण गाएँ माँ के गर्भ कैद से जीवा मुक्त करो हे राम पुकारे | जग में आकर बाहर भूले दुःख के नाम उचारे | भेज ले हर का नाम, कि ताकि पुनर्जन्म... Hindi · कविता 304 Share Laxmi Narayan Gupta 7 Oct 2017 · 1 min read उसे पसंद करने वाला कोई नहीं हैं मेरी बेटी कविता चालीस की हो रही है उसे छै सौ से अधिक लोग देख चुके पर पसंद न होने की बात जहाँ की तहीं है | उसे कोई पसंद... Hindi · कविता 447 Share Laxmi Narayan Gupta 4 Oct 2017 · 1 min read हँसी और मुस्कान की बस्तियाँ बहुत दूर गुमगयीं बस्तियाँ हँसी और मुस्कानों की । जीवन की दो सगी सहेली मोहताज पहचानों की । भागी हँसी छोड़कर आंगन हँसने बाग बगीचों में । मुस्काने हो गयीं... Hindi · कविता 267 Share Laxmi Narayan Gupta 2 Oct 2017 · 1 min read लाल बहादुर शास्त्री जी का स्मरण लाल बहादुर जैसा कर्मठ, भारत माँ का प्यारा पाकिस्तान पराजित करके, खुद किस्मत से हारा दुष्ट पाक की कूट्नीति ने, पलटा जीता पासा रहस्यमयी उनकी मृत्यु पर, अब तक नहीं... Hindi · कविता 323 Share Laxmi Narayan Gupta 30 Sep 2017 · 1 min read रावण की ओर से शुभ कामनाएँ दशहरे की हँसकर रावण बोल रहा है आज यदि होते श्री राम कितने रावण मार गिराते ? इतने तीर कहाँ से लाते ? आ भी जाते चल भी जाते बचता कौन ?... Hindi · कविता 350 Share Laxmi Narayan Gupta 27 Sep 2017 · 1 min read कहाँ छुपे तुम तात विभीषण । छाती सहती नित पद प्रहार हो रही सहिष्णुता तार तार हम भाई समझ कर बार बार न्योछावर करते रहे त्राण वे सब तो निकले खर दूषण कहाँ छुपे तुम तात... Hindi · कविता 382 Share Laxmi Narayan Gupta 3 Sep 2017 · 1 min read मैंने गज़ल लिखी नहीं दिखी धूप तो उदास हो गए दो दिनों से रुकी हुई प्यास हो गए । देखी जो आज सुबह, धूप गुनगुनी मुरझाए गीत मधुमास हो गए । होता नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 219 Share Laxmi Narayan Gupta 29 Aug 2017 · 1 min read कहकर हर हर गंग अपनी अपनी विवेचना को कह कर वे सत्संग । तम सागर में हमें डुबाते कहकर हर हर गंग ।। धर्मार्थ प्रयोजित कालाधन करे धर्म बदरंग । करें करोड़ों खर्च भ्रष्ट... Hindi · कविता 229 Share Laxmi Narayan Gupta 4 Jun 2017 · 1 min read एक स्वप्न एक तरइया पापी देखे दो दिखें चण्डाल को । तीन तरइयाँ राजा देखे सब दिखें संसार को । होश संभाला जब से मैंने तब से गगन निहारा । अंधियारा आने... Hindi · कविता 326 Share Laxmi Narayan Gupta 30 May 2017 · 1 min read विडम्बना ममता मरी समता मरी अतृप्ति जीवित । मानवी संवेदनाएँ चुक गयीं होकर व्यथित । घर छोड़ती हद तोड़ती गृह लक्ष्मी विश्वास को ठेंगा बताती बन रही है कुलक्षणी । पाश्चात्य... Hindi · कविता 277 Share Laxmi Narayan Gupta 10 May 2017 · 1 min read गर्मी सूरज की शहजादी गर्मी, सर्दी निकली घर से निकली मन में जन कल्याण बसाये जल संग्रह करने अषाढ तक तीन माह की सघन साधना रीते बादल भर देती है मन... Hindi · कविता 283 Share Laxmi Narayan Gupta 27 Feb 2017 · 1 min read कुछ दोहे कविता किरकी कांच जस, हर किरके को मोह । छपने की लोकेषणा, करे छंद से द्रोह । आत्म मुग्ध लेखन हुआ, पकड़ विदेशी छंद । ताका, महिया, हाइकू, निरस विदेशी... Hindi · दोहा 398 Share Laxmi Narayan Gupta 26 Feb 2017 · 1 min read लगे सभी कुर्सी कब्जाने यहाँ चली है बहस गधों पर कब्रिस्तानों, श्मशानों पर साइकिल- हाथी चिह्नों पर उत्तर-प्रत्युत्तर के चलते प्रजातंत्र के अजब नमूने सभी चले हैं सत्ता छूने अच्छे दिन भी रहे कुंआरे... Hindi · कविता 297 Share Laxmi Narayan Gupta 25 Feb 2017 · 1 min read राजनैतिक विष कैसे कैसे पागल नेता, कुछ भी कहते रहते हैं । और हम, पिछलग्गू बन, सब कुछ सहते रहते है। होश संभाला जब से हमने, मिला हमें यही संदेश । नेता... Hindi · कविता 240 Share Laxmi Narayan Gupta 9 Feb 2017 · 1 min read उम्र बहुत थोडी पाते हैं यदा कदा ही तो आते हैं भारत के रख वाले उम्र बहुत थोड़ी पाते हैं, देश जगाने वाले कोलकता की काली माँ से देव तत्व को पाकर सन्यासी बन कर... Hindi · कविता 269 Share Laxmi Narayan Gupta 5 Feb 2017 · 1 min read प्रभु के चरण माना है जब से सुख को सपन दुःख में भी खुश हैं तब से अपन सामर्थ इतनी देना विधाता मुरझाए न दुःख में तेरा चमन दिन चार रहना सुख दुःख... Hindi · कविता 517 Share Laxmi Narayan Gupta 2 Feb 2017 · 1 min read भ्रम मानव मन ने निराकार के, जो जो रूप गढ़े पीढ़ी दर पीढ़ी ने उनके, मंदिर किये खड़े धनुष कमान एक को देकर झापित राम किया मोर मुकुट और वंसी वाला... Hindi · कविता 273 Share Laxmi Narayan Gupta 31 Jan 2017 · 1 min read ......की तरह भाड़े की भीड़ जाडे की धूप अधिक साथ नहीं देती खुशियों की तरह धूप का आतंकी रूप डरा डरा सा है अपनों के आतंक सेc पड़ौसियों की तरह अवसरवादियों का... Hindi · कविता 254 Share Laxmi Narayan Gupta 30 Jan 2017 · 1 min read फिर वसन्त आया … सूरज की किरणों ने पोर पोर चूमा अलसाया सूर्य-कमल मस्ती में झूमा मंद पवन झोकों ने, वन-चमन महकाया.... पेड़ों पर तरुणाई, वलनाती बेलें रंग भरे बागों मे, आओ चलो खेलें... Hindi · कविता 346 Share Laxmi Narayan Gupta 29 Jan 2017 · 1 min read मेरी बेटी बेटों से ज्यादा मां बाप को प्यार करे मेरी बेटी । दो घरों का तन-मन से ध्यान धरे मेरी बेटी । बिटिया न होने के कारण है दुखी मेरी बेटी... Hindi · कविता 1 405 Share Laxmi Narayan Gupta 2 Aug 2016 · 1 min read राष्ट् कवि मैथिली शरण गुप्त ( जन्म : ३ अगस्त १८८६) चिर प्रतिष्ठा चिरगांव गाँव को देने वाले 'दद्दा' देश नमन करता है तुमको ह्रदय बसाये श्रद्धा तीन अगस्त अठारह छियासी, जनपद झाँसी में वैष्णवों के कुल में जन्मे, शुभ दिन... Hindi · कविता 411 Share Laxmi Narayan Gupta 1 Aug 2016 · 1 min read अम्बर पुकारे गतिशील रहना धरती सिखाये निस्वार्थ सेवा सूरज सिखाये चलती है दुनियाँ इन्हीं के सहारे | न सोता है सूरज न थमती है धरती दोनों के तप से धरा है सरसती... Hindi · कविता 237 Share Laxmi Narayan Gupta 28 Jul 2016 · 1 min read कुण्डलियाँ मानवीय सद्गुणों से, हुए कभी परतंत्र सदियों के संघर्ष से, मिला हमें जनतंत्र मिला हमें जनतंत्र, मिला न मन्त्र स्वदेशी संविधान ने किया, देश में ही परदेशी अंग्रेजी की पूँछ,... Hindi · कुण्डलिया 1 581 Share Laxmi Narayan Gupta 25 Jul 2016 · 1 min read दोहे कविता किरकी कांच जस, हर किरके को मोह छपने की लोकेषणा, करे छंद से द्रोह आत्म मुग्ध लेखन हुआ, पकड़ विदेशी छन्द ताका, महिया, हाइकू, निरस विदेशी कंद तंत्र बड़ा,... Hindi · दोहा 1 588 Share Laxmi Narayan Gupta 25 Jul 2016 · 1 min read पावस बहुत रुलाती हो पावस बहुत रुलाती हो तरसा तरसा कर आती हो पीली चमड़ी वाली गर्मी हो जाती जब बहुत अधर्मी उमस से भीगा है आँचल थमी हवा मन करे विकल पावस हडकाओ... Hindi · कविता 1 437 Share Laxmi Narayan Gupta 24 Jul 2016 · 1 min read कागा केंद्रित पद (१) सखी री पहुँन भये पिया कागा जब जब गाये अटरिया, आते तबहि पिया रात न बोलें, न बतराबें, तडफत रहत जिया अँधियारा गहराए के पहिले, सोबत रख तकिया रहें... Hindi · कविता 279 Share Laxmi Narayan Gupta 22 Jul 2016 · 1 min read मन उड़ने का है आज हवा में बिना पंख के मन उड़ने का है बीते कल से आज पुन:, मन जुड़ने का है बीता कल, कल कल कलरव सा आज ह्रदय में गूंजे रुके... Hindi · कविता 2 213 Share Laxmi Narayan Gupta 21 Jul 2016 · 1 min read प्रश्न पूछते थकते पांव प्रश्न पूछते थकते पांव कितनी दूर रहा अब गाँव पद चिन्हों पर चलते चलते जंगल तो कर आये पार पथरीली चट्टानें भी हम छोड़ चुके है अब उस पार चलने... Hindi · कविता 1 421 Share Laxmi Narayan Gupta 20 Jul 2016 · 1 min read बुझती मशाल -जलतीं मशालें परतंत्र-काल में जली देश-भक्ति की मशाल काजल की कोठरी में पारने काजल लगी| तयशुदा था कम जिसका उजाले को बाँटना स्नेह उसका सोख कर की कर्णधारों ने ठगी| नीव में... Hindi · कविता 218 Share Laxmi Narayan Gupta 20 Jul 2016 · 1 min read सम-सामयिक दोहे सहिष्णु नर होता सफल, पकड़ सबूरी डोर| असहिष्णु नर ढोर सम, चरता चारों ओर| नगर, ग्राम, घाट, तट, सरिता की सौगात| नारी समपुरण तभी, सीरत भी हो साथ| बोया पेड़... Hindi · दोहा 3 446 Share Previous Page 2