Manjusha Srivastava 24 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Manjusha Srivastava 28 Jan 2018 · 1 min read बसंत मधु गंध बहे गाये मलंग , प्रिय लागे मुझको ऋतु बसंत | फूली सरसों पीली -पीली , धानी -धानी भाये धरती | मनहर कुसुमोंसे भरी -भरी , लहराये गाये ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 397 Share Manjusha Srivastava 28 Jan 2018 · 1 min read ललकार आल्हा - युग्म गीतिका हम हैं वीर शिवा के वंशज ,राणा की हम हैं तलवार | अरि का शीश काटने को अब ,मचल रही है इसकी धार | दुश्मन से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 251 Share Manjusha Srivastava 28 Jan 2018 · 1 min read तिरंगा (1) रहे विश्व भर में चमकता तिरंगा | गगन चूम ले यह फहरता तिरंगा | हो सबको मुबारक ये गणतंत्र पावन - बने पथ प्रदर्शक लहडरता तिरंगा | (2) केसरिया... Hindi · मुक्तक 480 Share Manjusha Srivastava 28 Jan 2018 · 1 min read तिरंगा (1) रहे विश्व भर में चमकता तिरंगा | गगन चूम ले यह फहरता तिरंगा | हो सबको मुबारक ये गणतंत्र पावन - बने पथ प्रदर्शक लहडरता तिरंगा | (2) केसरिया... Hindi · मुक्तक 243 Share Manjusha Srivastava 28 Jan 2018 · 1 min read नारी "आल्हा छंद" युग्म गीतिका ••••••••••••••••••••••••••••••• साहस शौर्य शक्ति की प्रतिमा , नारी का जग पर उपकार | दुर्गा लक्ष्मी राजपुतानी , की गाथाये कहें पुकार | जग को जीवन देने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share Manjusha Srivastava 12 Jan 2018 · 1 min read तुम से हम हम से सफल आराधना प्रीत पावन मधुर कर स्पर्श से, नेह शीतल कर दिया तापित बदन | कुन्तलों को आ पवन दुलरा गया , रात रानी सा महकता मन अँगन | एक तारा प्रेम... Hindi · कविता 1 313 Share Manjusha Srivastava 12 Jan 2018 · 1 min read मैं हूँ माँ मन के भाव ……… माँ समाहित सकल ब्रम्हान्ड साँसों की गति ,लय ,ताल तू जीवन आधार | ममत्व की असंख्य लहरें , आलोड़ित हों मुझमें , भरती हैं प्राण |... Hindi · कविता 449 Share Manjusha Srivastava 2 Jan 2018 · 4 min read मुक्तक मुक्तक (1) नज़र से जब नज़र मिलती नई रचती कहानी है | कभी होती खुशी इनमें कभी दर्दे निशानी है | ये अश्कों का समन्दर हैं कभी लहरें मचलती है... Hindi · मुक्तक 265 Share Manjusha Srivastava 2 Jan 2018 · 2 min read चंद गज़लें 1 जब से अपनो ने दिल से जुदा कर दिया | दर्द ने ज़िंदगी को फना कर दिया | उलझनों से भरी ज़िंदगी हो गयी - हर तरफ़ एक नया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 476 Share Manjusha Srivastava 2 Jan 2018 · 1 min read अभिलाषा 2 /1 /2018 करना प्रभु इतनी दया , रखना करुणा दृष्टि | उपजे जग में प्रेम धन , ऐसी करना वृष्टि || नवता को धारण करे , अब मनु की... Hindi · दोहा 299 Share Manjusha Srivastava 6 Aug 2017 · 1 min read स्वतंत्रता दिवस स्वतंत्रता दिवस है आज मिल के गायेंगे उत्सव मनाएँगे यहाँ उत्सव मनाएँगे | छोड़ेगे झूठे रास्ते छोड़ेगे झूठी शान, बदलेगे भाग्य देश का ऊँचा रखेंगे मान, हम स्वर्ग से भी... Hindi · गीत 1 1 449 Share Manjusha Srivastava 4 Aug 2017 · 1 min read माँ माँ माँ ! शब्दों से परे , एहसास की भाषा है | माँ ! माथे की सिलवट , हर दर्द की दिलासा है | माँ ! स्नेह की अविरल नदी... Hindi · कविता 264 Share Manjusha Srivastava 4 Aug 2017 · 1 min read माँ माँ जीवन की अरुणाई माँ है , भीनी सी अमराई माँ है , त्याग तपस्या की मूरत सी भावों की गहरायी माँ है | ग्यान मयी गीता गंगा है ,... Hindi · कविता 467 Share Manjusha Srivastava 21 Jun 2017 · 1 min read शक्ति शक्ति ******* जगदम्बिके तुम शक्ति का भंडार हो दो शक्ति ऐसी जगत का उद्धार हो | ज्योतित तुम्हारे तेज से सारा जगत मन प्राण गति लय ताल का आधार हो... Hindi · मुक्तक 461 Share Manjusha Srivastava 17 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक रोटी (1) मन क्लान्त है दुख शोक से सम्भावनाएँ शून्य हैं | स्पंदन हीन सभी दिखते मनभावनाएँ शून्य हैं | मासूम रोटी को तरसते दर्द को नित सह रहे -... Hindi · मुक्तक 508 Share Manjusha Srivastava 17 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक (1) सुखद परिवर्तन हो जिस रोज चाँदनी फैलेगी उस रोज प्रेम ,करुणा , ममता विस्तार नवल जग रूप सजे उस रोज || (2) ग्यान की लौ का बड़ा महत्व मुखर... Hindi · मुक्तक 481 Share Manjusha Srivastava 16 Jun 2017 · 1 min read मुक्तक [ 1 ] किस सोंच प्रिये तुम बैठी हो ,क्यों अधर कुसुम कुम्हलाए हैं | यूँ झुकी हुयी पलकें तेरी , अंतर मन को बहलाए हैं | यूँ बैठी खाली... Hindi · मुक्तक 335 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read अभिलाषा अभिलाषा बौरों से लदी हों अमरायी , कोयल की कुहुकती तान रहे| कुसुमों से भरी हो हर क्यारी , मन उपवन में मधुमास रहे| चहूँ ओर सुगंध बसे ऐसी, मन... Hindi · कविता 1 277 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read शिरीष शिरीष ********* आतप वात के आघातों से बन जाता है त्रासक वातावरण व्याप हो जाती है झुलसन , सूख जाते हैं वृक्ष ,खो जाती है हरियाली पशु - पक्षी ,जीव... Hindi · कविता 444 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read प्रकृति का अनुभव (1) प्रकृति का अनुभव ********************* राजगीर की पहाडियाँ कुछ ऊँची कुछ नीची छवि शाली तरू पुष्प पल्लव सेसमलंक्रत शुशोभित हो मेरे मानस को कर रहेहैं झंकृत वर्षा ऋतु की काली... Hindi · कविता 441 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read यादें ज़िंदगी के कैनवास पर उकेरो सुनहरे ,रुपहले पल ज़िंदगी के कोरे पन्ने पर लिखो स्नेह के मंत्र और आयतें ज़िंदगी के साज़ से ध्वनित कर लो अन्तर्मन ज़िंदगी संगीत है... Hindi · कविता 483 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read स्मृतियाँ पुलकित है प्यासा मन नाच उठा अंतर मन बरसे यह सावन घन उमड़ घुमड़ बरसे|| मेघों से याचक बन देखो प्रेमी चातक स्वाती की एक बूँद माँग रहा कबसे|| बरसे... Hindi · कविता 243 Share Manjusha Srivastava 13 Jun 2017 · 1 min read पावस की महिमा तपन भरे इस जग को आकर घेरा जब काले मेघों ने | पावस का स्वागत करने को उल्लास अनोखा फूट पड़ा | चमकी दामिनि की एक लहर एक ज्योति पुंज... Hindi · कविता 382 Share Manjusha Srivastava 12 Jun 2017 · 1 min read प्रकाश की ओर बौद्धिक तत्वों से उलझती रही आव्रत्त... समझ नही पायी , संसार के भ्र्मजाल को | जहाँ सत्य है , असत्य रहना भी स्वभाविक है | एक स्वर्ण सद्रश, एक मिट्टी... Hindi · कविता 332 Share