Bhaurao Mahant 28 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read देश भक्ति ग़ज़ल 221 1222 221 1222 ये खून खराबा अब स्वीकार नहीं होगा गर वार किया तुमने इंकार नहीं होगा ये बंद करो नाटक जो खेल रहे हो तुम आतंक तुम्हारा ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 13k Share Bhaurao Mahant 18 Dec 2018 · 1 min read वियोग शृंगार युक्त दोहे 01 उत्तर भी दक्षिण लगे, पश्चिम लगता पूर्व। परिवर्तन यह विरह में, देह हुआ जस दुर्व।। 02 बालम तुम जब से गये, लगी तभी से आग। विरहा में जलती रही,... Hindi · दोहा 1 1k Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read दोधक छंद 211 211 211 22 साजन-साजन रोज पुकारूँ आँगन-आँगन द्वार निहारूँ। पीर नहीं सजना अब जाने भूल गये अब क्या पहचाने।। Hindi · कविता 1 1k Share Bhaurao Mahant 6 Dec 2018 · 4 min read विलोम शब्द युक्त दोहे 01 (सत्य/असत्य) कोई कहता सत्य है, कोई कहे असत्य। मुझको भी देते बता, ईश तुम्हारे कृत्य।। 02 (हार/जीत, जीवन/मौत) जीवन में औ' मौत में, अंतर इतना मीत। यह जीवन यदि... Hindi · दोहा 1 1k Share Bhaurao Mahant 20 Nov 2018 · 4 min read चन्दा (रेखाचित्र) चन्दा पशुओं को जब मानवीय प्रेम मिलने लगे तो वे भी मानव के साथ आत्मीय व्यवहार करने लगते हैं। अधिकतर समय यदि मनुष्य पशुओं के साथ बिताने लगे तो पशुओं... Hindi · कहानी 2 1 592 Share Bhaurao Mahant 26 Nov 2018 · 1 min read आप का चारण प्रिये! आधार छंद - गीतिका मापनी- 2122 2122 2122 212 ============================ गीत मैं तो लिख रहा हूँ, आपके कारण प्रिये। बन गया हूँ आपसे ही, आपका चारण प्रिये। ............ प्रेरणा मुझको... Hindi · गीत 5 4 590 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read जीवन सत्य हुआ प्रस्थान बचपन का हुआ आगाज यौवन का यहीं प्रारंभ होता है यहीं परिवार-उपवन का। बुढ़ापे के लिए रखते कमाई मान धन सेवा यहीं फिर खत्म होता है सभी कुछ... Hindi · मुक्तक 575 Share Bhaurao Mahant 11 Nov 2018 · 2 min read गहराई तो माप प्रिये लम्बाई-चौड़ाई छोड़ो, गहराई तो माप प्रिये। माप अचंभित हो जाओगी, थाह हृदय की आप प्रिये।। ............. जीवन की आपाधापी में, भले तुम्हारा ध्यान नहीं। गर्वोन्नत है मस्तक मेरा, समझो यह... Hindi · गीत 3 3 494 Share Bhaurao Mahant 6 Nov 2018 · 1 min read माँ दोहे - अद्भुत है संसार में, माँ का प्यार महंत। होती है शुरुआत पर, होता कभी न अंत।। माँ की ममता से भरा, अद्भुत यह संसार। खुद भूखी देती रही,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 23 534 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक 2212 2212 2212 2212 ये भूल मानव की कहूँ ,या काल की मैं क्रूरता। मानव मगर इस चीज़ को,कहता रहा है वीरता।। कैसे कहें भगवान हम पर रूठ जाता है... Hindi · मुक्तक 518 Share Bhaurao Mahant 11 Sep 2016 · 1 min read मुक्तक - 2 चुल्हों में सभी के नहीं रोटियाँ बदन पे सभी के नहीं धोतियाँ। हजारों बिना रोटियों के मरे करों में सभी के नहीं बोटियाँ।। भाऊराव महंत "भाऊ" Hindi · मुक्तक 510 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक कोई बादशाह यहाँ, कोई बना गुलाम करे गुलामी रात दिन,करते रहे सलाम। ऐसे ही होता यहाँ, राजनीति का खेल बादशाह के राज में, मरती जनता आम।। भाऊराव महंत "भाऊ" Hindi · मुक्तक 472 Share Bhaurao Mahant 16 Mar 2019 · 4 min read दोहे (1-55) कवि का अंतिम लक्ष्य हो, जग के मार्मिक पक्ष। करे जगत के सामने, सर्वप्रथम प्रत्यक्ष।। 1 कविता कवि का कर्म है, करे उसे निष्काम। तब ही तो साहित्य में, होगा... Hindi · दोहा 499 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read उल्टी बात कुण्डलिया छंद लम्बूजी छोटे दिखे, छोटूजी छह फीट। सीधेजी टेढ़े लगे, जैसे हो अनफीट जैसे हो अनफीट, अंग हैं टेढ़े-मेढ़े नाम समोसाराम, खाते रोज के पेड़े। कह महंत कविराय,देखे हमने... Hindi · कुण्डलिया 449 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक विलोम शब्द आस्था:- 2122 1212 22 आस्था पे सवाल आया है जाने' कैसा बवाल आया है। आज इंसान में न जाने क्यूँ जानवर सम खयाल आया है।। ~~~~~~~~~~~~~~~ विलोम शब्द... Hindi · मुक्तक 458 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक 122 122 122 122 मेरे साथ में एक हलचल हुआ है बताऊँ मैं कैसे बड़ा छल हुआ है। दिया है उधारी जिसे कर्ज मैंने कभी आज तो फिर कभी कल... Hindi · मुक्तक 468 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read चौपाई जीवन अपना फूलों-सा है जीना लेकिन शूलों-सा है। जो भी शूलों पर है चलता जीवन में फूलों-सा खिलता।। Hindi · कविता 448 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक वक्त हँसाता है वक्त रुलाता है। जो वक्त गँवा दे वो पछताता है।। Hindi · मुक्तक 386 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read कटे सब पेड़ जंगल के कटे सब पेड़ जंगल के हुआ अब ठूँठ जग सारा सुहानी इस धरोहर पर गया अब रूठ जग सारा। लगाया जा रहा वन बाग अब कागज़ के पन्नों पर वनों... Hindi · मुक्तक 406 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read मोटूमल का भोजन खाते रात दिवस रहे, मोटूमल भरपेट। लड्डू पेड़ा और सभी, होता उनको भेंट। होता उनको भेंट, भोग सबका है लगता। जो भी मुख को भाय,सदा थाली में सजता। कह महंत... Hindi · कुण्डलिया 367 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read आज के गीत ~~~~~~कुण्डलिया छंद~~~~~~ सुनते राम भजन सभी,,,हो जाते हैं बोर चिकनि-चमेली धून पे, होते भावविभोर। होते भावविभोर,,,,सभी को नाच-नचाते होता है हुड़दंग,,,,,,,जोर से साँग बजाते। कह महंत कविराय,,,,,,गीत बेढंगे चुनते बेढब... Hindi · कुण्डलिया 341 Share Bhaurao Mahant 16 Jul 2021 · 2 min read कृषक दुर्दशा पर दोहे 01 गाल पोपले से दिखे, आँख अँधेरी खान। फटे पुराने वस्त्र में, लिपटा मिले किसान।। 02 सूदखोर के सूद ने, ऐसा किया कमाल। जिससे मात्र किसान के, हिस्से रही पुआल।।... Hindi · दोहा 2 1 344 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक समंदर के किनारों पर निशां गर हम बनायेंगे मगर उसकी लहर को हम कभी क्या रोक पायेंगे। निशानी रेत पर रहती नहीं समझा करो "भाऊ" लहर चलते समंदर की, सभी... Hindi · मुक्तक 313 Share Bhaurao Mahant 11 Sep 2016 · 1 min read मुक्तक माँ को मेरे ऐसा अक्सर लगता है। मेरा बेटा अब तो अफ़सर लगता है सूटबूट से जब भी निकलूँ मैं घर से कहती पूरब का तू दिनकर लगता है।। भाऊराव... Hindi · मुक्तक 308 Share Bhaurao Mahant 13 Dec 2020 · 1 min read मैं गीतों में डूब गया हूँ मैं गीतों में डूब गया हूँ नहीं उबरना है मुझको अब मैं गीतों में डूब गया हूँ। दुनियादारी के खटपट में। पैसे - कौड़ी के झंझट में। जन्मदिवस के उत्सव... Hindi · गीत 1 297 Share Bhaurao Mahant 30 Sep 2016 · 1 min read जीत का जश्न हमारी जीत पर कैसे धमाका हो रहा यारो बजे अब ढोल ताशे नाच गाना हो रहा यारों। मजे लेते रहेंगे देश में हम पाँच सालों तक मचेगी धूम संसद में... Hindi · मुक्तक 278 Share Bhaurao Mahant 23 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक आज कैसा सवाल आया है उन अमीरों पे काल आया है। नोट जिनके करीब हैं ज्यादा सीर उनके बवाल आया है।। भाऊराव महंत "भाऊ" Hindi · मुक्तक 1 257 Share Bhaurao Mahant 5 Sep 2023 · 1 min read शिक्षक हमारे देश के दीप बनकर जल रहे शिक्षक हमारे देश के। अब अँधेरा दल रहे शिक्षक हमारे देश के। ताकतें होतीं हैं जिनमें ज्ञान और विज्ञान की, अब कहाँ निर्बल रहे शिक्षक हमारे... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 115 Share