पं आलोक पाण्डेय Tag: कविता 96 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 पं आलोक पाण्डेय 16 May 2019 · 1 min read नेत्र नेत्र ----------- विस्तृत नेत्रों के तरंग, और होंठो की लाली , दाह सा भरता उमंग लहरों की शीतलता संभाली ! भोली सी सरलता रूप लिए , विविधता का प्रतिरूप लिए... Hindi · कविता 504 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Apr 2019 · 1 min read आचार्यवर आर्यभट्ट ग्रह नक्षत्र सूत्र समेकन नदियों का कल कल निनाद , गणित सार ज्योतिष रहस्य करता सदैव हे आर्यभट्ट याद ! है सत्य धरा को तूने शुन्य परिचय ज्ञान दिया ,... Hindi · कविता 424 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Apr 2019 · 1 min read नववर्ष मंगलमय हो नववर्ष मंगलमय हो ! ______________ सत्य सनातन सभ्यता के रक्षक , हे उन्नत विचारों वाले , क्रुर , दु:सह दु:ख - जड़ता का विध्वंसक , हे उन्मत्त ! सुधारों वाले... Hindi · कविता 446 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Mar 2019 · 1 min read दालान के वे दिन ! दालान के वे दिन ! _______________ वर्ष के सबसे काठिन्य दिनों में भी , बसंत में परिवेष्टित डूबा हुआ , न कुंठित न स्तम्भित श्वास तरंगी प्रतिक्षण शून्य में भी... Hindi · कविता 446 Share पं आलोक पाण्डेय 20 Mar 2019 · 1 min read वीरन के होली कब कहलाई ! वीरन के होली कहलाई ! __________ जी चाहत हौ , हे सखे ! मन सरोजु बढ़ी जाई , घटत-घटत दु:सह दु:ख कटुता , वैरु समूल कुम्हिलाई । स्याम सलोने गात... Hindi · कविता 1 281 Share पं आलोक पाण्डेय 18 Mar 2019 · 1 min read विध्वंस रोकने को ! बीति रजनी तम से कोसों दूर दीप्त , एक स्वच्छ सुदृढ , सुह्रद उदय नवल प्रभात धरा पर आती- स्वर्णिम रश्मियाँ तप-त्याग प्रखर-पुँज की अनंत शक्ति को करती समाहित- सौम्यता,... Hindi · कविता 223 Share पं आलोक पाण्डेय 1 Mar 2019 · 2 min read पाकिस्तानी जनमानस की करूण पुकार त्राही-त्राही करती मानवता , दशकों से संकुचित दर्द को खोली है , आतंकिस्तान की जनमानस सहमी मौन-स्वर में बोली है । घाटी में आतंक भयावाह , कैसा क्रूरता का प्रतिरूप... Hindi · कविता 370 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Feb 2019 · 2 min read सुनो सिंहासन के रखवाले ! जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा में आतंकी हमले में हुतात्मा वीरों के याद में शासनतंत्र को कर्तव्यबोध दिलाती एक कवि की भावपूर्ण कविता - ________________ कविता ------------------ कह... Hindi · कविता 1 593 Share पं आलोक पाण्डेय 26 Jan 2019 · 1 min read कैसे कहूं है हमारा देश गणतंत्र में ७० वीं गणतंत्र दिवस के महान अवसर पर पढ़िए मेरी एक कविता ... ?? कैसे कहूं है हमारा देश गणतंत्र में ! _______________ जनमानस को दासता के बेड़ियों में बांध... Hindi · कविता 1 228 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read पूछ रहा मूझसे स्वदेश ! पूछ रहा मुझसे हिमालय, पूछ रहा वैभव अशेष, पूछ रहा क्रांत गौरव भारत का, पूछ रहा तपा भग्नावशेष ! अनंत निधियाँ कहाँ गयी, क्यों आज जल रहा तपोभूमि अवशेष; कैसे... Hindi · कविता 1 184 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read विक्षोभ विक्षोभ ——————– स्तब्धित दिशाएँ बेकली हवाएँ व्यथित अंबर कह रहा आज – बेहद निर्मोही , बडी निर्दयता से ‘ कैसी ‘ – मिट रही , क्यों कोई मिटा रहा लाज... Hindi · कविता 1 457 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read नवल प्रभात बीति रजनी तम से कोसों दूर दीप्त एक स्वच्छ सुदृढ , सुह्रद उदय नवल प्रभात धरा पर आती स्वर्णिम रश्मियाँ तप-त्याग प्रखर-पुँज की अनंत शक्ति को करती समाहित सौम्यता, सारगर्भित... Hindi · कविता 1 284 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read माँ तूझे भूला ना पाया ! माँ! एक दिवस मैं रूठा था बडा ही स्वाभिमानी बन , उऋण हो जाने को तुमसे भी विरक्त हो जाने को, त्यागी बन जाने को ! घर त्याग चला कहीं... Hindi · कविता 1 423 Share पं आलोक पाण्डेय 4 Jan 2019 · 1 min read रसिक मित्र कुछ हैं मेरे रसिक मीत कुछ जिन्हें भाता संगीत कुछ अन्याय से होते विभीत स्वभाव से कुछ हैं विनीत| देख ललनाओं का सौम्य श्रृंगार मिलता!सुकून इन्हें शांति और प्यार नवयौवना... Hindi · कविता 1 270 Share पं आलोक पाण्डेय 31 Dec 2018 · 1 min read धरणी नववर्ष क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं, धुंध भरे इस राहों में यह नववर्ष कभी स्वीकार नहीं । अभी ठंड है सर्वत्र कुहासा , अलसाई अंगड़ाई है,... Hindi · कविता 1 324 Share पं आलोक पाण्डेय 23 Jul 2018 · 2 min read रक्तिम - भँवर ?रक्तिम - भँवर? -------------------- --------------------- भर - भर आँसू से आँखें , क्या सोच रहे मधुप ह्रदय स्पर्श , क्या सोच रहे काँटों का काठिन्य , या किसी स्फूट कलियों... Hindi · कविता 1 601 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jul 2018 · 1 min read जीवन की धार समझ जीवन की धार समझ ================== रूप चमका- चमका के यों ही ज्यों मतंग मलंग घुमत ह्वै फटी गुदरीया , लुटी डुगरिया मनवा फिरंगी बन भनत चलत ह्वै । तन ऐंठे-ऐंठे... Hindi · कविता 1 323 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Mar 2018 · 3 min read राष्ट्रोदय यह राष्ट्र मुझे करता अभिसींचित् प्रतिपल मलय फुहारों से , प्रतिदानों में मिले ठोकरों , धिकारों, दुत्कारों से , जो लूट रहे मुझको हर क्षण ,उन कायर कुधारों से ,... Hindi · कविता 2 623 Share पं आलोक पाण्डेय 3 Dec 2017 · 2 min read आहत ग्रामवासिनी मर्माहत कल ! उम्र बीत गयी ज्यों दासता के तले, मरकर यों ही ना दु:ख भूलाया कभी , मरना , है जीवन की एक दृढ कड़ी देखा एक मरा है , अभी-अभी !... Hindi · कविता 1 467 Share पं आलोक पाण्डेय 28 Sep 2017 · 1 min read कहो सत्य कथा विस्तृत ! अहो बन्धु ! कहो सत्य कथा विस्तृत शुद्ध-भाव,उन्नत विचार लेकर हूँ प्रस्तुत योगिराज की ध्यान सुना दो या सुना दो जयघोष, हिमालय सा अटल, हिमगिरी की गंगा सा निर्मल अहा... Hindi · कविता 1 619 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Sep 2017 · 1 min read धार में ही मिला किनारा डूबा हूँ आँसुओं में, ले दर्द का सहारा ये कम क्या मुझ पर अहसान यह तुम्हारा वे और लोग होंगे व्यथित, लहरों के संग भटके मुझको तो धार में ही,हरदम... Hindi · कविता 2 1 263 Share पं आलोक पाण्डेय 7 Sep 2017 · 1 min read ज्वार उठाना होगा, मस्तक कटाना होगा महासमर की बेला है वीरों अब संधान करो, शत्रु को मर्दन करने को, त्वरित अनुसंधान करो | मातृभू की खातिर फिर लहू बहाना होगा; ज्वार उठाना होगा, मस्तक कटाना होगा|... Hindi · कविता 1 473 Share पं आलोक पाण्डेय 5 Jul 2017 · 1 min read आ जाना मेरे पास प्रिये ! अभि कल तक तुमने यूं ही प्यार किया , अहो विलक्षणी ! तुने कैसा श्रृंगार किया, रूपसी! तु मुस्कुराकर यों ही विसार ली, पाँव , चमकती दुनिया में कैसे पसार... Hindi · कविता 1 372 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Jun 2017 · 1 min read स्वर्णिम भारत की बेटियाँ संसार की सार अाधार हो तुम जीवन की हर सत्कार हो तुम मंगल शांति सुविचार हो तुम हर वीर मन की पुकार हो तुम प्रतिपल मन कहता हे बेटी जंजीरों... Hindi · कविता 1 469 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Jun 2017 · 1 min read योग दर्शन वृहत्तर भारत के अमर वंश की, उच्चत्तम यही कहानी है - ज्ञानी,ध्यानी,व्रती वीरों की योगमय रही जवानी है.. वसुधा सींचित् होती रही पुण्यों से मानवता की बेमोल निशानी है; ऋषि... Hindi · कविता 1 318 Share पं आलोक पाण्डेय 12 Jun 2017 · 1 min read धरा का तु श्रृंगार किया है रे ! तू धीर, वीर ,गंभीर सदा जीवन को उच्च जिया है रे, तु दुःखियों को सींचित् कर श्रुति स्नेह से कैसा ,ह्रदय रक्षण किया है रे ! तु भाग्य विधाता से... Hindi · कविता 1 504 Share पं आलोक पाण्डेय 10 Jun 2017 · 1 min read ये देशद्रोही कौन हैं ! अभि कल तक जो देशद्रोह फैलाते मानवता पर गौण हैं, सेना को अपमानित करी,लोगों को कटवाया वर्षों से गोवध करने वाले आज मौन हैं; पहचान ! भारत ये कौन हैं... Hindi · कविता 1 1k Share पं आलोक पाण्डेय 3 Jun 2017 · 2 min read आर्त्त गैया की पुकार कंपित! कत्ल की धार खडी ,आर्त्त गायें कह रही - यह देश कैसा है जहाँ हर क्षण गैया कट रही ! आर्त्त में प्रतिपल धरा, वीरों की छाती फट रही... Hindi · कविता 1 455 Share पं आलोक पाण्डेय 25 May 2017 · 2 min read वीरव्रती बंटी तू मानवता के मूर्त्तमान, हे धर्मवीर ! तुझसे सम्मान प्रकृति के सदय पोषक तू, कंपन-व्यथन के अवशोषक तू | नित भिडे धरा पर शोषक से तू ; कवलित कर दे... Hindi · कविता 1 541 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Mar 2017 · 1 min read मंगल नववर्ष मनाएंगे गाँव-गाँव में शहर-शहर में, कैसी छायी उजियाली है; खेतों में अब नव अंकुर , नव बूंद से छायेगी हरियाली है | बहुत कुहासा बीत चुका अंतर्मन का ठिठोर मिटा, नवचेतन... Hindi · कविता 1 324 Share पं आलोक पाण्डेय 21 Mar 2017 · 2 min read वह वह हर दिन आता सोचता बडबडाता,घबडाता कभी मस्त होकर प्रफुल्लता, कोमलता से सुमधुर गाता... न भूख से ही आकुल न ही दुःख से व्याकुल महान वैचारक धैर्य का परिचायक विकट... Hindi · कविता 543 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Mar 2017 · 2 min read वीरों नववर्ष मना लें हम है तिमिर धरा पर मिट चुकी आज भास्वर दिख रहे दिनमान , शस्य - श्यामला पुण्य धरा कर रही ; वीरों तेरा जयगान ! शुभ मुहुर्त्त में,महादेव को, सिंधु का... Hindi · कविता 1 436 Share पं आलोक पाण्डेय 10 Mar 2017 · 1 min read आ जा चित्तवन के चकोर स्वर्णिम यौवन का सागर-अपार टकरा रहा तन से बारंबार विपुल स्नेह से सींचित् ज्वार रसमय अह्लादित करता पुकार अन्तःस्थल में उठता हिलोर आ जा ! चित्तवन के चकोर ! सुरभित-... Hindi · कविता 1 612 Share पं आलोक पाण्डेय 8 Feb 2017 · 1 min read तेरी याद सदा आती है तेरी याद सदा आती है.... मुझको तू हरदम भाती है... रहता हूँ शांत भरोसों से ..... पर विकट व्यथित हूँ झरोखों से... है बहुत अधीर है वीर ह्रदय वीरों की... Hindi · कविता 1 548 Share पं आलोक पाण्डेय 25 Jan 2017 · 1 min read कष्ट भरा गणतंत्र जिस मिट्टी को सींचा जिसने लहू से बलिदानी , बचा गये सभ्यता बहु से नयन - नीर भरी , व्यथित ह्रदय , सोच रहा तन मन से कुछ पल कर... Hindi · कविता 1 423 Share पं आलोक पाण्डेय 19 Jan 2017 · 1 min read भारत भूमण्डल के मंगलस्वरूप ! संसार की सार आधार हो, स्थूल, सूक्ष्म पावन विचार हो दिव्य शांति सौम्य विविध प्रकार जिनसे सर्वत्र क्लांत , क्रंदन की प्रतिकार ! करूणावरूणालया कल्याणकारिणी मनःशोक निवारिणी लीलाविहारिणी तत्वस्वरूपिणी दुःख... Hindi · कविता 1 538 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read मंगलमय पुकार करूँ यदि जीवित रहूँ माते, तेरा ही श्रृंगार करूँ अर्पण करूँ सर्वस्व तूझे, हर त्याग से सत्कार करूँ; हो त्याग ऐसा वीरों सी, कलुषित विविध विकार हरूँ पुष्पित - पल्लवित कर... Hindi · कविता 1 604 Share पं आलोक पाण्डेय 15 Jan 2017 · 1 min read वीरों की यादें धरा के भव्य सुत तू राष्ट्र रक्षक दूत तू कहाँ करता विश्राम तू स्वाभिमानी बलवान तू; अनन्त कोटि जननायक तू मानवता के लायक तू अरिमर्दन यतींद्र तू हे वीर! व्रती... Hindi · कविता 1 555 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Jan 2017 · 1 min read शक्ति - पुँज धन -धान्य संपदा यौवन जिनके भूतल में समाये जन्मभूमि के रक्षक जिनने अनेकों प्राण गवाये। जिनके आत्म- शक्ति धैर्य से अगणित अरि का दमन हुआ देखा जग अकूत शौर्य तप,... Hindi · कविता 1 273 Share पं आलोक पाण्डेय 14 Jan 2017 · 1 min read गौरव उत्थान भारतभूमी की भारत भू वीरोँ का गौरव वीरोँ का स्थान ऋषि मुनि यति तपस्वी योगी करते पुण्य सुखद विश्राम । जहाँ सत्यशोधक लोग बढ़े पूर्ण अहिँसा का स्थान, दया दान करुणा की... Hindi · कविता 1 217 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read अखंड भारत की ओर आघातोँ की राहोँ मेँ सुन्दर मुस्कान बढाता जा, राष्ट्रदूत हे वीर व्रती भारत को भव्य सजाता जा, सुस्थिरता को लाता जा । अगणित कर्तव्योँ के पुण्य पथ पर शील, मर्यादाओँ... Hindi · कविता 1 405 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read विध्वंस धरा पर क्यों ? तेरी यादों में जन मुरझाये हुए हैं सोच सोच कर भी सुखाये हुए हैं; क्या यही हश्र होता रहेगा देश कब तक लाल खोता रहेगा! भावनावों में जन आज खो... Hindi · कविता 1 335 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read चिर विभूति की ओर एक दिवस ना जाने किस दृश्य को भूला ना पाया होगा 'वो' न जाने कहाँ से आया होगा। शिथिल शांत स्वरों के बीच, निरभ्र अंबर को देखे जा रहा था... Hindi · कविता 1 400 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 1 min read स्वदेशी लोग स्वदेशी लोग उदासीन जीवन को ले क्या-क्या करते होंगे वे लोग न जाने किन-किन स्वप्नों को छोड़ कितने बिलखते होंगो वे लोग। कितने संघर्ष गाथाओं में, अपनी एक गाथा जोड़ते... Hindi · कविता 1 668 Share पं आलोक पाण्डेय 13 Jan 2017 · 2 min read आर्यावर्त की गौरव गाथा आर्यावर्त की गौरव गाथा भ्रमण करते ब्रह्मांड में असंख्य पिण्ड दक्षिणावर्त सुदुर दिखते कहीं दृग में अन्य कोई वामावर्त हर विधा की नवीन कथा में निश्चय आधार होता आवर्त सभी... Hindi · कविता 4 3 702 Share पं आलोक पाण्डेय 11 Jan 2017 · 1 min read नववर्ष धरा पर कब? क्रुर संस्कृति, निकृष्ट परंपरा का यह अपकर्ष हमें अंगीकार नहीं, धुंध भरे इन दिनों में यह नववर्ष हमें स्वीकार नहीं । अभी ठंड , सर्वत्र धुंध कुहासा , अलसाई अंगड़ाई... Hindi · कविता 1 1k Share Previous Page 2