Tag: कविता
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सुरभित मुखरित पर्यावरण
Anuja Kaushik
माँ शारदे वंदना
Anuja Kaushik
वहाँ राम है
Anuja Kaushik
कोरोना : देवदूत या महामारी
Anuja Kaushik
*आज़ादी अपना अर्थ खो रही*
Anuja Kaushik
पिता एक सुखद एहसास..ईश्वर का प्रतिरूप है
Anuja Kaushik
मैं सरल हो जाना चाहती हूँ
Anuja Kaushik
सच्चे रिश्ते वही जो रूहानी हों
Anuja Kaushik
ज़िंदगी के सफर में जब अकेला खुद को पाया
Anuja Kaushik
प्रेम विश्वास का पर्व ये होली
Anuja Kaushik
शब्द उलझाते हैं बहुत
Anuja Kaushik
ये जीवन सिर्फ मेरा है...हाँ सिर्फ मेरा ही तो है...
Anuja Kaushik
मन की आवाज़
Anuja Kaushik
इस दुनियां में सदा नहीं रहना है
Anuja Kaushik
फ़ोन पर तो खैरियत ही कहेंगें
Anuja Kaushik
मेरी माँ जैसी कोई नहीं
Anuja Kaushik
अन्तर्मन की खामोशी
Anuja Kaushik
ज़िन्दगी से वादा कुछ यूं भी निभाना पड़ता है
Anuja Kaushik
बचपन था तो कितना अच्छा था ना
Anuja Kaushik
लाख कोशिश करो टूटते ही नहीं..रिश्ते हैं
Anuja Kaushik
दो नारी को सम्मान
Anuja Kaushik
शायद मेरे बच्चे अब बड़े हो रहे हैं..
Anuja Kaushik
होली है...
Anuja Kaushik
सुख में तो बनेंगें दोस्त बहुत
Anuja Kaushik
मैं रिश्ते निभाने के लिए अक्सर झुक जाती हूं
Anuja Kaushik
जाने ये मन क्यों अकेला है
Anuja Kaushik
ज़िन्दगी भर जो बेटा कभी अपने माँ बाप को रख न पाया*
Anuja Kaushik
दिवाली को मैंने बस यूं अकेले मनते ही देखा है
Anuja Kaushik
लड़की नहीं है कोई चीज़
Anuja Kaushik
*शराफ़त नहीं है कमज़ोरी*
Anuja Kaushik
जीना इसी का नाम है
Anuja Kaushik
*ये जीवन बड़ा अनमोल है*
Anuja Kaushik
*ढलती उम्र और बुढ़ापे की दहलीज़**
Anuja Kaushik
*मेरा भारत महान..जय मेरा हिन्दुस्तान*
Anuja Kaushik
*ज़िन्दगी की कशमकश*
Anuja Kaushik