Mamta Singh Devaa Language: Hindi 444 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Mamta Singh Devaa 25 Oct 2021 · 1 min read देवी का प्रसाद " मैने प्रसाद बना दिया है बस तुम और बच्चे मिल कर पचास पैकेट तैयार कर दो तब तक मैं तैयार होकर आती हूॅं , श्यामा पति विवेक और बच्चों... Hindi · लघु कथा 2 462 Share Mamta Singh Devaa 20 Sep 2021 · 2 min read आस्था हैलो... हैलो रमा हाॅं दी बोलो मेरी योग की छात्रा जेनेवा से पहली बार इंडिया जा रही है । बनारस भी जाना चाहती है तुम उसको ज़रा मंदिरों में दर्शन... Hindi · लघु कथा 257 Share Mamta Singh Devaa 20 Sep 2021 · 1 min read पारले जी दरवाज़े की घंटी लगातार बजे जा रही थी.... अरे बाबा खोलती हूॅं ज़रा सब्र करो कहती हुई मिनाक्षी ने गुस्से से दरवाज़ा खोला तो सामने धोबिन खड़ी थी । "... Hindi · लघु कथा 1 387 Share Mamta Singh Devaa 15 Sep 2021 · 1 min read " हिंदी हमारी महान है " किसी भाषा से गुरेज नही है पर ये अंग्रेजी समझ में नही है जो लिखा है जब वो पढ़ना ही नही तो फिर उसे लिखना ही नही है , रखा... Hindi · कविता 1 313 Share Mamta Singh Devaa 14 Sep 2021 · 2 min read ' हमारी राष्ट्रभाषा हिन्दी ' #हिन्दीदिवस१४सितंबर १४ सितंबर के दिन देश के संविधान ने देवनागरी लिपि यानी हिंदी को तरजीह देते हुए आधिकारिक राजभाषा का दर्जा देकर उसका उत्थान किया। हिंदी को एक सम्मानजनक स्थान... Hindi · कविता 1 303 Share Mamta Singh Devaa 31 Aug 2021 · 1 min read हे ! नंद गोपाल हे ! नंद गोपाल.... सबको है तुम्हारा इंतज़ार इस इंतज़ार में बेकरारी है इस बेकरारी में करनी सब तैयारी है इस तैयारी में मनोकामना सारी है इस कामना में पहले... Hindi · कविता 235 Share Mamta Singh Devaa 24 Aug 2021 · 1 min read " हिम्मत " सुबह उठी तो सर दर्द से फट रहा था...चाय की तलब भी हो रही थी लेकिन मन नही हो रहा था । तभी देखा पतिदेव चाय की ट्रे पकड़े कमरे... Hindi · लघु कथा 2 2 325 Share Mamta Singh Devaa 24 Aug 2021 · 1 min read " डबल रिश्ता " आज फिर ताई जी और मौसी जी की लड़कियाँ आपस में ख़ूब ज़ोरों की लड़ाई लड़ रही थी । माँ ये दीदी लोग इतना क्यों लड़ती हैं ? " क्योंकि... Hindi · लघु कथा 1 2 285 Share Mamta Singh Devaa 24 Aug 2021 · 1 min read " ठंडक " ओहो ! नीरा तुम अपने कुत्ते को चेन से बाँधों... तुम्हें तो पता है की मुझे इसके बालों से ऐलैर्जी है मेरी तो सुन ही नही रहा है । "... Hindi · लघु कथा 1 409 Share Mamta Singh Devaa 24 Aug 2021 · 1 min read " जॉइंट फ़ैमिली " " अम्माँ कविता से कहो ये जॉइंट फ़ैमिली है यहाँ सबको सबके लिये करना होता है । " अगर अचानक कोई अलग से खाने की फ़रमाइश कर दे तो बुरा... Hindi · लघु कथा 1 280 Share Mamta Singh Devaa 19 Aug 2021 · 1 min read " बेशक़ीमती सम्मान " भाभी प्रणाम ! क्या लता तुम भी पुराने ज़माने कि तरह प्रणाम करती हो....हाय/हैलो किया करो । अरे भाभी ! ये सब करने के लिये बच्चे हैं ना , हम... Hindi · लघु कथा 1 2 308 Share Mamta Singh Devaa 19 Aug 2021 · 1 min read " संस्कारी बहू " लोग आ चुके थे डाईनिंग रूम का माहौल बहुत ही खुशनुमा था सब हँसी मज़ाक करते हुये खाना खा रहे थे । सीमा गरम गरम रोटियां बेल , सेंक और... Hindi · लघु कथा 2 4 477 Share Mamta Singh Devaa 20 Jul 2021 · 1 min read ' ना जाने किस भेस में नारायण मिल जाए ' ट्रेन अपनी रफ्तार से चली जा रही थी अपनी चित्रों की प्रदर्शनी करके घर वापस लौट रही सुकन्या सामने बैठे व्यक्ति के लिए नतमस्तक हो रही थी । कुछ देर... Hindi · लघु कथा 1 420 Share Mamta Singh Devaa 19 Jul 2021 · 1 min read " ख्वाहिश " मैं.... अपने कर्मों का फल चखना चाहती हूँ लेकिन थोड़ा सा धैर्य रखना चाहती हूँ , मैं.... हर परिस्थिति में डटी रहना चाहती हूँ हालात को घुटने टेकते देखना चाहती... Hindi · कविता 1 2 444 Share Mamta Singh Devaa 16 Jul 2021 · 2 min read " वो अनजानी आवाज़ " क्या बनारस में सबके बाल इतने लंबे होते हैं ? गहनों की प्रदर्शनी में एक महिला ने साथ खड़ी हम तीनों से पूछा...अरे नही आंटी वो तो इत्तफाक है.... उधर... Hindi · लघु कथा 1 320 Share Mamta Singh Devaa 12 Jul 2021 · 1 min read " अम्माँ मुझे पता है........" अम्माँ मुझे पता है... तुम जाकर बाबू को खूब उलाहने दे रही होगी सढ़सठ साल का साथ फिर से जी रही होगी , अम्माँ मुझे पता है... तुम वहाँ भी... Hindi · कविता 258 Share Mamta Singh Devaa 12 Jul 2021 · 1 min read अम्माँ.... अम्माँ ने 23/06/2021 को सद्गति पाई...अम्माँ के लेखन का गुण जो मुझमें आया उसी लेखनी से अम्माँ को अश्रूपूरित श्रधांजलि ????????????? श्रीमती शान्ति सिंह जन्म - 15/01/1934 सद्गति - 23/06/2021... Hindi · कविता 280 Share Mamta Singh Devaa 11 Jul 2021 · 1 min read विषय - बादल जलद तुम बरसे कमतर गरजे ज्यादा । अब तो मेघा तृप्त करो धरणी प्यास बुझाओ । हे जलधर बल भर बरसो कर्ज़ उतारो । स्लरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह... Hindi · हाइकु 1 303 Share Mamta Singh Devaa 11 Jul 2021 · 1 min read " खरी - खरी " मेरे खरे पर सब ख़ाक हो जाते हैं सच सुन के जल कर राख हो जाते हैं , अपने कहे को ज्यादातर नकार जाते हैं सारा झूठ चुटकियोंं में डकार... Hindi · कविता 398 Share Mamta Singh Devaa 17 Jun 2021 · 1 min read शब्द - मिट्टी शाश्वत सत्य मिट्टी तन शरीर मिलनातुर । गढ़ते हाथ माटी मृण कुम्हार स्वप्न साकार । रेणु पराग प्नकृति अनुकम्पा शिशु कुमार । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा ,... Hindi · हाइकु 2 338 Share Mamta Singh Devaa 17 Jun 2021 · 1 min read " राजनीति बनाम वर्षों की दोस्ती गई भाड़ में " " रखिए दिल में हर अपने को प्यार से उसको न जाने दिजिये थोड़ी सी तकरार से " ज्यादातर हम सब फेसबुक पर वर्षों पुराने दोस्त हैं , सीनियर -... Hindi · लेख 1 419 Share Mamta Singh Devaa 17 Jun 2021 · 1 min read शब्द - पर्वत धरणीधर ज्योति प्रभा शिखर गौरवान्वित । महा विराट धराधर भूधर ग्रीवा अकड़ । अभिभावक राष्ट्र देश भारत पर्वतराज । हे हिमपति महा दीर्घ विशाल तुषार हिम । साधु सन्यासी हिमाद्रि... Hindi · हाइकु 1 517 Share Mamta Singh Devaa 15 Jun 2021 · 1 min read " बस्ता " माँ मुझे भी स्कूल जाना है लेकर एक प्यारा सा बस्ता भले हो वह सस्ता बस उसमें तेरा प्यार भरा हो सारे जहाँ का ज्ञान धरा हो ज्ञान ले कर... Hindi · कविता · बाल कविता 3 8 587 Share Mamta Singh Devaa 15 Jun 2021 · 1 min read " पलटवार " " हैलो...हैलो भाभी मैं मीनल...आवाज आ रही है ना ? " " हाँ मीनल आ रही है कैसे हो तुम सब ? " " हम सब ठीक हैं भाभी आपके... Hindi · लघु कथा 2 276 Share Mamta Singh Devaa 13 Jun 2021 · 1 min read " मेरा मैं खुद पे मरता है " कोई इसपे मरता है कोई उसपे मरता है सबकी ऐसी की तैसी मेरा मैं खुद पे मरता है , कोई गोरे रंग पे मरता है कोई गजब ढ़ंग पे मरता... Hindi · कविता 3 2 277 Share Mamta Singh Devaa 12 Jun 2021 · 1 min read ' छाँव ' अरे सुनो...तुम बरगद के नीचे से इन पौधों को क्यों हटा रहे हो बेचारे मर जायेगें । नाही साहेब इनको जिलाने की खातिर खुल्ले में रोपेगें...लेकिन वहाँ ये धूप में... Hindi · लघु कथा 1 288 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - संयुक्त परिवार कुटुंबकम सशक्त जीवनाधार बीसरी यादें । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 15/05/2021 ) Hindi · हाइकु 1 293 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read ' कोरोना काल ' साँसत जान समय भयावह साँस दुर्लभ । प्रलयंकारी महामारी भीषण खुद रक्षक । हृदयाघात हरेक पल क्षण मन व्यथित । आशा - निराशा हिम्मत सिरमौर वक्त कठिन । स्वरचित एवं... Hindi · हाइकु 2 2 288 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 2 min read कुदरत के साइंटिस्ट माँ - माँ देखो बाहर वाले कमरे के रौशनदान में चिड़िया अपना घौंसला लगा रही है मीता ने जोर - जोर से जोर से माँ को आवाज लगाई । हाँ... Hindi · लघु कथा 1 2 393 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - बूंद जलकण में जिंदगी समाहित जीवनदाता । बूंद - बूंद से संचित प्राण सुधा तृप्त जीवन । तहसीलना प्रकृति उपहार नतमस्तक । चाहत बूंद सर्वत्र सूखापन अधर प्यासे । प्रत्येक बूंद... Hindi · हाइकु 487 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - तलाश दिल चंचल खोजता तलाशता सुकून चैन । जीवन भर तलाश वजूद की भटका मन । तलाश मुक्ति मोह - माया बंधन नश्वर तन । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह... Hindi · हाइकु 403 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - जड़ जड़ चेतन जीवनचक्र सर्वदा सदी का सच । रूधिर जड़ें गहरे तक पैठ विरासत में । फैलती जड़ें समेटती सुख - दुख घर - घराना । जड़ चेतन शाश्वत सत्यापन... Hindi · हाइकु 224 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - दर्पण दर्पण - शीशा सर्वस्व उघाड़ता सच दिखाता । शीशा - आरसी सामने आर - पार मिथ्यारहित । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 29/05/2021 ) Hindi · हाइकु 343 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - बंधन बंधन - धागा जीवन समर्पित अटूट रिश्ता । बंधना - गाँठ न्यौछावर जनम संतुष्ट मन । मोह - आसक्ती संसारिक बंधन त्याग - वैराग्य । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता... Hindi · हाइकु 366 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read " खरीदार " आज मीरा और सुजीत की बड़ी बेटी को देखने लड़के वाले आने वाले थे , छोटी बेटी मीरा के साथ काम में मदद या यूँ कहें की ज्यादा काम वही... Hindi · लघु कथा 1 253 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - नदी निर्मल जल बहती तरंगिणी बेपरवाह । नदी शैलजा कल कल करती तृप्त धरणी । बिना स्वारथ निर्झरिणी झरती कृतघ्न सब । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 04/06/2021... Hindi · हाइकु 257 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - ग्रहण/छाया ग्रहण छाया पौराणिक नियम अन्न निषेध । ग्रहों का चक्र गहराता तिमिर क्षणभंगुर । ग्रहों की माया कलंकित मुरारी विधि विधान । विज्ञान ज्ञाता प्रतिबिंबित छाया नव प्रयोग । ग्रहण... Hindi · हाइकु 337 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - नदी निर्मल जल बहती तरंगिणी बेपरवाह । नदी शैलजा कल कल करती तृप्त धरणी । बिना स्वारथ निर्झरिणी झरती कृतघ्न सब । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 04/06/2021... Hindi · हाइकु 335 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read शब्द - जुगनू अद्भुत समा प्रभाकीट जुगनू जगमगाते । रजनी निशा अंधतमस तम सोनकिरवा । टिमटिमाते सम्मोहन अचंभा भगजोगिनी । स्वरचित एवं मौलिक ( ममता सिंह देवा , 08/06/2021 ) Hindi · हाइकु 296 Share Mamta Singh Devaa 11 Jun 2021 · 1 min read ' बुलावा ' सुनती हो रीमा आज रात के खाने पर बुलावा आया है बड़े भाई साहब के यहाँ से , खुद भाई साहब का फोन आया था...उसका माथा ठनका फिर सोचा चलो... Hindi · लघु कथा 1 305 Share Mamta Singh Devaa 6 Jun 2021 · 2 min read " बेटियांं " क्या होगा सुनीता की माँ... किसी तरह तो दो बेटियों की शादी अच्छे घरों में कर पाया , निशा के विवाह की चिंता हो रही है । आप इतनी चिंता... Hindi · लघु कथा 2 245 Share Mamta Singh Devaa 30 May 2021 · 1 min read ' कुदरत की चेतावनी ' ये बरखा बहार है देती करार है सूखी धरती पर लोगों की आस पर आशीर्वाद की फुहार है , इसका इंतज़ार है दिल बेकरार है तकती आँखों को रूकती साँसों... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 2 466 Share Mamta Singh Devaa 29 May 2021 · 1 min read ' बारिश का मज़ा ' चम - चम चपला घन - घन बदरा जैसे बाजे तबला , छप - छप छपाक तप - तप तपाक बारिश आई बेबाक , थर - थर थर्राये टर्र -... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 6 489 Share Mamta Singh Devaa 29 May 2021 · 1 min read ' कुदरत का वरदान ' रिमझिम रिमझिम बारिश मन को भाये गरजे जब बदरा मन मोरा घबराये , कड़कड़ाती बिजली जब चमक दिखाये दूर कही जाकर ये ज़रूर गिर जाये , चमकती है ये पहले... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 4 485 Share Mamta Singh Devaa 28 May 2021 · 1 min read " निर्मोही बरखा " ये कैसी निर्मोही बरखा है इसने सब मोह पानी में दे पटका है , कुछ दिन पहले ही तो छाई थी छत कैसे संभलेगी मूसलाधार में इस वक्त , जमीन... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 6 293 Share Mamta Singh Devaa 28 May 2021 · 1 min read ' यादें और बारिश ' बचपन की बरसात मजेदार होती थी सर से लेकर पैरों तक सराबोर होती थी , धीरे - धीरे हम बड़े होने लगे बरसात में थोड़े - थोड़े गीले होने लगे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 6 302 Share Mamta Singh Devaa 28 May 2021 · 1 min read ' अधूरे/पूरे अरमान ' ये मेरा हौसला और दूरदृष्टि है लोग एक जनम का नही सोच पाते और मैने तो अगले जनम का भी सोच लिया है , इसको सकारात्मकता की दृष्टि से पढ़िए....❤❤❤❤❤❤❤... Hindi · कविता 1 2 476 Share Mamta Singh Devaa 26 May 2021 · 1 min read ' अंतर कल और आज का ' पकड़ ज़िंदगी के कुछ यादगार लम्हों को बाँध कर रखा है मैने अपनी मुठ्ठी को , खोल दूँगीं तो वो फिसल जायेंगें फिर वो लम्हें मेरे हाथ कहाँ आयेगें ,... Hindi · कविता 294 Share Mamta Singh Devaa 22 May 2021 · 1 min read ' हाय ! वो स्कूल का टिफिन ' मुझे फिर से स्कूल जाकर टिफिन है करना अम्माँ के हाथ का पराठा भिंडी की सब्ज़ी वो लज़ीज प्याज़ और गोभी का पराठा अचार जिसमें अम्माँ भर - भर कर... Hindi · कविता 1 4 661 Share Mamta Singh Devaa 10 May 2021 · 2 min read ' बंगाली नानी ' ललिता अपनी दूसरी बेटी के जन्म से बहुत खुश थी...ससुराल से कोई नही आया सबके मुँह बने हुये थे , पति छुट्टी ना मिलने के कारण नही आ सके थे... Hindi · लघु कथा 2 2 512 Share Previous Page 2 Next