Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Aug 2018 · 1 min read

प्रभु हमें वह शक्ति दो

दिनांक? ~~ २९/८/२०१८
दिवस?~~ बुधवार
विधा?~~ हरिगीतिका छंद
???????????????
प्रभु हमें वह शक्ति दो
^^^^^^***^^^^^^^***^^^^^^^
आई विपत्ती नीर बन कर, अब धरा जलमग्न है।
यह हाल ऐसा देखता मनु, मूक बन तन नग्न है।।
कैसी तबाही छा रही यह, खाने को न अन्न है।
अब जान आफत मे फसी वह, सोचता औ शन्न है।।
???????????????
विपदा बड़ी है यह भयावह, जिन्दगी संग्राम है।
अब देखती आंखें जहाँ तक, हर जगः कोहराम है।।
फिर भी मनुज कब सोचता यह, हाल क्यो अब आम है।
वह पेड़ पौधों को मिटाकर, लिख रहा अंजाम है।।
???????????????
भणवन नमन तुझको करूँ इस, आपदा से मुक्ति दो।
हर जल प्रलय या जलजले से,हम बचें वह युक्ति दो।।
कोई कही विपदा न आये,सबल हों वह शक्ति दो।
हर वक्त प्रकृति रक्षा करें हम, प्रभु हमें वह भक्ति दो।।
*****
✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर), पश्चिमी चम्पारण, बिहार
?यह रचना पूर्णतया मौलिक , स्वरचित , स्वप्रमाणित व अप्रकाशित है

Loading...