मुक्तक
बहार आई तो खुल कर कहा है फूलों ने,
ये किस ने छेड़ दी गुलशन में फिर जमाल की बात
तू अपने आप में तन्हा है मेरी नज़रों में
कहाँ से ढूँढ़ के लाऊँ तेरे मिसाल की बात।
बहार आई तो खुल कर कहा है फूलों ने,
ये किस ने छेड़ दी गुलशन में फिर जमाल की बात
तू अपने आप में तन्हा है मेरी नज़रों में
कहाँ से ढूँढ़ के लाऊँ तेरे मिसाल की बात।