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20 Aug 2018 · 1 min read

मुक्तक

तेरे रहमोकरम पे जो अंधेरे तलघरों में थे,
यक़ीनन रोशनी में आ गए अख़बार के चलते,
ज़मीनी साज़िशों के और ऊपर की सियासत के,
मुसलसल बीच में पिसते रहे घर-बार के चलते।

Language: Hindi
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