मुक्तक
क़ब्र-सी मौन धरती पड़ी पाँव परल,
शीश पर है कफ़न-सा घिरा आसमाँ,
मौत की राह में, मौत की छाँह में,
चल रहा रात-दिन साँस का कारवां।
क़ब्र-सी मौन धरती पड़ी पाँव परल,
शीश पर है कफ़न-सा घिरा आसमाँ,
मौत की राह में, मौत की छाँह में,
चल रहा रात-दिन साँस का कारवां।