“सावन”
“सावन की बूंदों ने मौसम बदल दिया,
जो रुका था सुखकर वो आज चल दिया,
आग लंबे वक़्त से ठंडी पड़ी थी दर्द की,
बूँद टपकी दिल पर तो ,दिल उबल गया,
बयां किया किसी ने जब हाले दिल हमारा,
सुनकर व्यथा वो रास्ते का पत्थर पिघल गया”
“सावन की बूंदों ने मौसम बदल दिया,
जो रुका था सुखकर वो आज चल दिया,
आग लंबे वक़्त से ठंडी पड़ी थी दर्द की,
बूँद टपकी दिल पर तो ,दिल उबल गया,
बयां किया किसी ने जब हाले दिल हमारा,
सुनकर व्यथा वो रास्ते का पत्थर पिघल गया”