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3 Jun 2018 · 1 min read

जिजीविषा

#जिजीविषा
अब तो ढर्रे पर ढल गई है जिंदगी।
यूँ ही,काफी दूर तक चल गई है जिंदगी।
जिजीविषा एक मृगतृष्णा सी,भटकती।
हर गली मोहल्ले, चौराहे पे अटकती।
आँखे मूंद-मूंद, स्वाति का एक बूँद,
तलाश में ही बस बहल गई है जिंदगी।
-नवल किशोर सिंह

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